Indication of Low Turnout : जिन 3 चरणों में कम मतदान हुआ भाजपा को उनमें सीटें भी कम मिली!
7 में से तीन चरणों में भाजपा को नुकसान ज्यादा हुआ!
New Delhi : इस बार के लोकसभा चुनाव के समय कम मतदान को लेकर कई बार बातचीत हुई। लेकिन, किसी ने इस इशारे को नहीं समझा कि मतदाताओं का कम मतदान का रुझान आखिर क्या कह रहा था। चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद समझ आया कि ये भाजपा के खिलाफ एंटी इंकम्बेंसी का संकेत था। जब नतीजे निकले तो स्पष्ट हुआ कि मतदान के जिन चरणों में कम मतदान हुआ, उनमें भाजपा की सीटें घटी है।
नतीजों ने साबित किया कि भाजपा सबसे बड़ी पार्टी जरूर बनी, लेकिन बहुमत से दूर रही। कांग्रेस को खुद को भले ही 99 सीट मिली हो, पर उसने भाजपा को 241 पर ही रोक दिया। लेकिन, दोनों प्रमुख पार्टियां गठबंधन के साथ चुनाव लड़ी, इसलिए भाजपा के एनडीए को 290 से ज्यादा सीटें मिली और वह सरकार बनाने की स्थिति में आ गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीए के लोकसभा चुनाव अभियान की शुरुआत ‘अबकी बार-400 पार’ के नारे से की थी, लेकिन एनडीए 292 सीटों से आगे नहीं बढ़ सका। सात चरणों में हुए लोकसभा चुनाव का विश्लेषण किया जाए तो भाजपा भाजपा को बीच के चरणों में अच्छी सीटें मिलीं। लेकिन, सभी चरणों में नहीं!
सात चरणों में हुआ मतदान
पहले चरण के मतदान की शुरुआत 19 अप्रैल को हुई थी। इस चरण में 102 सीटों पर वोट डाले गए और भाजपा को 30 सीटों पर जीत मिली। जबकि, 27 सीटें कांग्रेस को, 22 डीएमके, 4 समाजवादी पार्टी को और 2 सीट सीपीआई के खाते में गईं। 17 सीटों पर अन्य दलों के उम्मीदवारों को जीत मिली। 26 अप्रैल को 87 सीटों पर दूसरे चरण का मतदान हुआ। ये चरण भाजपा के लिए अच्छा रहा। उसने 46 सीटों पर झंडा गाड़ा।कांग्रेस को 17, शिवसेना (यूबीटी) को 3, आईयूएमएल को 2, जेडीएस को 2 और अन्य दलों को 17 सीटें मिलीं।
तीसरे चरण में 7 मई को 94 सीटों पर वोट डले। भाजपा ने इसमें सबसे ज्यादा 57 सीट जीती। इसके अलावा कांग्रेस को 15, समाजवादी पार्टी को 6, जेडीयू को 3 और टीएमसी को 2 सीटों पर जीत मिली। 11 सीटें अन्य दलों के खाते में गईं। चुनाव का चौथा चरण 13 मई को था और इसमें 96 सीटों पर मतदान हुआ। भाजपा को इस चरण में 39 पर जीत मिली। 14 सीटें कांग्रेस, 16 तेलुगू देशम पार्टी, 7 तृणमूल कांग्रेस, 4 वाईएसआरसीपी और 16 सीटें अन्य दल अपने हिस्से में गई।
पांचवें चरण के बाद भाजपा को नुकसान
चुनाव के अंतिम तीन चरण भाजपा के लिए फायदेमंद साबित नहीं हुए। पांचवें चरण में 20 मई को 49 सीटों पर वोट डाले गए। इनमें भाजपा को केवल 19 सीटों पर ही जीत मिली। कांग्रेस ने 5 और समाजवादी पार्टी ने 7 सीटें जीती। 6 सीटें टीएमसी और 4 सीटें शिवसेना (यूबीटी) को मिलीं। 8 सीटों पर अन्य दलों के उम्मीदवार जीते। 58 सीटों पर छठे चरण में 25 मई को मतदान हुआ। भाजपा ने इस चरण में 31 सीटें जीती। बाकी सीटों में समाजवादी पार्टी को 10 और 6 पर कांग्रेस के उम्मीदवार जीते। इस चरण में जेडीयू और टीएमसी को 4-4 सीटें मिलीं। 3 सीटें अन्य दलों के हिस्से में गईं।
भाजपा को अंतिम चरण में 17 सीट मिली
7वें और आखिरी चरण के तहत 1 जून को मतदान हुआ। इसमें 57 सीटें थीं, जिनमें भाजपा को 17 सीटों पर ही जीत मिल पाई। कांग्रेस और टीएमसी ने 9-9 सीटों पर जीत हासिल की। 7वें चरण में समाजवादी पार्टी को 6 और आम आदमी पार्टी को 3 सीटें मिलीं। 13 सीटों पर अन्य दलों के उम्मीदवार जीते। इन आंकड़ों से साफ है कि भाजपा ने दूसरे चरण से लेकर पांचवें चरण तक अच्छी सीटें हासिल कीं। लेकिन, पहले और बाद के तीन चरणों में पार्टी को उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली।