
स्वतंत्रता दिवस विशेष: भारत यानी वैश्विक ज्ञान परंपरा का उज्ज्वल आलोक!
– प्रो नीलिमा गुप्ता
(कुलपति, डॉ हरीसिंह गौर केंद्रीय विवि, सागर)
भारत, विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक, सदियों से ज्ञान, दर्शन और चेतना का केंद्र रहा है। वैदिक ऋचाओं की गूंज से लेकर नालंदा और तक्षशिला जैसे ज्ञान केंद्रों की गरिमा, भारत की बौद्धिक परंपरा का प्रमाण है। यहाँ ज्ञान को केवल शैक्षणिक उपलब्धि नहीं, बल्कि आत्मबोध और सामाजिक उत्थान का माध्यम माना गया। आज जब वैश्विक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है।
भारत पुनः अपनी प्राचीन ज्ञान-संपदा और समकालीन विज्ञान के समन्वय से एक नई दिशा देने की ओर अग्रसर है। चाहे वह नई शिक्षा नीति हो, डिजिटल नवाचार हों या अंतरराष्ट्रीय शोध-संवाद—भारत का बौद्धिक आलोक एक बार फिर दुनिया को आलोकित कर रहा है। भारत शब्द ‘भ’ से बना है, जिसका अर्थ है ‘ज्ञान’ या ‘प्रकाश’ और ‘रत’ जिसका अर्थ है ‘रत्न’ या ‘मूल्यवान’, यानी भारत का अर्थ है ‘ज्ञान का रत्न’ या ‘प्रकाश का देश’। भारत को ‘देवताओं की भूमि’ या ‘पवित्र भूमि’ के रूप में भी देखा जाता है।
भारत का नाम ऋग्वेद में वर्णित ‘भरत’ जनजाति से भी जुड़ा है, जो इस क्षेत्र में निवास करती थी। भारत का अर्थ और महत्व इसकी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक पृष्ठभूमि से जुड़ा हुआ है। भारत एक विविध और समृद्ध देश है, जो अपनी अनोखी धरोहरों और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की विविधता में एकता एक अद्वितीय विशेषता है, जहाँ विभिन्न जाति, धर्म, संस्कृति और परंपरा के लोग एक साथ रहते हैं जिससे यह अद्वितीय देश बना है, जो पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान रखता है। भारत की धार्मिक विविधता, त्योहार और उत्सव, कला और साहित्य, परंपराएं और रीति-रिवाज से पता चलता है कि भारत की संस्कृति कितनी विविध और समृद्ध है, और यह कैसे विभिन्न प्रकार से व्यक्त की जाती है।
भारत का जन्म एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक प्रक्रिया से हुआ है, जो कई सदियों में विकसित हुई है। सिंधु घाटी सभ्यता, वैदिक काल, महाजनपद, मौर्य साम्राज्य, स्वतंत्रता संग्राम। इन घटनाओं और सांस्कृतिक विकासों ने भारत को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत एक अमूल्य धरोहर है, जिसने अपनी विविधता, समृद्धि और सांस्कृतिक विरासत से अपनी एक अलग पहचान बनाई है। भारत में 22 आधिकारिक भाषाएँ और कई अन्य बोलियाँ बोली जाती हैं तथा विभिन्न संस्कृतियाँ अपनी परंपराओं, रीति-रिवाजों के साथ आती हैं।
विभिन्न त्योहार और उत्सव विशिष्ट प्रकार से अलग-अलग राज्यों में मनाए जाते हैं। भारत की अंतरराष्ट्रीय पहचान विविध और समृद्ध है, जो इसकी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक महत्ता को दर्शाती है। भारत की प्राचीन योग परंपरा शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। भारत की आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति आज विश्व भर में प्राकृतिक उपचार और स्वास्थ्य देखभाल के लिए प्रचलित हो चुकी है। वहीं, भारत के शास्त्रीय संगीत और नृत्य ने अपनी विविधता और सृजनात्मकता के कारण विश्व भर में अपनी एक अलग ही पहचान बनाई है।
भारत शब्द बोलते ही राष्ट्रीयता का बोध होता है चाहे वह ऐतिहासिक महत्व हो (सिंधु घाटी सभ्यताः भारत की प्राचीन सभ्यता और संस्कृति का प्रतीक) और चाहे वह वैदिक काल हो (भारत की वैदिक परंपरा और संस्कृति का प्रतीक है, जो इसकी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता को दर्शाता है)। भारत नाम ही राष्ट्रीय प्रतीक है, गौरव और महत्ता से परिपूर्ण है, जो देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने में मदद करती है। भारत का तिरंगा झंडा देखकर और राष्ट्रीय गीत को सुनकर हर भारतीय का अपने देश के प्रति प्रेम तथा गौरव जागता है। यदि हम भारत में ज्ञान की बात करें तो भारत एक समृद्ध ज्ञान का स्रोत है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
भारत के प्राचीन ग्रंथ, जैसे कि वेद और उपनिषद, ज्ञान के महत्वपूर्ण स्रोत हैं। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भारत की आयुर्वेद और योग परंपरा विश्वभर में प्रसिद्ध है। इसी प्रकार गणित और खगोल विज्ञान भी महत्वपूर्ण हैं, जैसे कि शून्य का आविष्कार और ग्रहों की गति की गणना। भारत आईटी और सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में भी एक प्रमुख खिलाड़ी उभर कर आया है, जो विश्वभर में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहा है।
भारत में शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार और उद्यमिता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है, जो देश की शिक्षा, शोध तथा आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इन पहलुओं से पता चलता है कि भारत ज्ञान का एक समृद्ध सागर है, जिसमें विभिन्न प्रकार का ज्ञान समाहित है।
भारत में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आने से ज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण दस्तावेज उपलब्ध हुआ है जो देश की शिक्षा प्रणाली को आकार देने और भविष्य की पीढ़ियों को तैयार करने के लिए एक सराहनीय कदम है। यह नीति कुछ प्रमुख उद्देश्यों और परिवर्तनों को शामिल करती है जैसे शिक्षा का अधिकार, मातृभाषा में शिक्षा, उच्च शिक्षा में सुधार, शिक्षकों की गुणवत्ता में सुधार, अनुसंधान और नवाचार, शिक्षा तथा शोध पर खर्च। शिक्षा में इस प्रकार के बदलाव ने ज्ञान के वह द्वार खोल दिए हैं, जिससे कि भारत का नाम- ‘ज्ञान का अनमोल रत्न’ जीवंत होकर साकार हो गया है।
भारतीयता में राष्ट्रीयता की भावना एक ऐसा दीपक है, जो देश की एकता, अखंडता और राष्ट्रीय गौरव को उज्वलित करता है और हम भारतवासी ‘भारत’ शब्द से राष्ट्रीयता के बोध से संकल्पित होते है, यही कारण है जिससे हम भारतीय होने पर गर्व करते हैं, क्योंकि भारत एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, ऐतिहासिक महत्व और आधुनिक उपलब्धियों वाला देश है। भारत एक अमूल्य धरोहर है, जो अपनी विविधता, समृद्धि और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। भारत की स्वतंत्रता के 78 वर्ष पूरे होने पर हम गर्व से कह सकते हैं- हम भारतीय हैं, हम ज्ञान के रत्न हैं, जो अपनी चमक से एक अलग पहचान बनाकर पूरे विश्व में उजागर हुए हैं।





