भारत के पास अभी भी तीन पदक जीतने का मौका

नीतू घनघस ने महिला वर्ल्ड चैंपियनशिप में जीता गोल्ड

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भारत के पास अभी भी तीन पदक जीतने का मौका

नई देहली: भारत की स्टार मुक्केबाज नीतू घनघस (48 किग्रा) ने शनिवार को वर्ल्ड चैंपियनशिप में मंगोलिया की लुत्साइखान अल्तानसेटसेग को हराकर भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक जीता। कॉमनवेल्थ खेलों की स्वर्ण पदक विजेता नीतू घनघस वर्ल्ड चैंपियन बनने वाली छठी भारतीय मुक्केबाज बन गई हैं। नीतू घनघस ने शानदार प्रदर्शन करते हुए अल्तानसेत्सेग को 5-0 से हराया और खचाखच भरी भीड़ के सामने बिना एक भी अंक गंवाए खिताब अपने नाम किया। नीतू ने आक्रामक शुरुआत की जिस कारण वह यह खिताब अपने नाम कर सकीं। उन्होंने कजाकिस्तान की एशियाई चैंपियन अलुआ बाल्किबेकोवा को 5-2 से हराकर फाइनल में जगह बनाई थी।

ये खिलाड़ी जीत चुके हैं गोल्ड
मैरी कॉम (2002, 2005, 2006, 2008, 2010 और 2018), सरिता देवी (2006), जेनी आरएल (2006), लेखा केसी (2006), और निकहत ज़रीन (2022) के बाद वह ऐसा करने वाली छठी भारतीय खिलाड़ी बनी हैं। नीतू के साथ, भारत के तीन अन्य स्टार मुक्केबाजों ने भी इस आयोजन के फाइनल में जगह बनाई है। निकहत जरीन (50 किग्रा) ने रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता कोलंबिया की इंग्रिट वालेंसिया को 5-0 से हराया और लवलीना बोरगोहेन (75 किग्रा) ने चीन की ली कियान को 4-1 से हराकर फाइनल में प्रवेश किया। जबकि स्वीटी बूरा (81 किग्रा) ऑस्ट्रेलिया की सू-एम्मा ग्रीनट्री को 4-3 से हराकर अपने दूसरे वर्ल्ड चैंपियनशिप में पहुंची।

फाइनल में निकहत का सामना दो बार की एशियाई चैंपियन वियतनाम की गुयेन थी टैम से होगा। रविवार को फाइनल में लवलीना का सामना ऑस्ट्रेलिया की कैटलिन पार्कर से होगा। वहीं स्वीटी का सामना चीन की वांग लीना से होगा। कुल मिलाकर देखा जाए तो भारत अभी भी इस टूर्नामेंट में तीन और स्वर्ण पदक अपने नाम कर सकता है। भारत की बेटियों ने हमेशा से इस बड़े टूर्नामेंट में अपने देश का नाम ऊंचा किया है।