‘अनावश्यक निर्माण के बजाय शिवना शुध्दिकरण पर हो ठोस काम-मंदसौर विधायक ने पर्यावरण मंत्री को भेजा पत्र

प्रदूषण मुक्त शिवना के लिए मंजूर हुए हैं 29 करोड़

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मंदसौर से डॉ. घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट

मंदसौर। विश्व प्रसिद्ध अष्टमूर्ति पशुपतिनाथ मंदिर परिक्षेत्र में शिवना नदी अत्यंत प्रदूषित है। शहर के गंदे नाले इस नदी में मिलने से सारी नदी गंदगी और प्रदूषित होरही है।

मंदसौर के जलदाय केंद्र रामघाट के बाद आगे का 8-10 किलोमीटर नदी एरिया प्रदूषण का केन्द्र हो गया है। सीवरेज वाटर, उद्योगों और अन्य इकाइयों के अपशिष्ट द्रव्यों, जलकुंभी के साथ मल मूत्र, मंदिर और श्रद्धालुओं द्वारा फेंकी जा रही सामग्री से शिवना नदी जल दुर्गंध युक्त और आचमन के योग्य नहीं रह गया है। शिवना नदी के अपस्ट्रीम और कैचमेंट पर भी इसके दुष्प्रभाव हो रहे हैं।

मंदसौर वासियों की लम्बे समय से शिवना शुद्धिकरण की मांग उठाई जा रही है। आंदोलन, शिवना यात्रा, ज्ञापन, धरना आदि विभिन्न संगठनों और नागरिकों द्वारा किये गए।

अग्रेसर विकास समिति के संयोजक मनीष भावसार के नेतृत्व में शिवना नदी क्षेत्र के 60 किलोमीटर मार्ग पर शुद्धिकरण मांग को लेकर पैदल यात्रा जनजागरण के लिए निकाली गई। शिवना यात्रा में संत महात्माओं के साथ विधायक, जनप्रतिनिधि, स्वयं सेवी संगठन, सामाजिक कार्यकर्ता, महिला, पुरुषों और युवाओं ने भागीदारी की।

जिले के मंत्रियों, सांसद, विधायकों को ज्ञापन भी सौंपे गए। जन सहभागिता, जनअभियान परिषद, दशपुर जागृति संगठन, जनपरिषद, राजपूत सेवा समिति, गायत्री परिवार सहित अन्य ने प्रशासन के साथ मिलकर शिवना शुद्धिकरण और गहरीकरण का अभियान भी चलाया।

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संयुक्त प्रयासों से अंततः केंद्र सरकार की पर्यावरण संरक्षण परियोजना के अंतर्गत शिवना शुध्दिकरण योजना को शामिल किया गया है। बताया जाता है कि कोई 100 करोड़ रुपये की कार्य योजना बनाई गई।

योजना के परीक्षण बाद केंद्र सरकार द्वारा आरम्भिक रूप से 29 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत हुई है।

इस योजना और आवंटित राशि को सार्थक बनाए जाने हेतु मंदसौर के वरिष्ठ विधायक यशपालसिंह सिसोदिया ने प्रदेश के पर्यावरण एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री हरदीप सिंह डंग को पत्र लिख भेजा है।

उन्होंने पत्र की प्रतिलिपि मंदसौर नीमच जावरा लोकसभा सांसद सुधीर गुप्ता, प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन विभाग भोपाल व जिला कलेक्टर गौतमसिंह मंदसौर को अग्रेषित की है।

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पत्र में कहा गया है कि अनावश्यक निर्माण के बजाय पूरी कार्ययोजना में शिवना शुध्दिकरण से जुड़े आवश्यक कार्य सम्मिलित किए जाए ताकि 8 किलोमीटर के परिक्षेत्र में नालों एवं नालियों का पानी नदी में सम्मिलित नहीं हो और शिवना का जल पावन, निर्मल वर्ष भर रह सके।

विधायक श्री सिसोदिया ने लिखा कि लंबे संघर्ष एवं मांग के बाद केंद्र सरकार ने पर्यावरण संरक्षण परियोजना के तहत मंदसौर पशुपतिनाथ मंदिर के समीप शिवना नदी के शुध्दिकरण, पर्यावरण, गंदे नालों का डायवर्शन तथा जल शुध्दिकरण को लेकर लगभग 29 करोड की राशि स्वीकृत की है। पशुपतिनाथ मंदिर परिक्षेत्र से लगभग 8 किलोमीटर का क्षेत्र इस योजना में सम्मिलित किया गया है।

श्री सिसोदिया ने कहा कि इस महत्वाकांक्षी और महत्वपूर्ण योजना से लाखों भक्तों एवं श्रध्दालुओं के साथ देश – विदेश के पर्यटकों की आस्था जुड़ी हुई है, इसलिए योजना परिणाम मूलक हो तथा वर्षों तक इस योजना की सफलता परीलक्षित हो इस हेतु गंभीरता को समझना भी आवश्यक होगा।

विधायक श्री सिसोदिया के मुताबिक बजट तो आ जाता है, राशि स्वीकृत भी होती है लेकिन निर्माण एजेंसी एवं विभागीय एजेंसी की थोड़ी सी चूक, असावधानी एवं लापरवाही के कारण योजना की सफलता पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है।

श्री सिसोदिया ने ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि प्रारंभिक चर्चाओं के अनुसार निर्माण एजेंसी पीआईयू के अधिकारियों की टिप्पणियां तथा अन्य अधिकारियों के वक्तव्य सामने आए हैं योजना के प्राक्कलन में घाट निर्माण भी प्रस्तावित किए जा रहे हैं।

लेकिन पूर्व से ही मंदिर परिसर के आसपास लगभग 4 से 5 घाट निर्मित हैं और इन घाटों पर यह आया देखने में आया है कि आसपास की बस्तियों के नागरिक कपड़े धोने में इनका उपयोग कर रहे हैं। नदी के किनारे घाट भी होना चाहिए लेकिन अनावश्यक रूप से घाट निर्माण कर धनराशि का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।

इसलिए पूरी कार्ययोजना में आवश्यक कार्य ही सम्मिलित किए जाएं तथा 8-10 किलोमीटर क्षेत्र में नालों एवं नालियों का गंदा पानी नदी में सम्मिलित नहीं हो इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए।

श्री सिसोदिया ने पत्र में कहा कि अनावश्यक कार्य, मूल योजना के बजट को प्रभावित करती है। बड़ी मुश्किलों से केंद्र हो या राज्य शासन से बजट आवंटित होता है, इसलिये सिर्फ धनराशि खर्च करना ही हमारा मकसद नहीं होना चाहिए बल्कि योजना दूरगामी हो और परिणाम मूलक हो यह दायित्व प्रशासन और निर्माण एजेंसी का है।

अत: डीपीआर का परीक्षण गंभीरता से करते हुए तकनीकी आमला जल्दबाजी न कर ठोस आवश्यक योजना तैयार करें उसके बाद निविदाएं आमंत्रित करें समक्ष प्रस्तुत करें, गुण दोष पर चर्चा उपरांत लागू हो, ताकि शिवना नदी को स्वच्छ और निर्मल बनाने का सपना साकार हो सके।

इधर जिला प्रशासन द्वारा आहूत मीटिंग में एप्को संस्था भोपाल, पी आई यू, नगर पालिका के अधिकारियों, इंजीनियर आदि के साथ शिवना शुद्धिकरण प्रोजेक्ट पर चर्चा हुई है।

कलेक्टर श्री गौतमसिंह ने कार्ययोजना पर जानकारी ली तथा समयबद्ध प्रोजेक्ट पूर्ण हो यह निर्देश दिये हैं।

शिवना शुद्धिकरण अभियान से जुड़े वर्ग ने प्रशासन व जनप्रतिनिधियों से मांग की है कि राजस्थान क्षेत्र से प्रादुर्भाव वाली शिवना नदी में अपस्ट्रीम में वर्षा काल में जल प्रवाह बहुत तेज़ और आक्रामक होता है, स्टॉप डेम बने होने पर उसकी ऊंचाई लांघ कर बाढ़ हर साल आती है, मंदसौर शहर बड़ी तबाही का साक्षी है।

प्रस्तावित 8-10 किलोमीटर नदी परिक्षेत्र के किनारे जल प्लावित होते हैं ऐसे में किनारे पर पौधों के बढ़ने की संभावना क्षीण है। पशुपतिनाथ मंदिर के सामने स्थित मिट्टी के टीलों पर निर्मित लगभग 60 से 100 कच्चे-पक्के मकान जर्जर हैं। नगर पालिका द्वारा नोटिस दिये गए हैं। नई पुलिया, पशुपतिनाथ प्रतिमा, गर्भगृह, गजेंद्र घाट, ब्रह्मणेश्वर घाट, कल्याण गुरु अखाड़ा, छोटी पुलिया, मुक्ति धाम, पुलिस चौकी, बुगलिया नाला, अलावदा खेड़ी, शुक्रवारिया, धानमंडी, शुक्ला चौक, पतासी गली, शनि विहार कॉलोनी, खानपुरा निचली बस्ती, खाकी कुआ, पम्पिंग स्टेशन समेत बड़ा क्षेत्र शिवना नदी के डूब एरिये में आता है। ओसतन हर बार बाढ़ से नुकसानी होती है।

नागरिकों ने चर्चा में कहा कि शिवना शुद्धि हो यह प्राथमिकता है, सरकार की आवंटित राशि का सदुपयोग हो।
गैर जरूरी निर्माण नहीं हो क्योंकि पहले भी कई सालों से शिवना शुद्धि करण के लिए राशि व्यय हुई पर परिणाम नहीं मिले।

नागरिकों ने आरोप लगाया कि कालाभाटा डेम, कोर्ट परिसर की पेयजल टंकी, चम्बल जल योजना आदि में तकनीकी त्रुटियों के कारण करोड़ों रुपए लागत के बाद भी आजतक अपेक्षित लाभ शहर वासियों को नहीं मिल रहा है।