मध्यप्रदेश में जमीन,भवन की खरीद-फरोख्त बढ़ी

,पंजीयन से पांच साल में सरकार की आय हुई चौगुनी

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भोपाल: मध्यप्रदेश में कोरोना से दो साल भले ही लोगों के व्यापार-धंधे नहीं चले, निजी सेक्टर में लोगों की आजीविका पर संकट के बादल मंडराए हो लेकिन जमीन, मकान और अन्य अचल सम्पत्ति में निवेश करने वाले भी बढ़े है और इसके साथ ही सरकार की आमदनी भी बढ़ी है। सम्पत्ति की खरीदी-बिक्री करने पर लगने वाले पंजीयन शुल्क से आय ही वर्ष 2017-18 के 488 करोड़ के मुकाबले वर्ष 21-22 में बढ़कर 1619 करोड़ 52 लाख रुपए हो गई है। पिछले पांच साल में इसमें चार गुना इजाफा हुआ है।पंजीयन शुल्क के साथ यदि बात स्टैम्प शुल्क,एडीशनल स्टैम्प शुल्क और सेस की भी करे तो पिछले साल राज्य सरकार को इससे आठ हजार करोड़ की आमदनी हुई है।

पूरे प्रदेश में सम्पत्ति की बिक्री के बाद दस्तावेजों का पंजीयन(रजिस्ट्री) कराने पर हुई आय में काफी इजाफा हुआ है। महानिरीक्षक पंजीयन कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2017-18 में पंजीयन फीस से 488 करोड़ 24 लाख रुपए की आमदनी हुई थी। अगले साल यह बढ़कर 505 करोड़ 95 लाख रुपए हो गई। वर्ष 19-20 में यह आमदनी 1063 करोड़ 5 लाख और वर्ष 21-22 में बढ़कर 1619 करोड़ 52 लाख रुपए हो गई है।

इंदौर-भोपाल में सर्वाधिक आय-
आर्थिक नगरी इंदौर में पिछले साल पंजीयन फीस से 351 करोड़ 33 लाख आय हुई थी और भोपाल में इससे आय 163 करोड़ 33 लाख रुपए थी। तीसरे स्थान पर सिंगरौली रहा यहां 93 करोड़ 7 लाख रुपए की पंजीयन फीस से आय हुई थी। उज्जैन में 66 करोड़ 87 लाख रुपए की आय हुई।

स्टैम्प शुल्क और पंजीयन मिलाकर आठ हजार करोड़ की आय-
वाणिज्य कर विभाग की प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी के मुताबिक प्रदेश में जमीन, मकान और अन्य अचल सम्पत्ति की बिक्री पर पांच प्रतिशत स्टैम्प शुल्क, शहरी क्षेत्रों में तीन प्रतिशत अतिरिक्त स्टाम्प शुल्क और ग्रामीण क्षेत्रों में एक प्रतिशत अतिरिक्त स्टैम्प शुल्क वसूला जाता है। इसके अलावा पंजीयन फीस भी ली जाती है। वर्ष 20-21 में इससे आमदनी 6 हजार 802 करोड़ हुई थी जो वर्ष 21-22 में बढ़कर आठ हजार करोड़ से उपर हुई है।