भारत के ‘रत्न’ हैं हमेशा के लिए ‘मौन’ हो चुके ‘मनमोहन’…

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भारत के ‘रत्न’ हैं हमेशा के लिए ‘मौन’ हो चुके ‘मनमोहन’…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भले ही प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए विवादों में रहे हों, लेकिन भारत के लिए उनके योगदान का आकलन उन्हें हमेशा भारत के रत्नों में शुमार करेगा। भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व में आज जो भी स्थान हासिल हो रहा है, उसकी नींव के मजबूत पत्थर ‘मनमोहन’ ही हैं। उसी नींव पर आज बुलंद इमारत खड़ी है। प्रधानमंत्री पद पर रहते उनकी छवि का विवादों से नाता भले जुड़ा हो, पर इससे उनके देश के प्रति योगदान को कम करके नहीं आंका जा सकता। पीवी नरसिम्हाराव ने एक विशुद्ध गैर राजनैतिक व्यक्ति को वित्त मंत्री बनाकर भारत में उदारीकरण की गंगा बहाई थी, उससे दुनिया में देश की आर्थिक साख बनी थी। डॉ. मनमोहन सिंह ने इससे पहले देश के वित्त मंत्री पद पर आसीन होने की कल्पना नहीं की होगी और उसके बाद प्रधानमंत्री पद पर आसीन होने का सपना भी नहीं संजोया होगा। उनके इसी भाव और नेकनियती पर गांधी परिवार की नजर पड़ी और वह लगातार दो बार प्रधानमंत्री पद पर आसीन हुए। उनके बाद लगातार बनी भाजपा सरकार ने उन्हें वित्त मंत्री बनाने वाले पीवी नरसिम्हाराव को मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ से नवाज दिया और उनके वित्त मंत्री रहे प्रणव मुखर्जी को जिंदा रहते ‘भारत रत्न’ से नवाज दिया। और भी कई नाम हैं जिन्हें भारत रत्न का सम्मान दिया गया। पर देश के पहले सिख प्रधानमंत्री और देश के चौथे सर्वाधिक समय तक मुख्यमंत्री रहे मनमोहन सिंह इससे वंचित रहे। जिस तरह 2004 से 2014 तक रही केंद्र में कांग्रेसनीत सरकार ने अटल बिहारी वाजपेयी को ‘भारत रत्न’ के सम्मान से दूर रखा था, ठीक उसी तरह केंद्र की भाजपानीत सरकार ने मनमोहन को ‘भारत रत्न’ सम्मान से दूर रखा। वह भी आम आदमी की नजरों में गलत था और यह भी आम आदमी की नजर में गलत है। राजनीति में ऐसे उदाहरणों में एपीजे अब्दुल कलाम का दोबारा राष्ट्रपति न बन पाना भी शामिल है। हालांकि ऐसे कई और उदाहरण भी भारतीय दलीय राजनीति की विडंबना ही माने जा सकते हैं। हो सकता है मनमोहन सिंह भी देश के उन रत्नों में शामिल हो जाएं, जिन्हें मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया है, पर यह संतोष करने वाली बात ही होगी। डॉ. मनमोहन सिंह अब हमेशा के लिए मौन हो चुके हैं और उन्होंने जिंदा रहते भी कभी ऐसे सम्मान की लालसा नहीं रखी होगी वरना वह कांग्रेस के उन प्रधानमंत्री की सूची में भी शुमार हो सकते थे जिन्हें पद पर रहते ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था।

खैर इस बात को छोड़ते हैं। हो सकता है यह डॉ. मनमोहन सिंह के प्रति गैर राजनैतिक आकलन माना जाए। पर इस बात में कोई शक नहीं है कि मनमोहन सिंह की गिनती हमेशा नेकदिल, बुद्धिमान और अच्छे इंसान के रूप में होगी। उनकी ईमानदारी हमेशा संदेह से परे रहेगी।कनौज से बीजेपी विधायक असीम अरुण (पूर्व आईपीएस) एवं राज्य मंत्री की पूर्व प्रधानमंत्री स्व. मनमोहन सिंह के नाम एक मार्मिक पोस्ट पठनीय है। उन्होंने लिखा है कि ‘मैं 2004 से लगभग तीन साल उनका बॉडी गार्ड रहा। एसपीजी में पीएम की सुरक्षा का सबसे अंदरुनी घेरा होता है – क्लोज़ प्रोटेक्शन टीम जिसका नेतृत्व करने का अवसर मुझे मिला था। एआईजी सीपीटी वो व्यक्ति है जो पीएम से कभी भी दूर नहीं रह सकता। यदि एक ही बॉडी गार्ड रह सकता है तो साथ यह बंदा होगा। ऐसे में उनके साथ उनकी परछाई की तरह साथ रहने की जिम्मेदारी थी मेरी। डॉ. साहब की अपनी एक ही कार थी – मारुति 800, जो पीएम हाउस में चमचमाती काली बीएमडब्ल्यू के पीछे खड़ी रहती थी। मनमोहन सिंह जी बार-बार मुझे कहते- असीम, मुझे इस कार में चलना पसंद नहीं, मेरी गड्डी तो यह है मारुति। मैं समझाता कि सर यह गाड़ी आपके ऐश्वर्य के लिए नहीं है, इसके सिक्योरिटी फीचर्स ऐसे हैं जिसके लिए एसपीजी ने इसे लिया है। लेकिन जब कारकेड मारुति के सामने से निकलता तो वे हमेशा मन भर उसे देखते। जैसे संकल्प दोहरा रहे हो कि मैं मिडिल क्लास व्यक्ति हूं और आम आदमी की चिंता करना मेरा काम है। करोड़ों की गाड़ी पीएम की है, मेरी तो यह मारुति है।’ यह भारत के ‘रत्न’ मनमोहन सिंह के व्यक्तित्व की अनूठी झलक है।

मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को हुआ था और उनकी मृत्यु भी 92 साल की उम्र में 26 दिसम्बर 2024 को हुई। आठ अंक वालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हैं। वह भारत के प्रधानमन्त्री रहेे। पर मूल रूप से एक अर्थशास्त्री थे। लोकसभा चुनाव 2009 में मिली जीत के बाद वे जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत के पहले ऐसे प्रधानमन्त्री बने, जिनको पाँच वर्षों का कार्यकाल सफलता पूर्वक पूरा करने के बाद लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिला था। वह 21 जून 1991 से 16 मई 1996 तक पीवी नरसिंह राव के प्रधानमंत्रित्व काल में वित्त मन्त्री के रूप में किए गए आर्थिक सुधारों के लिए भी श्रेय दिया जाता है। मनमोहन सिंह का जन्म ब्रिटिश भारत के पंजाब में हुआ था। उनकी माता का नाम अमृत कौर और पिता का नाम गुरुमुख सिंह था। देश के विभाजन के बाद सिंह का परिवार भारत चला आया। यहाँ पंजाब विश्वविद्यालय से उन्होंने स्नातक तथा स्नातकोत्तर स्तर की पढ़ाई पूरी की। बाद में वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय गये। जहाँ से उन्होंने पीएच. डी. की। तत्पश्चात् उन्होंने आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डी. फिल. भी किया। उनकी पुस्तक इंडियाज़ एक्सपोर्ट ट्रेंड्स एंड प्रोस्पेक्ट्स फॉर सेल्फ सस्टेंड ग्रोथ भारत की अन्तर्मुखी व्यापार नीति की पहली और सटीक आलोचना मानी जाती है। डॉ॰ सिंह ने अर्थशास्त्र के अध्यापक के तौर पर काफी ख्याति अर्जित की। वे पंजाब विश्वविद्यालय और बाद में प्रतिष्ठित दिल्ली स्कूल ऑफ इकनामिक्स में प्राध्यापक रहे। इसी बीच वे संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन सचिवालय में सलाहकार भी रहे और 1987 तथा 1990 में जेनेवा में साउथ कमीशन में सचिव भी रहे। 1971 में डॉ॰ सिंह भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मन्त्रालय में आर्थिक सलाहकार के तौर पर नियुक्त किये गये। इसके तुरन्त बाद 1972 में उन्हें वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार बनाया गया। इसके बाद के वर्षों में वे योजना आयोग के उपाध्यक्ष, रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमन्त्री के आर्थिक सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष भी रहे हैं। भारत के आर्थिक इतिहास में हाल के वर्षों में सबसे महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब डॉ॰ सिंह 1991 से 1996 तक भारत के वित्त मन्त्री रहे। उन्हें भारत के आर्थिक सुधारों का प्रणेता माना गया है। आम जनमानस में ये साल निश्चित रूप से डॉ॰ सिंह के व्यक्तित्व के इर्द-गिर्द घूमता रहा है। डॉ॰ सिंह के परिवार में उनकी पत्नी श्रीमती गुरशरण कौर और तीन बेटियाँ हैं।1985 में राजीव गांधी के शासन काल में मनमोहन सिंह को भारतीय योजना आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। इस पद पर उन्होंने निरन्तर पाँच वर्षों तक कार्य किया, जबकि 1990 में यह प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार बनाए गए। उन्हें 1991 में असम से राज्यसभा के लिए चुना गया।

तो मनमोहन सिंह को कई पुरस्कारों से नवाजा गया। पर वास्तव में वह भारत के ‘रत्न’ हैं। देश के लिए उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा। वास्तव में कहा जाए तो विवादों में रहने के बाद भी वह हमेशा अविवादित रहे। उनका सहज, सरल व्यक्तित्व हमेशा जन-जन में उनका विशिष्ट स्थान बनाकर रखेगा।