राजस्थान में भाजपा ने सभी 25 लोकसभा सीटों पर चुनाव जीतने के लिए कमर कसी!

भावी उम्मीदवारों के नामों पर मंथन शुरु, वर्तमान सांसदों में से कितने सांसद होगे रिपीट?

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राजस्थान में भाजपा ने सभी 25 लोकसभा सीटों पर चुनाव जीतने के लिए कमर कसी!

गोपेन्द्र नाथ भट्ट का राजनीतिक विश्लेषण

भारतीय जनता पार्टी ने राजस्थान की सभी 25 लोकसभा सीटों पर चुनाव जीतने के लिए कमर कस ली है तथा भावी उम्मीदवारों के नामों पर भी मंथन शुरू कर दिया गया है। वर्तमान सांसदों में से कितने सांसद रिपीट होगे? यह यक्ष प्रश्न इन दिनों राजनीतिक गलियारों में तैर रहा है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर पार्टी के चाणक्य केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चुनाव की व्यूह रचना बनाने का कार्य शुरू कर दिया है। शाह ने प्रदेश भाजपा के नेताओं को सख्त हिदायत दी है कि वे विधान सभा की जीत के नशे में अति आत्म विश्वास में नही रहें और बूथ स्तर तक कार्यकर्ताओं को साथ में लेकर अभी से चुनाव की तैयारियों में जुट जाए। उन्होंने अपने पिछले राजस्थान दौरे में कुछ नेताओं की क्लास भी ली और सभी को एक जुट होकर राजस्थान में इस बार भी भाजपा की जीत की हैट्रिक बनाने को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के स्पष्ट निर्देश मिलने के बाद प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष सांसद सी पी जोशी और मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के साथ प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने चुनावी तैयारियों को तेज कर दिया है। प्रदेश में पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की मीटिंग का सिलसिला चल रहा है। प्रदेश प्रभारी सिंह, प्रदेश अध्यक्ष सांसद जोशी और सीएम शर्मा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा द्वारा राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में आहूत बैठक में भाग ले रहें है। यह बैठक आगामी लोकसभा आम चुनाव पर मंथन के लिए हो रही हैं।

भाजपा लोकसभा आम चुनाव की तैयारियों में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखना चाहती है और पार्टी के हर कार्यकर्ता को यह समझाया जा रहा गई कि वे प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के अबकी बार 400 पार के नारे को याद कर लें ताकि चुनाव में सभी 25 सीटों को जीतने में कोई चूक नहीं रहें। भाजपा ने प्रदेश की हर लोकसभा सीट का सर्वे कराया है और कमजोर सीटों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। भाजपा के सर्वे के अनुसार राजस्थान में भी पार्टी सभी 25 सीटें जीत रही है लेकिन, पिछले विधानसभा में जिन 11 लोकसभा सीटों पर पार्टी कांग्रेस और अन्य पार्टियों से पिछड़ी गई थी उनके लिए खास व्यूह रचना बनाई जा रही है। प्रदेश के शेखावाटी, मेवात, गुर्जर और आदिवासी बहुल इलाकों पर भाजपा का विशेष फोकस हैं। हाल ही वागड़ के बड़े आदिवासी कांग्रेसी नेता महेंद्रजीत सिंह मालविया को भाजपा ने अपने पाले में लाकर दक्षिणी राजस्थान के वागड़ और मेवाड़ इलाकों में अपनी ताकत मजबूत करने का प्रयास किया है, वही कांग्रेस तथा भारतीय आदिवासी पार्टी (बाप) का मुकाबला करने का साधन भी ढूंढ लिया है। इन इलाकों में भाजपा के कद्दावर नेता गुलाब चंद कटारिया के असम का राज्यपाल बन जाने के बाद भाजपा का कोई बड़ा नेता मैदान में राजनीतिक लड़ाई लड़ने के लिए शेष नही रहा है। हालाकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सांसद सी पी जोशी भी उदयपुर संभाग के चितौड़गढ़ से ही है लेकिन उनकी जिम्मेदारी पूरे प्रदेश को संभालने की है। सीपी जोशी ने जब से प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाली है तब से कांग्रेस और अन्य दलों से दिग्गज नेताओं का भाजपा में शामिल होने का सिलसिला चालू है। उन्होंने विधानसभा चुनाव में भी पार्टी की अगुवाई की । साथ ही पार्टी को विधानसभा चुनाव भी जितवाया। सी पी जोशी के सामने अपने निर्वाचन क्षेत्र के विधायक चंद्रवीर सिंह आक्या के भाजपा के उम्मीदवार पूर्व उप राष्ट्रपति के दामाद नरपत सिंह राजवी का खिलाफ निर्दलीय चुनाव लडना और उसमें जीत हासिल करने के अलावा अन्य कोई माइनस पॉइंट नही है। सीपी जोशी और आक्या के मध्य मतभेद नए नही है बल्कि बहुत पुराने है। नरपत सिंह राजवी जयपुर के विद्यानगर सीट से लगातार चुनाव जीतते थे लेकिन भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने इस बार भाजपा की इस सुरक्षित सीट पर जयपुर की राजकुमारी और उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी को चुनाव लड़वाया और राजवी की टिकट काट दी थी। ऐसे और भी कई नेता अपनी टिकट कटने से रूष्ट थे तथा पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों के विरुद्ध चुनाव लडे तथा जो जीते उनमें से कतिपय को छोड़ सभी वापस पार्टी के समर्थन में भी आ गए है। इससे पार्टी को फिर से ताकत मिली है। अब पार्टी को अपने कुछ रूष्ट नेताओं और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को साधना होंगा। वैसे राजे ने साफ कर दिया है कि जिस पार्टी को बनाने में उनको दिवंगत माता ग्वालियर की राजमाता बिजया राजे सिंधिया का अतुल्य योगदान रहा है उस पार्टी को वह अपनी मां मानती है,इसलिए इससे अलग होने की कल्पना भी नहीं कर सकती।

इस बार के लोकसभा आम चुनाव में वसुंधरा राजे की भूमिका क्या रहती है और उनके समर्थक कितने सांसदों को पार्टी पुनः टिकट देती है यह देखना होंगा। राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह स्वयं झालावाड़ से चार पांच बार के सीटिंग एमपी है। राजे के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी होने तथा उनकी वरिष्ठता के मद्दे नजर आने वाले आम चुनाव में पार्टी उनकी क्या सेवाएं लेती है यह आने वाला समय ही बताएगा।

भाजपा का राजस्थान में हैट्रिक जमाने का लक्ष्य पूरा करने के लिए वर्तमान में पार्टी का सारा ध्यान लोकसभा उम्मीदवारों के चयन पर है। जहां तक राजस्थान का सवाल है तों लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को कोटा लोकसभा सीट से फिर से चुनाव मैदान में उतारा जाएगा। इसी प्रकार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का चितौड़गढ़ से आईपीओऔर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शक्तावत का पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिला जोधपुर से चुनाव लडना तय माना जा रहा है। इसके अलावा केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का बीकानेर से और एक अन्य राज्य मंत्री कैलाश चौधरी का बाड़मेर से पुनः चुनाव लडना भी सुनिश्चित माना जा रहा है।

भाजपा के अन्य सांसदों में अलवर के योगी बालक नाथ के विधायक बन जाने से उनके स्थान पर केंद्रीय वन और पर्यावरण एवं श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव को चुनाव लड़वाया जा सकता है। भूपेंद्र यादव को हाल ही हुए राज्य सभा चुनाव में पुनः पार्टी उम्मीदवार नहीं बनाने के पीछे यही कारण लगता है। इसी प्रकार राजसमन्द से सांसद रही प्रदेश की उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी के स्थान पर विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता रहें राजेन्द्र राठौड़ को टिकट मिलने की संभावनाए है। इसके अलावा जयपुर ग्रामीण से कर्नल राज्य वर्धन सिंह के प्रदेश में विधायक और मंत्री बन जाने से प्रतिपक्ष के उप नेता रहें डॉ सतीश पूनिया को प्रत्याक्षी बनाया जा सकता है। चुरू के सांसद राहुल कसवां उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के संबंधी है। इस लिहाज से उनका टिकट रिपीट होना भी तय ही माना जा रहा है।

पिछले विधानसभा चुनाव में चुनाव लड़ने वालेऔर पराजित हुए झुंझुनूं के सांसद नरेंद्र खीचड़, अजमेर के सांसद भागीरथ चौधरी और जालौर के सांसद देवजी पटेल को पार्टी इस बार टिकट देंगी या नहीं यह देखना होंगा। इनके अलावा वसुंधरा राजे समर्थक सांसदों करौली धौलपुर के डॉ मनोज राजोरिया, जयपुर के रामचरण बोहरा, श्रीगंगानगर के निहाल चंद, झालावाड़ से उनके पुत्र दुष्यंत सिंह, उदयपुर के अर्जुन लाल मीणा के साथ ही तटस्थ सांसदों में सीकर के स्वामी सुमेधानंद सरस्वती,पाली के पी पी चौधरी, भीलवाड़ा के सुभाष चंद्र बहेडिया,बांसवाड़ा डूंगरपुर के कनक मल कटारा, भरतपुर की रंजीता कोली,दौसा की जसकौर मीणा,टोंक के सुखबीर सिंह जोनपुरिया आदि को पुनः चुनाव लड़ाने का निर्णय पार्टी का शीर्ष नेतृव ही करेगा।

पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने प्रदेश की एक लोकसभा सीट नागौर, अपने समर्थित हनुमान बेनीवाल को समझौते में दी थी लेकिन बाद में यह एलायंस टूट गया। इस बार इस सीट पर भाजपा किसे टिकट देगी यह देखना दिलचस्प होंगा। कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आई डॉ ज्योति मिर्धा इस पर दावा कर सकती है लेकिन पिछले विधान सभा चुनाव में उनका हारना उनकी दावेदारी को कमजोर बनाता हैं। ज्योति मिर्धा स्वर्गीय नाथू राम मिर्धा की बेटी और हरियाणा के एक प्रमुख ओध्योगिक घराना की बहू है।

राजस्थान में चुनावों के दौरान जातियों का बोलबाला रहता आया है जिनमे जाट, गुर्जर, राजपूत, ब्राहमण, बनिया आदि जातियों का वर्चस्व है। प्रदेश में एससी की आबादी 16 प्रतिशत और एसटी की आबादी 12 प्रतिशत है। इस हिसाब से उनके करीब आधा दर्जन सांसद है।

भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व कई बार कह चुका है कि भाजपा युवाओं,महिलाओं, ओबीसी, एसटी एवं एससी आदि वर्ग को वरीयता देकर चुनाव लडेगी।

देखना है भाजपा इस बार राजस्थान में अपने चुनाव जीतने की हैट्रिक का लक्ष्य करने के लिए अपने पुराने सांसद चेहरों पर ही विश्वास करेगी अथवा नए चेहरों को चुनाव में उतारेगी?