पंडित अरविंद तिवारी की रिपोर्ट
दुनिया में तेल के भाव बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं जिसके चलते यूरोपियन यूनियन के प्रमुख देश केवल और केवल रसिया के तेल और गैस पर निर्भर है. इस निर्भरता के चलते यूरोपियन यूनियन दो फाड़ हो गई है. जिसमें जर्मनी और हंगरी एक तरफ है जोकि रूबल में रूस को पेमेंट कर रहे हैं वहीं अन्य विशेष असमंजस में है कि वह क्या करें?
भारत ने इस मामले में अपनी तेल कूटनीति के जरिए रूस पर यह दबाव बनाया है कि वह 70 डॉलर पर बैरल से भी कम कीमत में भारत को तेल दे क्योंकि भारत का यह मानना है कि वह यूरोपियन यूनियन और अमेरिका के दबाव को लगातार झेल रहा है और उसको इसकी कीमत चाहिए, वहीं रूस इस बात पर विचार कर रहा है कि भारत को 60 से 65 डॉलर पर बैरल के हिसाब से तेल निर्यात किया जाए.