भोपाल। मध्यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने स्कूल शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर कहा है कि बच्चे उनके अधिकारों के प्रति जागरुक हो इसलिए संविधान द्वारा प्रदत्त बाल अधिकारों को कक्षा तीन से आठ तक अनिवार्य रुप से पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।
मध्यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य ब्रजेश चौहान ने स्कूल शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति सजग और जागरुक करने के लिए कक्षा तीन से कक्षा आठ तक के पाठ्यक्रम में बाल अधिकारों की जानकारी शामिल की जाए।
बाल अधिकारों को स्कूली पाठ्यक्रमों में शामिल किए जाने की जगह विभाग ने पुस्तकों अंतिम पेज पर दिए गए संदेश और नंबरों की जानकारी देकर पल्ला झाड़ लिया है।
चाइल्ड हेल्पलाईन नंबर और लाडो अभियान का संदेश दे रहे -जांगिड़
इधर राज्य शिक्षा केन्द्र के अपर मिशन संचालक लोकेश जांगिड़ ने बाल अधिकार संरक्षण आयोग को इसके जवाब में कहा है कि पाठयपुस्तकों के अंतिम पेज पर बाल विवाह जैसी कुरीतियों को रोकने लाडो अभियान का संदेश और चाइल्ड हेल्प लाईन नंबर 1098 की जानकारी समाहित की गई है।
सभी विद्यालयों में शनिवार बाल सभा में कोमल फिल्म का प्रदर्शन किया जाता है जिसमें स्रेहिल स्पर्श और अप्रिय स्पर्श पर सचित्र प्रदर्शन किये जाने के लिए यू टयूब्ल लिंक से डाउनलोड कर प्रदर्शित करने सभी विद्यालयों को कहा है।
एनसीईआरटी की कक्षा चार पर्यावरण अध्ययन में पॉक्सो एक्ट की जानकारी दी गई । वर्ष 2019 में आयोजित सेवाकालीन प्रशिक्षण मॉडयूल्स में पॉक्सो एक्ट की जानकारी एवं शिक्षकों को बच्चों को जागरुक करने संबंधी प्रशिक्षण दिया गया है।