प्रसंगवश – विशेष :  अवैध ड्रग्स – सिरदर्द सरकार और समाज का 

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प्रसंगवश – विशेष :  अवैध ड्रग्स – सिरदर्द सरकार और समाज का 

 

( वरिष्ठ पत्रकार डॉ घनश्याम बटवाल मंदसौर )

 

देश के विभिन्न हिस्सों में वैध और अवैध मादक द्रव्यों का उत्पादन सरकार और समाज के लिए सिरदर्द बनता जारहा है । इसमें अफ़ीम ओर इसके बाय प्रोडक्ट तो है ही सिंथेटिक ड्रग्स भी अहम हैं । सबसे बड़ी बात यह कि उत्पादन का बड़ा हिस्सा देश , राज्यों और महानगरों ही नहीं नगरों कस्बों में भी नशे के रूप में खप रहा है मेडिकल उपयोग के लिए तो उत्पादन आवश्यक है पर शासकीय मशीनरी के लीकेज के चलते अवैध ड्रग्स और तस्करी कारोबार बढ़ रहा है वहीं इसके दुष्प्रभाव समाज युवा पीढ़ी पर पड़ रहे हैं ।

 

यह भारत सरकार के निगरानी तंत्र पर एक प्रश्न चिन्ह है। देश के विभिन्न भागों में नशीले पदार्थों की बरामदगी और तस्करों की गिरफ्तारी आम बात है, मगर जब कोई नशे की बड़ी खेप की बरामदगी होती है तो चिंताएं बढ़ जाती हैं। जहां घातक नशा हमारी युवा पीढ़ी को पथभ्रष्ट करके आत्मघात के रास्ते पर ले जा रहा है, वहीं नशे से उगाहे जाने वाले पैसे से अपराध व आतंकवाद की दुनिया ताकतवर हो रही है।

 

पुख़्ता खबर आई कि नौसेना, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो यानी एनबीसी और गुजरात पुलिस के साझे आप्रेशन में एक नाव से अब तक की सबसे बड़ी तीन हजार तीन सौ किलो ड्रग्स बरामद की है। इस नाव पर सवार पांच तस्करों को भी गिरफ्तार किया गया है। आशंका है कि तस्कर पाकिस्तान के हो सकते हैं क्योंकि पैकेटों पर पाकिस्तानी कंपनी की मोहर लगी बतायी जाती है। बरामद नशीले पदार्थ की कीमत दो हजार करोड़ रुपये है।

 

कल्पना कीजिये कि यह नशा यदि हमारे युवाओं की नसों में उतरता तो कितनी बड़ी हानि होती और भारत की दुर्लभ मुद्रा नशा तस्करों के हाथ में पहुंचती। बहुत संभव है कि आतंकवाद व अपराध की दुनिया को मजबूत करती। एनसीबी के अधिकारियों द्वारा बताया जा रहा है कि समुद्र में किसी बोट से यह अब तक की सबसे बड़ी बरामदगी है। इससे पहले गत बाईस फरवरी को पुणे से 700 किलो और दिल्ली से 400 किलो ड्रग्स मेफेड्रोन बरामद की गई थी, जिसकी कीमत ढाई हजार करोड़ रुपये थी। इस बरामदगी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश में किस पैमाने पर नशीले पदार्थों का उपयोग बढ़ रहा है। नशीले पदार्थों की उस मात्रा की कल्पना करने से भी डर लगता है जो सुरक्षा एजेंसियों की नजर से बचकर निकल जाती होगी। निश्चित रूप से नशीले पदार्थों का सेवन अपराधों के लिये भी उर्वरा भूमि तैयार कर देता है। बहुत से युवा महंगे नशे की लत को पूरा करने के लिये अपराध की दुनिया में उतर जाते हैं।

ड्रग्स अपराध के साथ आतंकवाद का भी वाहक बना हुआ है ।

 

हर साल देश में हजारों युवा नशे की ओवरडोज से मौत का शिकार हो जाते हैं। इस वजह से सरकारों का दायित्व बन जाता है कि देश के भविष्य को पतन के गर्त में गिरने से बचाने के लिये अतिरक्त सुरक्षा उपाय करें। लेकिन जिस पैमाने पर नशीले पदार्थों की बरामदगी हो रही है उससे तो डर लगता है कि लाखों युवा विभिन्न तरह के नशीले पदार्थों के आदी होते जा रहे हैं।

 

फिल्मी सितारों व संभ्रांत लोगों ओर कथित अभिजात्य वर्गों की बिगड़ैल संतानों द्वारा आयोजित होने वाली रेव पार्टियां इसकी भयावहता को दर्शाती हैं। चिंता की बात यह है कि सीमाओं पर कड़ी सुरक्षा के चलते अब भारत-पाक सीमा पर ड्रोन के जरिये नशीले पदार्थों की तस्करी की जा रही है।

पंजाब में पिछले दिनों सुरक्षा बलों ने कई ड्रोनों को मार गिराया और तस्करों से बड़े पैमाने पर नशीले पदार्थ बरामद किये। चिंता की बात यह है कि कड़ी सुरक्षा के चलते अब समुद्री रास्ते से नशीले पदार्थों की तस्करी की जा रही है।कुछ समय पूर्व सोमनाथ के एक घाट पर बहकर आई साढ़े तीन सौ करोड़ की नशीले पदार्थों की खेप बरामद की गई थी। इससे पहले गुजरात बंदरगाह पर अचानक हुए निरीक्षण के दौरान एक पोत से पंद्रह हजार करोड़ की नशे की खेप की बरामदगी हुई थी।

शनिवार को ही सेंट्रल नारकोटिक्स ब्यूरो ने दो हजार करोड़ रुपये की अवैध ड्रग तस्करी में दक्षिण क्षेत्र के राजनेता को दिल्ली में गिरफ्तार किया है । इससे इनकार नहीं किया जासकता कि इंटरनेशनल लेवल पर भी अवैध ड्रग्स सिंडिकेट बनाकर देश के सीमावर्ती इलाकों में लोकल समूह और वाशिंदों का आर्थिक प्रलोभन देकर किया जारहा है ।

 

निश्चित रूप से नशे की खेप का एक बड़ा हिस्सा आज भी देश में खप रहा है, जिसको रोकने के लिये पुलिस, सुरक्षा बलों, एजेंसियों तथा समाज को बड़ी भूमिका निभानी होगी । साथ ही देशभर में नशा मुक्ति अभियान चलाने की जरूरत है। नशे छुड़वाने के लिये बड़े पैमाने पर नशेड़ियों के पुनर्वास की भी जरूरत है। सरकार को भी तंत्र की नजर से बचकर निकल रहे नशीले कारोबार पर शिकंजा कसने के लिये अतिरिक्त प्रयास करने होंगे। दृढ़ इच्छाशक्ति से ही नियंत्रण पाया जासकेगा । खासकर समुद्र के रास्ते होने वाली तस्करी की बड़ी खेप की निगरानी के लिये तटरक्षक बलों को आधुनिक संसाधनों से लैस करने की जरूरत है। साथ ही बंदरगाहों की निगरानी भी चौकस हो।

 

आंतरिक धरपकड़ भी चाक चौबंद होना चाहिए , देखा गया है कि नशे के सौदागर आर्थिक आधार पर कमजोर कड़ी पकड़ कर अवैध परिवहन को अंजाम दे रहे हैं । अब तो महिलाओं , युवाओं और किशोर वय बच्चों का उपयोग भी होरहा है ।

मध्यप्रदेश विधानसभा में तो सरकारी स्तर पर जानकारी दी गई है कि दर्जनों पुलिस अधिकारी , कर्मचारियों की नशे के मामले में 150 के लगभग प्रकरण दर्ज़ हैं ।

इस बार फिर अफ़ीम , डोडाचूरा फसल परवान पर है , मध्यप्रदेश , राजस्थान , उत्तरप्रदेश आदि राज्यों के कोई 75 हजार किसानों द्वारा परंपरागत और सीपीएस पद्यति से उपज ली जारही है , नारकोटिक्स , पुलिस के साथ नारकोटिक्स विंग द्वारा निगरानी है पर सौदागरों द्वारा मंदसौर नीमच प्रतापगढ़ चित्तौड़ आदि इलाकों में अग्रिम सौदेबाजी की जारही है ।

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किसानों की मांग वर्षों से चल रही है कि अफ़ीम मूल्यवृद्धि हो पर सरकार है कि अधिकतम 3 हजार रुपये किलो ही देती है जबकि लागत ही इसके मुकाबले कहीं अधिक है ऐसे में कालाबाजारी भी होरही और नशे का अवैध कारोबार भी ।

केंद्र सरकार के नारकोटिक्स विभाग द्वारा अफ़ीम पैदावार के लिए सी पी एस पद्यति को प्रोत्साहित किया जारहा है , इसके माध्यम से सीधे अफ़ीम व डोडा और डंठल विभाग संग्रहित कर रहा है और काश्तकारों को भुगतान कर रहा है परन्तु किसानों की रुचि कम देखने मे आई है । वहीं सरकारी मूल्यवृद्धि की जाना जरूरी है

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अब जबकि आगामी कुछ माह में ही केंद्र में नई सरकार गठित होने जारही है , उम्मीद है इस महत्वपूर्ण और समस्यामूलक नशे के अवैध कारोबार को नियंत्रित कर ड्रग्स की लत से युवाओं को बचाने की सार्थक पहल करेगी ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं गृहमंत्री अमित शाह और वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के संज्ञान में यह ज्वलंत मुद्दा लाया गया है ।

स्वयं सेवी संगठनों एवं नशा मुक्ति अभियान के कार्यकर्ताओं ने तथ्यपरक रिपोर्ट केंद्र सरकार को प्रस्तुत की है ।