MP News: आदिवासी बहुल इलाकों में ग्राम सभा सभापति नहीं होंगे सरपंच, पंच और उपसरपंच

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भोपाल: प्रदेश के आदिवासी बहुल इलाकों में अब करीब साढ़े पांच हजार ग्राम पंचायतों का वजूद खत्म होने की स्थिति में है। यहां ग्राम सभा तो होगी लेकिन उसका सभापति सरपंच, पंच या उपसरपंच में से कोई भी निर्वाचित जनप्रतिनिधि नहीं होगा। ऐसी पंचायतों में ग्राम सभा का वजूद भी गौण हो जाएगा। ग्राम सभा तो होगी और पहले से अधिक ताकतवर रहेगी लेकिन इस ग्राम सभा के प्रतिनिधि मजरा, टोला, फलिया या ग्राम के आबादी क्षेत्र में निवास करने वाले ऐसे लोग होंगे जो मताधिकार का हक रखते हैं।

पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग ने इस व्यवस्था को लेकर नया मसौदा जारी कर दिया है और 15 दिन के बाद इस मसौदे पर आए सुझावों के आधार पर सरकार इसके मामले में अंतिम नोटिफिकेशन जारी करेगी।

दरअसल यह सारी कवायद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा पिछले साल की गई घोषणा और इसके बाद पेसा एक्ट को क्रमबद्ध लागू करने को लेकर की गई चरणबद्ध कार्यवाही का हिस्सा है। पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग ने इसके लिए किए गए ड्राफ्ट नोटिफिकेशन में कहा है कि आदिवासी बहुल गांवों में फलिया या टोला या मजरा या आबादी क्षेत्र में ग्राम सभा में वे ही लोग शामिल होंगे जो वोटर हैं। इसके लिए ग्राम सभा का रिजोल्यूशन तैयार कर एसडीओ रेवेन्यू को दिया जाएगा जिसमें क्षेत्र के पचास फीसदी वोटर के हस्ताक्षर होना जरूरी है। इसमें बताया जाएगा कि क्षेत्र का विस्तार कितना है और कितनी वन, राजस्व भूमि, प्राकृतिक स्त्रोत, प्राचीन बाउंड्री आदि उपलब्ध हैं। इस जानकारी को देने का काम ग्राम पंचायत सचिव करेगा और अगर वह एक माह में जानकारी एसडीओ रेवेन्यू को नहीं देता तो ग्राम सभा में शामिल हुए लोग खुद जाकर दे सकेंगे।

पेसा एक्ट को लेकर किए गए नोटिफिकेशन में कहा गया है कि ग्राम सभा में जो भी व्यक्ति सभापति बनेगा वह सरपंच, पंच या उपसरपंच नहीं होगा। इसे मताधिकार रखने वाले उस क्षेत्र के लोग चुनेंगे और पंचायत का सचिव ग्राम सभा के सचिव के रूप में काम करेगा। पंचायत सचिव के न होने पर किसी भी सरकारी महकमे के कर्मचारी को ग्राम सभा सचिव की जिम्मेदारी सौंपी जा सकेगी। ड्राफ्ट में यह भी कहा गया है कि एसडीओ रेवेन्यू को सौंपी गई ग्राम सभा गठन की जानकारी का नोटिफिकेशन एक माह में कराया जाएगा जिसमें बायलाज का प्रावधान होगा।

पेसा के क्षेत्र में आने वाली ग्राम सभाओं के अधिकार को लेकर यह स्थिति रहेगी कि अधिकांश पावर ग्राम सभा के पास रहेंगे और पंचायत के लिए निर्वाचित ग्राम सभा का काम हाट बाजार, मेलों की व्यवस्था तक सीमित हो जाएगा। पेसा में बनने वाली ग्राम सभा जल, जंगल और जमीन के साथ खनिज और अन्य अधिकार प्राप्त होगी। इस ग्राम सभा का एक कोष भी बनेगा जिसमें दो सदस्य होंगे और एक सदस्य महिला होना जरूरी है। कोष का पैसा दोनों के हस्ताक्षर से निकलेगा। ड्राफ्ट में कहा गया है कि क्षेत्र में शांति बनाए रखने और विवादास्पद मामलों के निराकरण के लिए मताधिकार प्राप्त लोगों की पांच से सात लोगों की कमेटी काम करेगी और उसकी जानकारी थाने को देगी। इसमे भी एक तिहाई सदस्य महिला होना जरूरी होगा।

प्रापर्टी का मालिकाना हक बदला तो ग्राम सभा को बताना होगा
नई लागू होने वाली व्यवस्था के अनुसार अगर अनुसूचित क्षेत्र में किसी व्यक्ति द्वारा कोई प्रापर्टी हस्तांतरित की जाती है या बेची जाती है या उसे बटाई या अन्य कृषि कार्यों के लिए दिया जाता है तो उसकी जानकारी ग्राम सभा को दी जाएगी। साथ ही मालिकाना हक बदलने पर भी सूचना देना होगा। गैर आदिवासी को आदिवासी की जमीन किसी भी स्थिति में हस्तांतरित नहीं की जा सकेगी। इसके अलावा अगर दो ग्राम सभा क्षेत्रों की किसी समान मुद्दे पर संयुक्त मीटिंग की स्थिति बनती है तो इस मामले में भी दोनों ही क्षेत्रों के लोगों की मौजूदगी अनिवार्य होगी। इन्हीं के बीच से ग्राम सभा का सभापति चुना जाएगा। इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि कोई भी ग्राम सभा तभी हो सकेगी जब एक चौथाई कोरम पूरा रहेगा।