Symposium by Indore Lekhika Sangh: समस्याओं को निपटाना क्यों? हल करने की सतत कोशिश करना चाहिए।

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प्रथम किश्त —

Symposium by Indore Lekhika Sangh: समस्याओं को निपटाना क्यों? हल करने की सतत कोशिश करना चाहिए।

इंदौर की  महिलाओं की पहली साहित्यिक संस्था इंदौर लेखिका संघ  एक साहित्यिक संस्था है। 1997  में यह संस्था साहित्यकार डॉ स्वाति तिवारी द्वारा महिलाओं की पठन पाठन और लेखन में रूचि जाग्रत करने के उद्देश्य से स्थापित की गई थी। विगत २८ वर्षों से यह संस्था सतत साहित्यिक आयोजन कर रही है। .इंदौर लेखिका संघ द्वारा मनुष्य जीवन में आनेवाली  समस्याओं और उनके समाधान विषय पर पर केन्द्रित एक वर्चुअल” (Virtual) परिसंवाद  आयोजित किया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में सदस्यों ने अपने विचार व्यक्त किये। .कार्यक्रम का  विषय संस्था की अध्यक्ष विनीता तिवारी ने प्रस्तुत किया ,विषय में प्रवेश और संचालन संघ की संस्थापक डॉ. स्वाति तिवारी ने  किया । बाधा, कठिनाई या चुनौती को समस्या कहते हैं या ऐसी स्थिति जिसमें व्यक्ति सुल्झाने का प्रयत्न करता। दक्षताओं को धत्ता बताते हुए किसी प्रश्नचिन्ह का निरुत्तर बने रहना ही समस्या है। “मानस पंथ के अनुसार –

“” प्रथम दृष्टया में चुनौती जब शारीरिक या मानसिक या दोनों की क्षमताओं को निर्मूल साबित करती है तो वह समस्या कहलाती है। “” मनोवैज्ञानिक रूप से किसी गुत्थी का अबूझ बने रहना ही समस्या कहलाती है। 

“यदि आपके जीवन में समस्या आ रही है तो उससे लड़ने का जज़्बा भी बनाये रखिये। एक दिन सफलता मिलनी तय है।”कई बार लोग समस्याओं को जस का तस जीवन में बने रहने देते हैं ,इक तरह से वे स्वयम को उन समस्याओं के अनुरूप ढाल लेते है जैसे उन्हें निभा रहे हों ,

जिस मुश्किल का समाधान आप नही कर पा रहे है या दूसरे शब्दों में कहे आप के पास कोई हल नही है वही समस्या है ।

आपकी सारी समस्या नीचे वर्णित श्रेणी में आएगी ।

आर्थिक,शारीरिक,पारिवारिक,सामाजिक,ब्यक्तिगत कई प्रकार की हो सकती है इन्हें  सतत सुलझाने का प्रयास ही इनसे निकलने का रास्ता भी देते है।  क्या सोचती हैं इंदौर लेखिका संघ की लेखिकाएं आइये बात करते हैं —-

संचालन -डॉ.  स्वाति तिवारी

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1 .समाधान ही समस्या मूल मंत्र है- डॉ इंदु जैन ‘इंदू’ इंदौर (म.प्र.

जीवन में समस्याएं तो होंगी ही ।समस्याएं का जीवन का एक अभिन्न अंग है ।जब तक जीवन है समस्याएं तो आती रहेगी। इनसे डरना या घबराना इसका हल नहीं है। समाधान खोज कर ही इसका हल निकाला जा सकता है। हर छोटी से बड़ी समस्या जो जीवन में आती है इसका कारण खोज कर सही निर्णय करना चाहिए।
उदाहरण के तौर पर अगर हम देखें की पुराने समय में कोई भी समाचार अगर किसी को देना है तो उसके लिए कितनी मेहनत करनी होती थी और उसमें कितना समय चला जाता था।
जैसे कि पहले कबूतर के साथ चिट्ठी भेजा करते थे। उसके बाद पत्र व्यवहार का समय आया। धीरे-धीरे व्यवस्था में सुधार हुआ। लेकिन आज अगर हम देखते हैं तो जो फोन हमारे हाथ में है इसका निर्माण इसी समस्या के तहत हुआ है और यह कितना बड़ा समाधान आज हमारे साथ है कि हम एक दूसरे के कितने करीब हैं मिलों की दूरियां भी मायने नहीं रखती। एक ही सेकंड में हम अपनी बात सामने वाले व्यक्ति तक पहुंचा सकते हैं ।
जैसे कि आज में अगर कुछ लिख रही हूं- अपनी रचना आप सभी के बीच में भेज पा रही हूं तो यही एक माध्यम है ।
बस इसी तरह हर समस्या का हाल समझदारी और सोच मुझे निकाला जा सकता है।

2. हर समस्या का धैर्य एवं शांत चित्त से समाधान खोजने की कोशिश करना चाहिए- साधना शर्मा

जीवन में समस्याओं का होना बहुत ज़रूरी है क्योंकि अगर हमें सब कुछ सरलता से मिल जाता है तो हम जीवन का अर्थ ही नहीं समझ सकते हाँ यह ज़रूर है हर समस्या का धैर्य एवं शांत चित्त से समाधान खोजने की कोशिश करना चाहिए और उसके बाद जो खुशी मिलती है वह अतुलनीय है क्योंकि अगर हम समस्याओं के बारे में सिर्फ़ सोचते ही रहे तो सिवाय दुःख के और कुछ नहीं मिलेगा जीवन इनके बिना अर्थविहीन है इनका ताकत से सामना करना चाहिए तभी जीवन अर्थसंगत होगा

3 .समस्याओं को निभाना क्यों? समस्याओं को हल करने का सतत प्रयास करना चाहिए- प्रतिभा भट्ट, सागर

मानव एक चिंतनशील प्राणी है स्वविवेक और बुद्धिमत्ता का गुण सभी में विद्यमान है । समस्याएं हर मनुष्य के जीवन में कभी न कभी किसी न किसी दौर में आती है या यूं कहले बिना समस्या के जीवन ही नहीं । समस्या है तो हल भी होता है अगर हम चिंता के बजाय चिंतन करे उस पर काम करे । कई बार समस्या के चुनौती के रूप में होती है और इसके पीछे का कारण हमे समझ नहीं आता लेकिन ऐसी चुनौतियां हमारे अंदर का सोया कैलिबर जगाने आती है हमे पता ही नहीं होता कि हममें इतनी क्षमता भी हो सकती है । समस्याएं हमे परखने आती है और कई ये कर्म बंधन से भी जुड़ी रहती है । जिन्हें हम जाने अनजाने में पैदा कर लेते है कारण चाहे जो भी हो अगर स्वविवेक, धैर्य, और अच्छी सलाह से काम लिया जाए तो समस्या का समाधान भी शीघ्र हो जाता है । बहरहाल जिंदगी कैसी भी जो चाहे समस्या से घिरी हो या समाधान मिले हमे हर घड़ी शांत चित्त और ईश्वरीय इच्छा समझ उनके मार्गदर्शन में सौंप कर कर्म करते रहना चाहिए खुश रहे, चिंता नहीं चिंतन करे और अपने सामर्थ्य को पहचाने ।

4 .समस्याओं को हल करने का सतत प्रयास करना चाहिए क्योंकि मनुष्य में सोचने- समझने की अद्भुत क्षमता है-आशा जाकड़, इन्दौर

मानव‌ सर्वश्रेष्ठ बुद्धिमान प्राणी है। यदि जीवन है तो समस्याओं का आना स्वाभाविक है।मानव जीवन में सुख-दुख का आवागमन होता रहता है। समस्याएं भी अनायास पहाड़ जैसी सामने खड़ी हो जाती है तो उनका समाधान करना भी आवश्यक होता है। क्योंकि समस्याओं से जीवन में परेशानियांँ उत्पन्न हो जाती हैं और जीवन तनाव पूर्ण हो जाता है ।समस्याएं उत्पन्न होती है तो उनका हल/समाधान भी स्वत:मिल जाता है। मनुष्य में सोचने- समझने की अद्भुत क्षमता है। मेहनत करने की अनुपम शक्ति है। समस्याएं आने पर अपने विवेक से,अपनी शक्ति से अथक मेहनत से उसका समाधान /उसका उपाय ढूंँढ ही लेता है।
और जीवन सरलता से पटरी पर दौड़ने लगता है।।

5 .समस्याएँ जीवन का एक अटूट हिस्सा है आती जाती घबराना नहीं चाहिए – रंजना शर्मा ‘सुमन’
इंदौर

समस्याएँ जीवन का एक अटूट हिस्सा है। समस्या है तो समाधान भी अवश्य है। किसी भी समस्या को लेकर उस पर चिंकित होकर पूरा ध्यान उसी पर लगाना अनुचित है। होना यह चाहिए कि समस्या क्र्या है?इसका हल कैसे निकलेगा?इसके लिए क्या प्रयास किए जाएँ जिससे जल्दी से जल्दी हम इस समस्या से निवृत्त हो सकें। समस्या उत्पन्न होने के कारणों पर भी गंभीरता से चिंतन-मनन कर जीवन में दोबारा इस तरह की कोई समस्या उत्पन्न न हो इस हेतु प्रयास करना चाहिए।
मानव जीवन बहुत कठिन है ।यहाँ हर क्षण कोई न कोई समस्या उत्पन्न होती है ।किन्तु उन समस्याओं से निजात पाने हेतु व्यक्ति को सत्य, न्याय, कर्मठता एवं मानवता का हाथ थामें रहना चाहिए। जिससे समस्या आई भी तो आपके गुणों को देखकर अपने आप किनारा कर लेगी।
किसी भी समस्या से जूझते रहना उचित नहीं है बल्कि उसके समाधान हेतु प्रयास करना ही हमारा परम धर्म है।

6 .बड़ी-बड़ी समस्याओं को भी ठंडे दिमाग से सोचकर सुलझाने की कोशिश करना चाहिए -सुरेखा सरोदे

समस्याएँ जीवन का हिस्सा हैं, लेकिन उनसे डरना नहीं, उनका सामना करना ही सच्ची बुद्धिमानी है। अक्सर हम छोटी-सी परेशानी में उलझ जाते हैं और उसे इतना बड़ा बना लेते हैं कि बाकी सब कुछ अस्त-व्यस्त हो जाता है। लेकिन अगर हम धैर्य और पॉजिटिव सोच के साथ सोचे, तो वही समस्या हमें एक नया सबक देती है और मजबूत बनाती है। हर मुश्किल अपने साथ एक समाधान लेकर आती है बस जरूरत है खुद पर विश्वास रखने की। जब हम बड़ी-बड़ी समस्याओं को भी ठंडे दिमाग से सोचकर सुलझाने की कोशिश करते हैं, तो रास्ता जरूर निकलता है।

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7 .इसका सकारात्मक हल निकालना चाहिए-डॉ.  अंजुल कंसल कनुप्रिया
इंदौर

समस्याएं जीवन में आती जाती रहती हैं। समस्या का हल ढूंढने में समय बिताएं। समस्या दूर चली जाएगी। समस्याओं को निभाना आवश्यक नहीं है। एक प्रकार से समस्या हल नहीं होती तो दूसरी प्रकार से हल करने की कोशिश करें।
हो सकता है कि वह आपके जीवन की समस्या ही ना हो। हर बात को समस्या नहीं बनाना चाहिए। समस्या से जूझना सही नहीं है, इसका सकारात्मक हल निकालना चाहिए। समस्या को हल करने के लिए पुख्ता निर्णय लेना चाहिए।
धैर्य धीरज से समस्या को सुलझाएं।

8  समस्या को निभाया नहीं या तो निपटाया जाता है,समस्या नहीं समाधान में हमारा विश्वास है-डॉ रजनी भंडारी

पहले तो मुझे निभाना शब्द पर ही ऑब्जेक्शन हे समस्या को निभाया नहीं या तो निपटाया जाता है या सुलझाया जाता है
खैर- कहा जाता है समस्या का डटकर मुक़ाबला करो और किसी भी समस्या का समाधान उसी समस्या में छुपा होता है जरूरत होती है सबसे पहले समस्या के कारण और फिर उसकी उत्पत्ति के समय की समीक्षा करने की
हम महिलाये तो अपने जीवन को ही समस्या मान लेते है और छोटी छोटी बातो को इतना बड़ा कर लेते है सोच सोच कर की हम ख़ुद को एक चक्रव्यूह में फ़सा पाते है
मैं मानती हूँ समस्या कभी किसी के द्वारा पैदा की जाती है और कभी स्वतः ही उत्पन्न हो जाती है परिस्थिति के कारण शांत मन और मस्तिष्क के संतुलन से कठिन से कठिन समस्या सुलझाई जा सकती है और आपसी बातचीत से हल की जा सकती है बिंदु की माफिक बात को हम विकराल समस्या बना देते है कभी कभी गलतफहमी के कारण भी
तो आज कहिए
समस्या नहीं समाधान में हमारा विश्वास है
असंभव नहीं संभव है
आशा और उम्मीद पर टिकी है दुनिया

9 . नेपोलियन के शब्दकोष में असंभव शब्द था ही नहीं–अचला गुप्ता
इंदौर

मनुष्य का जीवन ईश्वर प्रदत्त वरदान है। हमारे जीवन में खुशियों के अलावा दुख एवं समस्याएं भी आती रहतीं हैं।
जैसे हम खुशियों को आत्मसात करते हैं वैसे ही समस्याओं को भी सुलझाने की कोशिश सकारात्मक दृष्टिकोण से हमें करना चाहिए।
यदि समस्याएं हैं तो समाधान भी होगा। नेपोलियन के शब्दकोष में असंभव शब्द था ही नहीं।हम भी युक्ति से समस्याओं को निपटा सकते हैं बशर्ते कि हम उन्हें ‌कठिन न समझें।
मन की शक्ति अपार होती है। यदि हम समस्याओं को जीवन का एक हिस्सा समझें तो हमें निराशा कभी न होगी।
जीवन में उतार चढ़ाव की प्रक्रिया सामान्य है। दृढ़ संकल्प और विश्वास के साथ हम समस्याओं का सामना करें और समझदारी से उन्हें निपटाएं यही उपाय है उनसे छुटकारा पाने का।

10 जब सब दरवाजे बंद हो जाते जाते है तब ईश्वर एक दरवाजा खुला रखता है- संध्या राणे

समस्याओं को निभाना समझदारी नहीं है। इस जीवन में रात है तो दिन है ,सुख है तो दुख है, ठीक उसी तरह समस्या है तो उसका समाधान भी है। समय का चक्र अपने हिसाब से चलता रहता है। समस्या हर एक के जीवन में आती है रूप उसके भिन्न-भिन्न है। अतः समस्या कैसी भी हो उससे घबराने की अपेक्षा उस समस्या का निराकरण कैसे किया जाए इस पर सतत प्रयत्न करते रहना चाहिए ना कि घबरा कर बैठ जाना चाहिए।
कहते है न जब सब दरवाजे बंद हो जाते जाते है तब ईश्वर एक दरवाजा खुला रखता है। एक आशा की किरण, एक उम्मीद जरूर रहती है और वहीं से मार्ग निकलता है। कोई भी समस्या हो तो उसका हल बहुत ही धैर्य के साथ निकालनें की कोशिश जरूर करनी चाहिए। समय जरूर लगता है पर हल निकलता है।

परिसंवाद का शेष भाग अगले अंक में ———-क्रमशः 

वैचारिक परिचर्चा : “भारत में आतंकवाद की समस्या आपकी नजर में कारण और समाधान “