कमलेश सेन की रिपोर्ट
भीषण गर्मी के बाद लोगों के साथ जमीन के बसने वाले सभी जीव-जंतुओं को ठंडक का इंतजार रहता है। इस साल देश में मानसून के क्या हाल रहेंगे, कैसी बरसात होगी और कितनी होगी। उसके आकलन के लिए भारतीय मौसम विभाग हर साल अपनी भविष्यवाणी जारी करता है।
इस साल (2022) भारतीय मौसम विभाग द्वारा सामान्य मानसून की भविष्यवाणी जारी की है। इसका आधार वैज्ञानिक रहता है और पूर्व की सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखकर जारी की जाती है। इस तरह यह माना जाएगा की इस साल अच्छी बारिश होने का अनुमान है। इस बरसात से किसान के साथ व्यापारी भी इस अनुमान से खुश होंगे।
हमारे देश में किसी भी काम करने के वैज्ञानिक तरीकों के आलावा भी कई प्राचीन और देसी तरीके अपनाए जाते हैं। ठीक इसी तरह भारतीय किसान और सामान्य जनमानस बरसात हो या न हो, मौसम का हाल जानने के लिए प्राचीन परम्परागत तरीकों से वर्षा और उसके अनुमान को जानने का प्रयास करता है।
‘घाघ और भड्डरी’ की मौसम को लेकर कहीं गई कई सटीक बातें आज भी कसौटी पर खरी उतरती है।
पश्चिम राजस्थान के किसान आज भी बारिश के अनुमान के लिए मिट्टी के पांच छोटे मटके जो सभी एक साइज और आकार के होते हैं, उनमें सभी में एक सामान पानी भरकर रखता जाता है। उन पांचो पात्रों का नामाकरण भी किया जाता है, जैसे जेठ, आषाढ, सावन, भादो और आश्विन। जो पात्र पहले पानी के दवाब से फूट जाता है, उस माह में अच्छी बारिश का अनुमान लगाया जाता है। इस साल सावन माह का पात्र पहले फूटा तो यह माना जाएगा कि सावन में मूसलाधार बारिश होगी।
बारिश आने से पहले चींटियां ऊंचाई पर चढ़ने लगती है और अपने अंडे सुरक्षित स्थान पर रख देती है। इससे अनुमान लगाया जाता है कि अब बारिश होने वाली है। जेठ माह के अंतिम दिनों में मेंढक अपनी टर्र-टर्र करे तो यह माना जाता है कि बारिश जल्दी होने वाली है। कुछ जानकार और किसान टिटहरी के अंडे देने के तरीके से भी वर्षा का सटीक अनुमान लगा लेते है। मोर के नाचने से भी बारिश का इसी तरह का अनुमान लगाया जाता है। ठीक इसी तरह नीम के पेड़ से निम्बोली के पककर गिरने से भी बारिश का अनुमान लगाया जाता है।
बारिश लाने के टोटके भी कम नहीं
भारत में बारिश को बुलवाने के भी कई टोने टोटके के उपाय किए जाते हैं। मेंढक और मेंढकी की शादी, शवयात्रा का स्वांग आदि तरीके से वर्षा को बुलाया जाता है।
वास्तविक जीवन में ये कितने सटीक और सही रहते हैं, इसका कोई दावा नहीं किया जा सकता। ये तभी सच माना जाता है जब ये सही निकलती है। हम भी उम्मीद करें कि इस साल भी अच्छी बारिश होगी और नदी तालाब पोखर भरपूर भर जाएंगे।