बड़वानी: मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले के निवाली स्थित शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ अशोक वर्मा पर महिलाओं के कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के मामले में जांच हेतुं आंतरिक समिति के नियमानुसार गठन नहीं होने को लेकर उन्हें पचास हज़ार रु के जुर्माने से दंडित किया गया है।
बड़वानी जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी तथा पदेन जिलाधिकारी (महिलाओं के कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न) अनिल कुमार डामोर द्वारा जारी आदेश में शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय निवाली के प्रभारी प्राचार्य डॉ अशोक वर्मा को कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध एवं प्रतितोष) अधिनियम 2013 की धारा 26 (1) के अंतर्गत 50000 रु जुर्माने से दंडित किया है।
उक्त राशि को महिला एवं बाल विकास विभाग की समेकित बाल संरक्षण योजना अंतर्गत जिला बाल संरक्षण समिति के बैंक खाते में जमा कर सात दिवस में अवगत कराना भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
डामोर ने उक्त आदेश संचालक महिला एवं बाल विकास संचालनालय भोपाल द्वारा दिए गए निर्देश पर जारी किये।
श्री डामोर ने बताया कि दरअसल महिलाओं के कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण ,प्रतिषेध एवं प्रतितोष) अधिनियम 2013 एवं नियम 2013 के पालन में समस्त संस्था रूपी कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न से संबंधित शिकायत को प्राप्त करने एवं जांच करने हेतु आंतरिक समिति का गठन किया जाना था। इस तारतम्य में प्राचार्य शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय निवाली डॉक्टर अशोक वर्मा ने सूचित किया था कि उनकी संस्था में उक्त समिति का गठन किया गया है। किंतु आंतरिक समिति का गठन नियमानुसार न होने से अधिनियम की धारा 26 (1) के अंतर्गत जुर्माने से दंडित करने के निर्देश दिए गए हैं।
जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री रतन सिंह मुंडिया ने बताया कि डॉक्टर वर्मा तथा अन्य के विरुद्ध उन्हीं के महाविद्यालय की महिला सहायक प्राध्यापक व अन्य कर्मचारियों ने कुछ दिनों पूर्व लैंगिक उत्पीड़न की शिकायत की थी। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा निरंतर इस विषय में जानकारी प्राप्त किए जाने के तारतम्य में यह पता चला था कि शासकीय महाविद्यालय निवाली में इस तरह की समिति का नियमानुसार गठन नहीं हुआ है।
ज्ञातव्य है कि शासकीय महाविद्यालय निवाली की 3 महिला कर्मियों की शिकायत पर गठित उच्चस्तरीय स्थानीय परिवाद समिति ने अपनी जांच में डॉक्टर अशोक वर्मा, सहायक प्राध्यापक जीआर मोरे और सहायक ग्रेड 3 रवि नामदेव को दोषी पाया है । जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अनिल कुमार डामोर ने बताया कि समिति की रिपोर्ट के आधार पर शासन स्तर पर डॉक्टर वर्मा तथा अन्य के विरुद्ध कार्रवाई हेतु अनुशंसा का पत्र भी आज प्रेषित कर दिया गया है।
महिला कर्मियों ने शिकायत की थी कि डॉक्टर वर्मा तथा अन्य सहयोगी द्विअर्थी शब्दों का प्रयोग, अश्लील इशारे, व्हाट्सएप ग्रुप पर आपत्तिजनक फोटो व कमेंट तथा महाविद्यालयीन समय में आपत्तिजनक वेशभूषा के साथ बैडमिंटन खेलते वे उन पर फब्तियां कसते थे।