मध्यप्रदेश में जब पंचायत चुनाव का आखिरी दौर चल रहा है, तब यह संयोग ही है कि केंद्र से एक अच्छी खबर आई है कि मध्यप्रदेश नशामुक्ति भारत अभियान में प्रथम स्थान पर आया है और दतिया जिला देश में पहले पायदान पर है। नशामुक्ति और शराबबंदी को लेकर मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने शराबबंदी-नशामुक्ति की मुहिम छेड़ने का ऐलान किया था। वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का मानना रहा है कि व्यक्तियों में नशामुक्ति को लेकर जनजागरण की जरूरत है। शराबबंदी समस्या का समाधान नहीं है। यह बात सच भी है, क्योंकि गुजरात का उदाहरण सबके सामने है। यहां हाल ही में शराब सेवन के कई मामले सामने आए हैं।
ऐसे में नशामुक्ति भारत अभियान में मध्यप्रदेश का अग्रणी बनना वास्तव में गौरव की बात है। पंचायतों के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों को यदि नशामुक्ति भारत अभियान का अपनी-अपनी पंचायतों में ब्रांड एंबेसडर बना दिया जाए, तो शायद बात बन जाए। सबसे पहले उन्हें प्रादेशिक, राष्ट्रीय स्तर पर नशामुक्ति के लिए प्रशिक्षण दिया जाए और फिर पंचायतों को नशामुक्त बनाने का लक्ष्य दिया जाए। सरकार की यह पहल कारगर साबित हो सकती है। सरपंच, पंच, जनपद सदस्य, जनपद अध्यक्ष-उपाध्यक्ष, जिला पंचायत सदस्य, जिला पंचायत अध्यक्ष-उपाध्यक्ष जैसे प्रदेश के जिम्मेदार नागरिक यदि ठान लें, तो नशामुक्ति की दिशा में मध्यप्रदेश कीर्तिमान और आदर्श बनकर देश-दुनिया को नई दिशा दे सकता है। इससे शराब नीति में बदलाव किए बिना भी शराब की दुकानों का शटर गिराया जा सकता है और दूसरे व्यसनों से भी प्रदेश के नागरिकों को मुक्त कराने की दिशा में कदम बढ़ाए जा सकते हैं। इसका श्रेय कोई भी ले, लेकिन नागरिकों के लिए यह बड़ी सौगात साबित हो सकती है। सरकार, संगठन और विपक्ष सभी इसमें मिलजुलकर प्रयास कर लोककल्याण का इतिहास रच सकते हैं।
मादक पदार्थों के दुरुपयोग के मुद्दे से निपटने और भारत को नशा मुक्त बनाने के लिए देश में नशीले पदार्थों के उपयोग के मामले में सबसे संवेदनशील रूप से पहचान किए गए 272 जिलों में 15 अगस्त, 2020 को नशा मुक्त भारत अभियान (एनएमबीए) की शुरुआत की गई थी। इन संवेदनशील जिलों की पहचान व्यापक राष्ट्रीय सर्वेक्षण के निष्कर्षों और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के आधार पर की गई थी।
यह अभियान नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो द्वारा नशीले पदार्थों की आपूर्ति पर लगाए गए अंकुश, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा पहुंच और जागरूकता तथा मांग में कमी लाने के प्रयास एवं स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से उपचार को शामिल करते हुए एक तीन-आयामी हमला है। युवाओं, शैक्षणिक संस्थानों, महिलाओं, बच्चों और नागरिक समाज संगठनों/गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) की प्रमुख लक्षित आबादी और नशा मुक्ति अभियान के हितधारकों के रूप में परिकल्पना की गई है। इसकी शुरुआत से ही पूरे देश में अनेक प्रकार की गतिविधियों का आयोजन किया गया है, जिनमें समाज के सभी वर्गों और हितधारकों की भागीदारी को बढ़ावा दिया गया है। जिला कलेक्टर/मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में जिला स्तर पर नशा मुक्त समितियों ने योजना बनाकर अपने-अपने जिलों में इस अभियान के कार्यान्वयन में अग्रणी भूमिका निभाई है।
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का विचार था कि “मद्यपान शारीरिक, मानसिक और आर्थिक सभी दृष्टियों से व्यक्ति को नष्ट करता है, शराब की दुकानें समाज के लिए अकथनीय अभिशाप हैं। अत: मद्यपान को चोरी छिपे करना, यहाँ तक कि वेश्यावृत्ति से भी अधिक निंदनीय मानता हूँ। गांधी जी ने भारतीय समाज की बदहाली के विभिन्न कारणों में नशे की लत को भी बड़ी समस्या माना था। इसी कारण उन्होंने सत्य और अहिंसा की विचारधारा का पालन करते हुए अपने सभी आंदोलनों को क्रियान्वित करते समय चलाए गए विभिन्न रचनात्मक कार्यों में नशा मुक्ति को भी प्रमुख स्थान दिया था। गांधी जी ने चंपारण में उस समय कहा था कि शराब आत्मा और शरीर दोनों का नाश करती है। देश के इस बेहद गंभीर और विचारणीय विषय को हल करने के लिए गांधीवाद का नशामुक्ति सिद्धांत वर्तमान में कहीं अधिक प्रासंगिक बनता जा रहा है।
गांधीजी ने ग्रामसभा से लोकसभा तक के लोकतांत्रिक ढांचे की कल्पना की थी और कहा था कि ‘आजादी नीचे से शुरू होनी चाहिए। हर एक गांव के लोगों की हुकूमत या पंचायत का राज होगा। उनके पास पूरी सत्ता और ताकत होगी। इसका मतलब यह है कि हर एक गांव को अपने पांव पर खड़ा होना होगा। अपनी जरूरतें खुद पूरी कर लेनी होंगी ताकि वह अपना कारोबार खुद चला सके। तो आज गांधी जी के जन्म के 150 साल बाद और देश की आजादी के अमृत महोत्सव में जिस आत्मनिर्भर भारत की कल्पना हो रही है, यह राष्ट्रपिता का सपना था। जिस सशक्त पंचायतों की कल्पना राष्ट्रपिता ने की थी, वह पंचायतें अब राज कर रही हैं। जरूरत बस इतनी सी है कि राष्ट्रपिता के मद्यनिषेध और नशामुक्ति का सपना पूरा कर यहीं पंचायत व्यवस्था देश-दुनिया का गौरव बन जाए…। और मध्यप्रदेश इसका नेतृत्व कर सभी का सिर गर्व से ऊंचा कर दे।