

India-Pak War: यह विराम है, पूर्ण विराम नहीं !
रमण रावल
जो लोग यह सोचते हैं कि इस बार तो भारत जिस तैयारी में है, पाकिस्तान को घुटनों पर लाकर ही दम लेगा या इसके बाद पाकिस्तान कभी भारत के सामने सिर उठाकर नहीं चल सकेगा तो वैसा कुछ नहीं होने वाला। उसकी वजह है पाकिस्तान की फितरत। जिस तरह कुत्ते की दुम 13 साल तक भोंगली में रखने के बाद भी टेढ़ी ही रहती है। तो क्या उसे सीधा करने का कोई जतन ही न किया जाये? संभवत: भारत उसी राह पर आगे बढ़ रहा है,जिसका पहला पड़ाव है-युद्ध विराम। इसे पाक सेना ने नहीं माना है, जो भारत की कूटनीतिक बढ़त है। इस बार लड़ाई मैदान के साथ-साथ सभी स्तरों पर होगी कि ज्यों-ज्यों समय बीतेगा,भारत के रणनीतिक-कूटनीतिक प्रहार के घावों से पाकिस्तान बौखलाया घूमेगा।
आइये,कुछ बिंदुओं में समझते हैं-
## सबसे प्रमुख और पहली बात तो यह कि पाकिस्तान कभी-भी परमाणु बम का उपयोग करने की भयंकर भूल नहीं कर सकता। वह इसलिये कि वह एक बम कहीं डाल भी दे और भारत उसे नाकाम न कर सके(जिसकी संभावना शून्य है) यह हो भी जाये तो फिर वह भारत को परमाणु हमले से कैसे रोक पायेगा? दुनिया का कोई भी देश फिर हमें उपदेश देने या रोकने की स्थिति में नहीं रहेगा। तब पाकिस्तान का सर्वनाश कौन रोक पायेगा? मौजूदा भारत सरकार ऐसा करने में सक्षम,दृढ़ प्रतिज्ञ है।
## इसे ऐसे समझें कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद अमेरिका या रूस ने लंबे समय चले युद्धों के बावजूद कभी इसका उपयोग नहीं किया। रूस अफगानिस्तान में, अमेरिका वियतनाम में,इराक में और अफगानिस्तान में इसका उपयोग क्यों नहीं कर पाया? रूस ने अभी तक यूक्रेन से युद्ध में इसका इस्तेमाल क्यों नहीं किया ? इजराइल ने फलस्तीन पर क्यों नहीं परमाणु बम चलाया ? इसलिये पाकिस्तान धमकी कितनी ही दे डाले,उसके हाथ परमाणु बम के स्विच तक नहीं पहुंच सकते।
## इस बार 1965 व 1971 की तरह पूर्ण युद्ध शायद ही हो। पूर्ण युद्ध याने जिसमें पैदल सेना भी बराबरी से पाक सीमा में लाहौर,कराची,इस्लामाबाद तक पहुंचकर हमले करे और तिरंगा फहरा दे।विज्ञान-ततकनीक के इस युग में इस पारंपरिक तरीके की ज्यादा अहमियत नहीं रहती। ड्रोन,मिसाइल,मोर्टार,तोपें गरजती रहेंगी, लेकिन समय-समय पर । यह पहले प्रति उत्तर में होगा,फिर आत्म सुरक्षा में । तब पाकिस्तान किसी के भी आगे मिमियाये,भारत को फर्क नहीं पड़ेगा।
## पाकिस्तान यह जताने के लिये छिटपुट हमले जारी रखेगा, ताकि वह भारत को यह दर्शाये कि वह हमसे डरता नहीं है और लड़ने में सक्षम है। साथ ही अपने नागरिकों को यह जताने के लिये भी कि वह भारत से लड़ने में सक्षम है। दुनिया से भीख लेने के लिये कि हमें भारत से खतरा है, ताकि जो आर्थिक मदद मिले ,उससे अपनी जेबें भरी जा सकें। ये परस्पर हमले दो-तीन महीने जारी रह सकते हैं, जब तक कि विश्व समुदाय दोनों देश पर दबाव न बढ़ाये।
## पाकिस्तान बना है, तबसे आतंकवाद,सफेद झूठ बोलना,सीमा पर अकारण गोलीबारी,आतंकवादियों को कवर फायर देकर हमारी सीमा में प्रवेश कराना,अपने यहां आतंकवादियों के प्रशिक्षण शिविर संचालित करना,उन्हें हथियार,धन से लेकर तो हर तरह की मदद करना उनकी दिनचर्या है। उसे वह नहीं छोड़ सकता।
## पाकिस्तान के नेता व सेना के बीच इस राष्ट्र के गठन के समय से ही अनबन चल रही है। साथ ही वे समान रूप से अति भ्रष्ट हैं। जब तक हित सधते हैं, साथ रहते हैं। जब टकराते हैं तो आपस में तलवारें खींच जाती हैं।
## फलस्तीन व पाकिस्तान की मानसिकता एकसमान है। दोनों अविश्वसनीय,उग्र,हिंसक,प्रतिशोधी,अड़ियल,क्रूर और किसी भी तरह की नीति-नियम,नैतिकता को न मानने वाले हैं। इसलिये,इनकी कभी वचनबद्धता भी नहीं रही और कोई इन पर रत्ती भर यकीन भी नहीं करता। इसीलिये फलस्तीन ने अभी-भी सारे बंधक नहीं छोड़े, जबकि उसके हजारों नागरिक मारे जा चुके हैं और गाजा पट्टी पूरी तरह बरबाद हो चुकी है। वह इजराइल की जेलों में बंद करीब 4 हजार फलस्तीनियों को रिहाई की मांग पर अड़ा है। याने लगभग पूरी बरबादी के बावजूद उसे वे लोग चाहिये, जो इजराइल के लिये आतंकवादी हैं। इसी तरह पाकिस्तान ने शिमला समझौते में अपने 90 हजार सैनिक तो हमसे ले लिये थे, लेकिन हमारे कुछेक दर्जन जवानों के बारे में तो न कभी स्वीकारोक्ति दी, न रिहा किया, न आज तक ये बताया कि उनका हुआ क्या? यह हमारी तत्कालीन सरकार की घनघोर कमजोरी तो थी ही।
## पाकिस्तान का अस्तित्व अस्थिरता,हिंसा पर ही आधारित है। वह इस आ़ड़ में दुनिया भर में कटोरा लेकर घूमता रहता है। जो मदद मिलती है,उसे अपनी जनता तक पहुंचाने की बजाय उसका 80 प्रतिशत तक फर्जी खर्च के जरिये नेता-सेना आपस में बांट लेती है। याने न सेना के लिये अपेक्षित हथियार खरीदे जाते हैं, न जनता के लिये राशन-पानी,नागरिक सुविधायें। जो हथियार खरीदते हैं, उसका बड़ा हिस्सा आतंकवादियों को दे दिया जाता है।