
गंभीर अपराधों में घटनास्थल से मीडिया को दूर रखे जाने के निर्देश, सीन आफ क्राइम यूनिट का हर जिले में होगा गठन, घटना का होगा रिक्रिएशन
भोपाल. प्रदेश में अब गंभीर अपराधों के घटनास्थल से मीडिया को दूर रखा जाएगा। यदि जरुरत पड़ी तो पुलिस बल का भी सहारा लिया जा सकता है। दरअसल प्रदेश में अब हर जिले में सीन आफ क्राइम यूनिट का गठन किया जा रहा है। जिसमें फोटो यूनिट, फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट और डॉग स्क्वॉड शामिल रहेंगे। इसके साथ ही इस टीम में सीनियर वैज्ञानिक अधिकारी रहेंगे। यह टीम घटना स्थल पर जाकर रिक्रिएशन भी करेगी। सात साल या उससे अधिक की सजा वाले अपराधों में इस यूनिट को अपनी जांच करना ही होगी। यह निर्देश एसएफएल के निदेशक शशिकांत शुक्ला ने सभी जिलों को दिए हैं।
दरअसल भारतीय न्याय संहिता के अंतर्गत नए आपराधिक कानूनों पर त्वरित कार्यवाही करने के लिए सीन आॅफ क्राइम यूनिट का गठन करने का निर्णय लिया है। इसमें यह तय किया गया है कि पुलिस अधीक्षक इस यूनिट के लिए पुलिस कंट्रोल रूम के आसपास के क्षेत्र में सीन आफ क्राइम यूनिट के कार्यालय के लिए पर्याप्त स्थान उपलब्ध कराएंगे। इस आदेश में यूनिट के लिए घटनास्थल निरीक्षण की मानक प्रक्रिया भी तय की गई है। जिसमें घटना का रिक्रिएशन, घटनास्थल पर भौतिक और जैविक साक्ष्यों की पहचान करना उनका दस्तावेजी करण, एकत्रीकरण करना होता है।
घटना स्थल की गोपनीयता बनाए रखने के लिए मीडियाकर्मियों को रखे दूर
इस यूनिट को दिए गए टिप्स में यह भी बताया गया है कि घटनास्थल की गोपनीयता और निजता को बनाए रखने के लिए मीडिया और प्रेस कर्मियों को घटनास्थल पर नहीं आने देना चाहिए। इसके लिए यूनिट के अफसर पुलिस बल की मदद ले सकतें हैं। इस यूनिट को घटना स्थल पर पहुंचते ही सबसे पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि अन्य पुलिस कर्मियों के लिए कोई तात्कालिक खतरा न हो। क्षेत्रे में ऐेसे दृश्य, ध्वनियां और खासकर गंध का निरीक्षण करना होगा। इसके साथ ही घटनास्थल को सुरक्षित करना होगा ताकि कोई घटनास्थल से छेड़छाड़ न कर सके, इसके लिए अनाधिकृत व्यक्तियों के प्रवेश पर रोक लगानी होगी।





