INDIA Meeting : INDIA की बैठक में सहमति से ज्यादा खींचतान होने की ख़बरें!

ममता बैनर्जी ने कांग्रेस को अपनी 'जमींदारी संस्कृति' को छोड़ने को कहा!

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INDIA Meeting : INDIA की बैठक में सहमति से ज्यादा खींचतान होने की ख़बरें!

New Delhi : आज मंगलवार को विपक्षी गठबंधन की बैठक हुई। इस बैठक में राजनीतिक दलों की केमिस्‍ट्री में मतभेद भी दिखाई दिए। एक दिलचस्‍प दृश्य राहुल गांधी, ममता बनर्जी और सीताराम येचुरी का एक फ्रेम में होने का था। बैठक में राहुल के दाएं हाथ पर ममता बैठी थीं। बाएं हाथ पर सीताराम येचुरी। राहुल लेफ्ट की और झुककर येचुरी से चुपचाप कुछ बोल रहे हैं। दोनों की इस गुपचुपबाजी से अलग ममता कुछ लिखने में बिजी रही।

विपक्षी गठबंधन की बैठक से पहले तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस से अपनी ‘जमींदारी संस्कृति’ को छोड़ने को कहा। पार्टी ने अपील की कि ममता बनर्जी जैसे वरिष्ठ नेताओं को गठबंधन के चेहरे के तौर पर पेश करने की दिशा में काम करना चाहिए। टीएमसी और कांग्रेस दोनों ही इस गठबंधन में शामिल हैं। ममता ने 2024 लोकसभा चुनाव के बाद गठबंधन की तरफ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार का नाम घोषित करने की वकालत की है।

गठबंधन की नींव पड़ने वाले दिन से ही इसके भविष्‍य पर सवाल उठते रहे। सबसे बड़ी वजह यही है कि इस गठबंधन में कई राजनीतिक दुश्मन साथ हैं। वाम दल और तृणमूल कांग्रेस भी उन्‍हीं में हैं। इन दो दुश्‍मनों को कांग्रेस अपने हिसाब से साधती रही है। इस समय कांग्रेस का पलड़ा लेफ्ट की तरफ झुका दिख रहा है। इसकी वजह ममता बनर्जी के तेवर हैं।

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में बंपर जीत के बाद से ही ममता बनर्जी कांग्रेस और राहुल गांधी पर हमलावर हुई थी। यहां तक कि उन्‍होंने राहुल की नेतृत्‍व क्षमता पर भी सवाल उठाए। यह सही है कि हिमाचल और कर्नाटक की जीत के बाद राहुल को लेकर ममता के तेवर हल्‍के नरम पड़े। लेकिन, दोबारा अब वही रुख दिखने लगा है।

राजनीतिक दुश्मनी, पर गठबंधन में साथ
विपक्षी गठबंधन INDIA के घटक दलों के बड़े नेताओं ने आज यहां बैठक की। इस दौरान अगले लोकसभा चुनाव के लिए कई मुद्दों पर चर्चा हुई। इनमें सीट शेयरिंग, साझा जनसभा और नए सिरे से स्‍ट्रैटेजी बनाना शामिल था। गठबंधन के सामने सबसे बड़ी चुनौती सीट शेयरिंग की गुत्‍थी को सुलझाना है। घूम-फिरकर यहीं पर पूरी गाड़ी अटकी है। इसलिए कि उनमें सबसे बड़ी है हितों का टकराव। गठबंधन में शाम‍िल कुछ दल एक-दूसरे के विरोधी हैं।

इन्‍होंने एक-दूसरे से लड़कर अपनी पिच तैयार की है। ऐसे में निकले दांतों को बैठाना आसान नहीं है। दूसरी तरफ कांग्रेस खुद को दोबारा खड़ा करने की फिराक में है। स्‍थानीय दल उसे खेलने के लिए ज्‍यादा मैदान देकर अपनी सालों की मेहनत पर पानी नहीं फेर सकते। इस द्वंद्व को मैनेज करते ही सारे रास्‍ते खुलने हैं। लेकिन, यही सबसे बड़ा पेच भी है।