Indore Traffic : शहर के यातायात को लेकर प्लानिंग कोई नहीं, ट्रैफिक पुलिस का काम सिर्फ वाहन चालकों को रोकना!

ट्रैफिक जाम से हर साल वाहन चालकों के लगभग 20 करोड़ घंटे बर्बाद!

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Indore Traffic : शहर के यातायात को लेकर प्लानिंग कोई नहीं, ट्रैफिक पुलिस का काम सिर्फ वाहन चालकों को रोकना!

Indore : शहर के यातायात को लेकर कोई पुख्ता ठोस प्लानिंग नहीं होने के कारण यातायात बदतर होता जा रहा है। उलझते यातायात और जाम में फंसे वाहनों से वाहन चालकों का समय और पैसा दोनों बर्बाद हो रहा। शहर की दर्जनों सड़कों और चौराहों पर सुबह से शाम तक जाम लगा रहता है। पिछले कई सालों से शहर का यातायात सुधारने के लिए बातें तो खूब हुई, लेकिन कोई ठोस पहल अभी तक नहीं की गई।

तेजी से बढ़ते शहर और उसी गति से बढ़ते दो पहिया, चार पहिया वाहनों के कारण शहर के चारों तरफ चौराहों और सड़कों पर दिन भर ट्रैफिक जाम होता है। एक रिपोर्ट के अनुसार इंदौर शहर में ट्रैफिक जाम से वाहन चालकों के प्रतिवर्ष लगभग 20 करोड़ घंटे बर्बाद होते हैं। शहर में यातायात के नाम पर नगर निगम द्वारा बहुमंजिला पार्किंग बनाई जा रही है और कुछ लेफ्ट टर्न चौड़े किए गए और रोटरियां छोटी की गई। लेकिन, शहर की सड़कों पर खराब यातायात को लेकर कोई ठोस पहल नहीं की गई और न इस बारे में कोई योजना बनाई जा सकी। दूसरी तरफ यातायात पुलिस चौराहों पर वाहन चेकिंग करने और यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर चालानी कार्रवाई तो करती है! लेकिन, खराब होते यातायात की समस्या सुलझाने के लिए कोई योजना नहीं बनाई गई।

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इंदौर से तबादला हुए डीसीपी (यातायात) महेश चंद जैन ने पुलिस जवानों को शहर की सड़कों और चौराहों पर तैनात कर दिया था। नियम तोड़ने से रोकने के लिए सख्ती तो की, लेकिन यातायात व्यवस्था सुधारने के लिए दे दी कोई योजना नहीं बना सके। कुल मिलाकर यातायात पुलिस और नगर निगम दोनों के पास ही शहर की जाम लगने वाली सड़कों और चौराहों का सर्वे नहीं है। जब समस्या की ही पूरी जानकारी नहीं है तो निराकरण कैसे होगा!

संस्थाओं ने की थी यातायात के लिए

एक संस्था ‘दृष्टि मित्र’ द्वारा शहर के 252 प्रमुख चौराहों कि कई बिंदुओं पर जानकारी यातायात पुलिस से मांगी गई थी। इसी तरह राष्ट्रीय उपभोक्ता संस्थान द्वारा अधिक यातायात वाली सड़कों पर लगने वाले जाम और उसके निराकरण के लिए क्या प्रयास किए गए इस संबंध में जानकारी मांगी गई थी। लेकिन, 2 साल बाद भी संस्थाओं को यातायात पुलिस और नगर निगम द्वारा जवाब नहीं दिया गया।

यह है शहर के अव्यवस्थित चौराहे

इंदौर शहरी सीमा में एमजी रोड के गांधीनगर के समीप बीआरटीएस वाला चौराहा, कालानी नगर चौराहा, रामचंद्र नगर चौराहा, बड़ा गणपति, मल्हारगंज चौराहा, गोराकुंड, खजूरी बाजार सुभाष चौक वाला चौराहा, किशनपुरा (एमजी रोड थाना ), जेल रोड, कोठारी मार्केट, गांधी प्रतिमा, हाईकोर्ट, इंद्रप्रस्थ टावर, पलासिया, साकेत नगर, पत्रकार कॉलोनी और बंगाली चौराहा, जिंसी चौराहा, बड़वाली चौकी, इमली बाजार, रामबाग, नगर निगम, चिमनबाग, भंडारी ब्रिज (!जेल रोड ) पोलो ग्राउंड, मरीमाता, 15 वीं बटालियन, इंदौर वायर और वीआईपी रोड के चौराहे, सांवेर रोड पर मॉडर्न चौराहा और लव कुश चौराहा, बीआरटीएस पर देवास नाका चौराहा, शालीमार टाउनशिप, सत्य साईं, विजयनगर, रसोमा, चंद्र नगर, एलआईजी, गीता भवन, एमवाय, जीपीओ, नौलखा, भंवरकुआं और राजीव गांधी चौराहा। जवाहर मार्ग पर राज मोहल्ला भगत सिंह प्रतिमा चौराहा, मालगंज, नरसिंह बाजार, मुंबई बाजार, राजवाड़ा इमली साहिब गुरुद्वारा, आड़ा बाजार, नंदलालपुरा, हाथीपाला, सरदार पटेल प्रतिमा और मधुमिलन सर्किल चौराहा के अलावा मिल क्षेत्र में मालवा मिल चौराहा, पाटनीपुरा, परदेसी पुरा, बापट चौराहा, सायाजी होटल, अनूप टाकीज, एमआईजी थाना चौराहा है। जबकि रिंग रोड पर मुंबई हॉस्पिटल चौराहा, रेडिसन, रोबोट चौराहा, खजराना, बंगाली, मूसाखेड़ी और आईटी पार्क चौराहा पर भी बहुत यातायात रहता है।

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जबकि, पिपलियाहाना और तीन इमली पर ओवरब्रिज बना है। इसके बावजूद यहां भी यातायात की समस्या बरकरार है। आरएनटी मार्ग पर छावनी, अग्रसेन, टॉवर चौराहा, सिंधी कॉलोनी, पलसीकर, कलेक्टर कार्यालय, महू नाका, गंगवाल, चंदन नगर, फूटी कोठी चौराहा सहित शहर में 250 से अधिक ऐसे चौराहे हैं, जहां सुलभ और व्यवस्थित यातायात के लिए पर सर्वे की बहुत जरूरत है। इन चौराहों को लेकर संस्था ‘दृष्टि मित्र’ ने सिग्नल, रोटरी, लेफ्ट टर्न, सड़क की चौड़ाई और पार्किंग आदि कई बिंदुओं पर जानकारी मांगी गई है।

जाम वाली सड़कों पर क्या व्यवस्था

राष्ट्रीय उपभोक्ता संस्थान के अध्यक्ष मुकेश अमोलिया ने अधिक यातायात वाली सड़कों की जानकारी मांगी थी तथा साथ ही यह भी लिखा था कि जिन सड़कों पर अधिक यातायात रहता है वहां यातायात सुलभ करने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं। ज्ञात हो कि शहर की अधिकतम सड़कों पर वाहन चालको को 200 -300 मीटर का रास्ता तय करना मुश्किल हो जाता है।

बनवाई जा रही है प्लानिंग

डीसीपी यातायात मनीष कुमार अग्रवाल का कहना है कि पहले क्या जानकारी मांगी गई और क्या योजना थी इसकी अधिक जानकारी नहीं है। लेकिन उनके द्वारा चौराहों पर सिग्नल की टाइमिंग, रोटरी और पार्किंग कितनी दूरी पर है तथा कौन से चौराहों और सड़कों पर यातायात की समस्या अधिक है इसकी जानकारी जुटाई जा रही है। डाटा जुटाने के बाद इस पर काम भी शुरू कर दिया जाएगा।