Interesting Story of Dudu Collector: रंगे हाथों ट्रेप होने से बचे, शिकायत कर्ता के घर पहुंचे, आखिर रिश्वत मांगने के मामले में फंसे और APO हुए
मीडियावाला के नेशनल हेड गोपेंद्र नाथ भट्ट की खास रिपोर्ट
जयपुर: राजस्थान में नवगठित दूदू के जिला कलेक्टर हनुमान मल ढाका भूमि रुपांतरण के एक मामले में रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े जाने और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) राजस्थान के हाथों ट्रेप होने से तो बच निकले लेकिन ACB ने उन्हें और उनके साथी पटवारियों को रिश्वत मांगने के मामले ने फंसा दिया है और भजन लाल शर्मा सरकार ने एसीबी की रिपोर्ट पर उन्हे तत्काल APO भी कर दिया है।
APO हुए जिला कलेक्टर हनुमान मल ढाका द्वारा भूमि रुपांतरण के इस मामले में संबंधित पक्ष से कथित रिश्वत मांगने का मामला किसी रोचक कहानी से कम नहीं है। राजस्थान में लोकसभा चुनाव के दौरान हुई इस घटना की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली तक चर्चा हो रही है। हनुमान मल ढाका पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ भी काम कर चुके है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार IAS हनुमान मल ढाका ने रिश्वत की राशि तय करने के लिए पहले परिवादी को दो बार अपने सरकारी आवास पर बुलाया था और सर्वप्रथम 21 लाख और फिर 15 लाख में सौदा तय किया था। लेकिन घूस लेने से पहले ही ढाका को एसीबी की भनक लग गई। उन्होंने पहले दो पटवारियों को परिवादी के घर भेजा। पटवारी ने परिवादी के पांव पकड़ कर कहा कलेक्टर साहब की तरफ से मैं आपके पांव पकड़ लेता हूं। फिर कलेक्टर भी निजी कार से परिवादी के घर ही पहुंच गए, लेकिन परिवादी ने उससे मिलने से इनकार कर दिया। तब तक हनुमान मल ढाका और पटवारी हंसराज के खिलाफ एसीबी मजबूत साक्ष्य जुटा चुकी थी। एसीबी की रिपोर्ट पर सरकार ने शनिवार को ढाका को एपीओ कर दिया।
इस तरह ट्रेप होने की संभावना खत्म होने के बाद एसीबी ने कलेक्टर के खिलाफ शुक्रवार को ही रिश्वत मांगने का मामला दर्ज किया। परिवादी 204 बीघा के एक फार्म हाउस का मैनेजर है। उसे पटवारी हंसराज चौधरी ने 13 अप्रेल को कहा था कि कलेक्टर से मिल लेना नहीं तो 15 अप्रेल को ही तुम्हारे फार्म की भू उपयोग परिवर्तन मामले में बड़ी कार्रवाई होगी।
परिवादी कलेक्टर से मिला तो उससे कार्रवाई से बचने के बदले 25 लाख रुपए मांगे। उसके बाद पहले 21 और बाद में अंतिम रुप से 15 लाख में मामला तय हुआ बताते है । लेकिन अधिक दवाब के चलते परिवादी एसीबी के पास पहुंच गया। एसीबी ने ट्रेप की तैयारी कर ली। इस मध्य कलेक्टर को परिवादी ने कॉल किया तो उन्होंने उसे 15 अप्रेल की शाम को अपने आवास पर ही बुला लिया। वहां प्रकरण में अब्दुल रहमान मामले का नोट नहीं डालने और कार्रवाई से बचने के बदले रिश्वत मांगी। परिवादी ने फॉर्म हाउस मालिक से बात करने की बात कही तो उसे अगले दिन फिर बुलाया।
परिवादी कलेक्टर से दुबारा मिला तो मामला 15 लाख रुपए में तय हो गया। इसके बाद 18 अप्रेल को परिवादी कलेक्टर कार्यालय गया। वहां पटवारी हंसराज को बोला कि साहब को कह दो अभी मात्र 7.5 लाख रुपए 22 अप्रेल तक दे पाउंगा। पटवारी कलक्टर चैम्बर में गया और वापस आकर बोला ठीक है।
ए सी बी ट्रैप की भनक लगने पर 19 अप्रेल की रात पटवारी हंसराज चौधरी और सांवरमल जाट परिवादी के घर पहुंचे। उन्होंने कहा कि कलेक्टर साहब बोले हैं गलती हो गई। हंसराज ने परिवादी के पांव पकड़े और बोला कलेक्टर की ओर से मैं पांव पकड़ता हूं। इस टंटे को खत्म करो। कलक्टर हमको बार-बार फोन कर रहे है। इस बीच रात करीब 11 बजे कलेक्टर हनुमान मल ढाका भी निजी कार से परिवादी के घर पहुंचे। परिवादी ने पटवारी से कहा कि उन्हें (कलेक्टर) कहो कि वे घर में नहीं आए। इसके बाद वे लौट गए। बातचीत कर दोनों पटवारी भी वहां से चलते बने। इसके बाद स्पष्ट हो गया कि अब ट्रेप सम्भव नहीं है।तब एसीबी ने रिश्वत मांगने की एफआईआर दर्ज करने का निर्णय लिया।
एसीबी ने दूसरे दिन कलेक्टर एवं पटवारी के मोबाइल और उनके कार्यालय से कम्प्यूटर जब्त किए। एसीबी ने दूसरे दिन शनिवार को दूदू कलेक्टर हनुमान मल ढाका के कार्यालय में सर्च किया। वहां से सरकारी कम्प्यूटर जब्त किया गया। एसीबी टीम इससे पहले दूदू में कलेक्टर के सरकारी आवास एवं तहसील कार्यालय में भी शुक्रवार रात को सर्च करने पहुंची थी। आवास पर हनुमान मल ढाका का एक मोबाइल एवं कार्रवाई के दौरान पटवारी हंसराज के दो मोबाइल जब्त किए।
बताया जाता है कि एसीबी के परिवादी से मोबाइल पर वाट्सएप चैट की गई है। इसके चलते सबूत के तौर पर दोनों के मोबाइल जब्त किए। एसीबी की टीम दूदू में कलेक्टर आवास पर सर्च के बाद शनिवार तडक़े 3 बजे तक दूदू तहसील कार्यालय में सर्च करने में जुटी रही। शनिवार सुबह पांच बजे जयपुर लौटी और फिर शनिवार दोपहर करीब साढ़े बारह बजे दूदू कलेक्टर कार्यालय पहुंच गई थी। बताते हैं एसीबी की कार्रवाई के बाद कलेक्टर दूदू से चले गए थे।
एसीबी सूत्रों के मुताबिक जिला कलेक्टर को रिश्वत लेते रंगे हाथ नहीं पकड़ा जा सका। इसके चलते कानूनन उनके अन्य ठिकानों पर सर्च की कार्रवाई नहीं की जा सकी।