भोपाल: मध्य प्रदेश राज्य सहकारी प्राधिकारी के चेयरमैन के लिए पिछले कई महीनों से चली आ रही उलझन अब सुलझती नजर आ रही है।
अब ताजा खबर यह है कि मुख्यमंत्री के विश्वसनीय अधिकारी रिटायर्ड IAS एमबी ओझा इस दौड़ में सबसे आगे आ गए हैं। ओझा पूर्व में 4 साल तक विदिशा के कलेक्टर और मुख्यमंत्री के उप सचिव भी रह चुके हैं। मुख्यमंत्री शिवराज के अति विश्वसनीय अधिकारियों में उनकी गिनती होती है। वे उज्जैन और ग्वालियर के कमिश्नर भी रह चुके हैं।
हालांकि इस दौड़ में पूर्व सहकारिता आयुक्त नरेश पाल और पूर्व एक्साइज कमिश्नर रजनीश श्रीवास्तव भी थे लेकिन ऐसा लगता है कि वह अब इस दौड़ में पिछड़ गए हैं।
दरअसल कुछ दिनों पहले तक यह माना जा रहा था कि हाल ही में सहकारिता आयुक्त पद से सेवानिवृत्त हुए नरेश पाल इस पद पर आसीन हो जाएंगे लेकिन कुछ ऐसा पेच फंसा कि यह संभव नहीं हो सका। नरेश पाल के लिए सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदोरिया भी प्रयासरत थे और यह माना जा रहा था कि वे नरेश पाल के नाम के लिए मुख्यमंत्री को तैयार कर लेंगे। एक बार तो ऐसा लग रहा था कि मुख्यमंत्री, पाल के लिए लगभग तैयार भी हो गए लेकिन इसी बीच एमबी ओझा ने अपने अंदरूनी स्त्रोतों से ऐसी व्यूह रचना रची कि अब लग रहा है कि वे इस महत्वपूर्ण पद पर काबिज हो जाएंगे।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ब्यूरोक्रेसी चाहती थी कि इस पद पर अपर मुख्य सचिव स्तर का अधिकारी पदस्थ किया जाए वही राजनीतिज्ञ चाहते हैं कि इस पद पर सचिव स्तर का अधिकारी ही तैनात किया जाए जैसा की अभी तक चला आ रहा है।
इसी चक्कर में पिछले 6 महीने से इस महत्वपूर्ण पद पर किसी की नियुक्ति नहीं हो पा रही है। इसका खामियाजा प्रदेश की 3000 सहकारी समितियों को भुगतना पड़ रहा है जहां पर चुनाव नहीं हो पा रहे हैं। राज्य सहकारी प्राधिकारी का अध्यक्ष नहीं होने से यह चुनाव नहीं हो पा रहे हैं क्योंकि प्राधिकारी ही चुनाव के लिए जिलों में चुनाव अधिकारी नियुक्त करता है।
बता दें कि इस पद के लिए रजनीश श्रीवास्तव भी प्रयासरत थे और उनका नाम भी चर्चा में था लेकिन नरेश पाल और रजनीश श्रीवास्तव के प्रयास लगता है, सफल नहीं हो पा रहे हैं और इस रेस में एमबी ओझा सबसे आगे हो गए हैं।
ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि एमबी ओझा के आदेश क्या जल्द हो जाएंगे या कोई और नया नाम तो कहीं उभरकर बाद में नहीं आएगा जैसा कि रजनीश श्रीवास्तव और नरेश पाल के साथ हो चुका है।