नवाचार ला सकता है खुशियों की बहार, छोटे किसानों को भी प्रेरणा देता यह नवाचारी उन्नत किसान…

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हर इंसान के जीवन में यह अवसर आ सकता है कि मंत्री उससे बात करने और मिलने के लिए उसके घर पहुंचकर गौरवान्वित महसूस करे। इंटरव्यू लेकर दुनिया के साथ शेयर करे। ताकि नवाचार करने की प्रेरणा सबको मिले। यह मामला उन्नत किसान का है लेकिन नवाचार कर छोटे किसान भी पारंपरिक खेती की तुलना में बेहतर लाभ कमाने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। वैश्वीकरण के इस युग में अब दूसरे देशों के बाजार तक पहुंच न भी हो सके तो कम से कम अपने ही देश में अपने कृषि उत्पाद के बेहतर दाम तलाशने का नुस्खा छोटे किसानों को भी तलाशना पड़ेगा, ताकि टमाटर, प्याज, आलू सड़कों पर फेंकने की नौबत से दो-चार न होना पड़े। बस इसके लिए एक कदम आगे बढ़ाकर पारंपरिक कम फायदे या घाटे वाली फसलों की जगह ज्यादा लाभ देने वाली उद्यानिकी, औषधीय या अन्य फसलों के नवाचार की तरफ बढ़ने की हिम्मत भी जुटानी पड़ेगी।
तो हम मिल लेते हैं उन्नत किसान मधु धाकड़ से, जिनसे मिलने हरदा जिले के ग्राम सिरकम्बा पहुंचकर गदगद हो गए कृषि मंत्री कमल पटेल। घाटे की खेती से लाभ की खेती की उनकी यात्रा के राज भी जाने और साक्षात्कार लेने के बाद यह दावा किया कि खेती से अधिक लाभ लेने के लिये हर किसान को फसल विविधिकरण अपनाना होगा। जैसा कि उन्नत कृषक मधु धाकड़ ने फसल विविधिकरण को अपना कर खेती से करोड़ों रुपये का लाभ अर्जित किया है। कृषि मंत्री को जानकारी मिली थी कि हरदा जिले के एक किसान ने पारम्परिक खेती से हटकर उद्यानिकी फसलों को अपनाया और अच्छी आमदनी प्राप्त की है। मंत्री पटेल ने बात की कृषक धाकड़ से और जाना कि कृषि पद्धति में परिवर्तन कर खेती से अधिक लाभ कैसे अर्जित किया? धाकड़ ने गेहूँ, चना, सरसों जैसे पारम्परिक फसलों के स्थान पर मिर्च, टमाटर, अदरक, शिमला मिर्च इत्यादि उद्यानिकी फसलों की खेती करने का साहसिक फैसला लिया। इससे लागत में वृद्धि हुई, लेकिन लाभ में भी कई गुना वृद्धि हुई। धाकड़ के इस फैसले से क्षेत्र में 350 से 400 लोगों को नियमित रूप से रोजगार भी मिलने लगा।
मधु धाकड़ को लगातार परिश्रम और धन राशि खर्च करने के बाद भी खेती की लागत के बराबर लाभ नहीं हो पाता था। तब धाकड़ ने 10-12 वर्ष पूर्व फसल चक्र परिवर्तन का फैसला लिया। अब वह उद्यानिकी फसलें ही लेते हैं। इस वर्ष धाकड़ ने 70 एकड़ में टमाटर, 60 एकड़ में शिमला मिर्च और 20 एकड़ में अदरक लगाया। टमाटर में प्रति एकड़ 2 लाख रुपये का खर्च आया, जबकि आय 10 लाख 50 हजार रुपये प्रति एकड़ हुई। अर्थात शुद्ध 8 लाख 50 हजार का मुनाफा हुआ। इस वर्ष 7 से 8 करोड़ रुपये का टमाटर बेचा जा चुका है और अभी टमाटर की बिक्री चालू है। यह निश्चित तौर पर छोटे किसानों के लिए भी बहुत प्रेरणादायी है। धाकड़ ने इस वर्ष प्रति एकड़ समस्त खर्च के बाद भी 7 से 8 लाख रुपये प्रति एकड़ मिर्च बेचकर कमाये हैं। उनकी मिर्च गुजरात के व्यापारियों के माध्यम से दुबई तक एक्सपोर्ट की गई है। उन्होंने 60 एकड़ में मिर्च की फसल लगाई है।
संयुक्त परिवार में रहने वाले धाकड़ बहुत प्रसन्न हैं, क्योंकि उन्होंने नवाचार और साहस के साथ खेती करके अधिकतम लाभ कमाने के लक्ष्य को हासिल किया है। हालांकि यह उन्नत किसान से तुलना कर छोटे किसान को सपनों की सैर कराने वाली बात नहीं है, बल्कि इससे यह सीख ली जा सकती है कि नवाचार कर और जोखिम लेकर सफलता की नई दिशा में आगे बढ़कर खुशियां पाईं जा सकती हैं। खेती को लाभ का धंधा बनाया जा सकता है। पारम्परिक खेती से जुड़े किसानों के लिये यह जानना जरूरी है कि किस प्रकार से कृषि पद्धति में परिवर्तन कर खेती को भी लाभ का धंधा बनाया जा सकता है। इसका जीता जागता उदाहरण हैं मधु धाकड़। सफलता की उनकी कहानी किसानों की जिंदगी में बदलाव लाने के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है। तो साधुवाद के हकदार कृषि मंत्री कमल पटेल भी हैं जो सक्सेस स्टोरी को करोड़ों किसानों तक पहुंचाने का माध्यम बन रहे हैं।