
इंदौर की अंतरराष्ट्रीय पैरा एथलीट पूजा गर्ग को “राष्ट्रीय पुरस्कार 2025” — राष्ट्रपति करेंगी सम्मानित
के. के. झा
इंदौर। इंदौर ने एक बार फिर पूरे देश को गौरवान्वित किया है। शहर की बेटी और अंतरराष्ट्रीय पैरा एथलीट कु. पूजा गर्ग (अग्रवाल) को भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा घोषित “राष्ट्रीय पुरस्कार 2025” के लिए चयनित किया गया है। उन्हें यह सम्मान “श्रेष्ठ दिव्यांगजन (Locomotor Disability)” श्रेणी में प्रदान किया जाएगा। यह प्रतिष्ठित सम्मान दिसंबर 2025 में नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय समारोह में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु द्वारा प्रदान किया जाएगा।
*साहस और आत्मबल की मिसाल*
पूजा गर्ग की जीवन यात्रा साहस, आत्मबल और अडिग इच्छाशक्ति की मिसाल है। वर्ष 2010 में एक गंभीर सड़क दुर्घटना में रीढ़ की हड्डी (स्पाइनल कॉर्ड) में चोट लगने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी। लंबी पुनर्वास प्रक्रिया और 13 सर्जरियों के बाद उन्होंने न केवल सामान्य जीवन की ओर वापसी की, बल्कि कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को भी परास्त किया।
*खेलों में नया इतिहास रचा*
आज पूजा गर्ग भारत की अंतरराष्ट्रीय पैरा कैनो खिलाड़ी हैं। उन्होंने एशियन पैरा कैनो चैंपियनशिप 2025 (थाईलैंड) में दो कांस्य पदक जीतकर देश का गौरव बढ़ाया। वर्ष 2024 में उन्होंने 14,400 फीट ऊँचे नाथुला पास (सिक्किम) पर मोटरबाइक से पहुँचकर भारतीय तिरंगा फहराया — इस अद्भुत उपलब्धि को “वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स – लंदन” में दर्ज किया गया।
*सामाजिक कार्यों में भी अग्रणी*
खेलों से परे, पूजा एक समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। अपनी संस्था “पंखों की उड़ान चैरिटेबल फाउंडेशन” के माध्यम से वे देशभर में गुड टच–बैड टच, आत्मरक्षा, कैंसर जागरूकता और खेल प्रेरणा जैसे अभियानों का संचालन कर रही हैं। उनके इन अभियानों से हजारों बच्चों और युवाओं में आत्मविश्वास और जागरूकता का संचार हुआ है।
*दिव्यांगजनों की आवाज़ बनीं पूजा*
दिव्यांगजनों के अधिकारों और सशक्तिकरण की दिशा में उनके योगदान को देखते हुए, जिला प्रशासन, इंदौर ने उन्हें “डिस्ट्रिक्ट मॉनिटरिंग कमेटी ऑन एक्सेसिबल इलेक्शन” की सदस्य के रूप में नामांकित किया है। यह समिति मतदान केंद्रों को दिव्यांगजनों के लिए सुगम बनाने के लिए कार्यरत है।
*इंदौर का गर्व, देश की प्रेरणा*
पूजा गर्ग की यह उपलब्धि न केवल इंदौर बल्कि पूरे मध्यप्रदेश के लिए गर्व का क्षण है। उनकी कहानी यह साबित करती है कि यदि हौसले बुलंद हों तो कोई भी बाधा जीवन की राह नहीं रोक सकती।





