Indore: Kalicharan Relation With Bhayyu Maharaj : भय्यू महाराज के अलावा भी कालीचरण इंदौर के कई आश्रमों से जुड़ा

वैचारिक मतभेद होने से भय्यू महाराज ने बाद में अलग किया

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Indore: Kalicharan Relation With Bhayyu Maharaj

Indore: Kalicharan Relation With Bhayyu Maharaj

Indore : खजुराहो से पकड़े गए कथित महाराज कालीचरण का कभी इंदौर के आध्यात्मिक संत भय्यू महाराज (Spiritual Saint Bhaiyyu Maharaj) से गहरा संबंध था। उसे अकसर इंदौर में भय्यू महाराज के आश्रम और मंदिर में देखा जाता रहा। लेकिन, 2018 में भय्यू महाराज की मौत के बाद उसका आना कम हो गया।

महात्मा गांधी को अपशब्द कहने वाले कालीचरण के खिलाफ कई राज्यों में मामले (Cases Against Kalicharan in Many States) दर्ज किए गए हैं। रायपुर में दर्ज मामले पर उसे खजुराहो से गिरफ्तार किया गया है। फ़िलहाल वो 2 दिन के रिमांड पर है।

Indore: Kalicharan Relation With Bhayyu Maharaj

कालीचरण महाराज को भय्यू महाराज ने कुछ जिम्मेदारियां भी दी थी। लेकिन, वैचारिक मतभेद होने से उन्होंने कालीचरण को अलग कर दिया था। फिर भी उनका इंदौर आना जारी रहा। भय्यू महाराज सभी धर्मों को लेकर चलते थे लेकिन कालीचरण की आस्था हिंदुत्व में (Kalicharan’s Faith in Hindutva) होने से दोनों में दूरियां हो गई। महाराष्ट्र में भय्यू महाराज के कार्यक्रमों में भी कालीचरण को देखा जाता था।

Kalicharan Relation With Bhayyu Maharaj

2002 में एक बार अकोला में भय्यू महाराज का कार्यक्रम चल रहा था। उस दौरान कालीचरण महाराज सामने अनुयायियों के साथ बैठा था। इस दौरान भय्यू महाराज ने उसे पास बुलाया और अपने गले में पहनी सोने की रुद्राक्ष की माला Gold Rudraksha Beads उसे भेंट की थी। इसके बाद से कालीचरण महाराज की भय्यू महाराज से नजदीकी बढ़ती गई।

कालीचरण महाराज का इंदौर के बाणगंगा के एक आश्रम में भी आना-जाना है। वह आश्रम में लॉकडाउन के पहले आया था। काटजू कॉलोनी के एक मंदिर परिसर स्थित निवास पर भी उसका आना-जाना था। इंदौर में उसके कई अनुयायी (Many of his Followers in Indore) हैं। आखिरी बार दीपावली पर काटजू कॉलोनी स्थित मंदिर निवास पर तीन दिन ठहरा था। इसके बाद वह यहां से तमिलनाडु, पुणे सहित महाराष्ट्र के अन्य जिलों में गया।

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भय्यू महाराज के आग्रह पर कालीचरण महाराज ने 2003 में इंदौर के सूर्योदय आश्रम के सामने आयोजित कार्यक्रम में ‘शिव तांडव’ स्त्रोत का पाठ भी किया था। भय्यू महाराज ने उसे महाराष्ट्र के खामगांव आश्रम के काली माता मंदिर की जिम्मेदारी भी सौंपी थी। वह भय्यू महाराज के इंदौर, अकोला व महाराष्ट्र के अन्य कार्यक्रमों में शामिल हुआ। उसकी अलग पहचान बनने लगी। 2006-07 के बाद दोनों में धर्म भावनाएं अलग होने से कालीचरण महाराज ने अपना वर्चस्व बनाना शुरू किया।