Investigation Into CHL Fire Begins : केयर सीएचएल अस्पताल में आग की जांच शुरू, 3 दिन में रिपोर्ट!
Indore : बुधवार रात एलआईजी चौराहा के सीएचएल अस्पताल में शॉर्ट सर्किट से आग लगने की घटना हुई। कलेक्टर ने घटना की जांच के लिए चार सदस्यों की समिति गठित की है। ये समिति तीन दिन में अपनी रिपोर्ट देगी। लेकिन, इस घटना प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग फिर जाग गया। एडिशनल डीसीपी जोन-2 अमरेंद्र सिंह ने बताया कि एमआईजी थाने में सीएचएल में आग के मामले की रिपोर्ट दर्ज की गई है। इसमें लापरवाही की दिशा में जांच की जाएगी। इसमें एफएसएल जांच भी की जाएगी।
अधिकारियों ने गुरुवार को शहर के प्रमुख निजी अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक निरीक्षण अभियान शुरू किया। जबकि, तीन महीने से ये काम बंद था। जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ बीएस सैत्या ने अपनी टीम के साथ अग्निशमन सुविधाओं और इंदौर नगर निगम से अनिवार्य फायर एनओसी की जांच करने के लिए 7 से अधिक कार्पोरेट अस्पतालों का दौरा किया। स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि हमने अग्नि सुरक्षा प्रमाण-पत्र सुनिश्चित करने के लिए निजी अस्पतालों में निरीक्षण अभियान शुरू किया।
गुरुवार को डीएनएस अस्पताल, सीएचएल अस्पताल, विशेष ज्यूपिटर अस्पताल, राजश्री अपोलो अस्पताल, कोकिलाबेन अस्पताल सहित सात अस्पतालों का निरीक्षण किया है। स्वास्थ्य अधिकारी ने इस अस्पताल में फायर एनओसी और सुविधाएं मिलने का दावा किया, लेकिन अस्पताल प्रशासन से आपातकालीन स्थिति के दौरान कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिए माकड्रिल आयोजित करने को कहा।
कलेक्टर ने जांच बैठाई
कलेक्टर इलैया राजा टी के निर्देश पर सीएचएल अस्पताल में आग लगने की घटना के बाद एडीएम रोशन राय ने आग लगने के कारणों की जांच के लिए चार सदस्यीय जांच पैनल का गठन किया। कमेटी को तीन दिन में रिपोर्ट देनी होगी और उसी के आधार पर कार्रवाई होगी। इसमें मुख्य अधीक्षक अग्निशमन शशिकांत कनकने, एसडीएम घनश्याम धनगर, कार्यकारी अभियंता हितेंद्र सोलंकी और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ बीएस सैत्या हैं।
प्रशासन की चेतावनी की अनदेखी
अधिकांश निजी अस्पताल फायर एनओसी की प्रशासन की चेतावनी की परवाह नहीं करते। फायर एनओसी जमा करने के लिए प्रशासन लंबे समय से चेतावनी दे रहा है, लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। 120 निजी अस्पतालों ने प्रशासन के इस आदेश को दरकिनार कर दिया। अस्पतालों को अंतिम चेतावनी लगभग 5 महीने पहले दी गई थी। लेकिन, कई अस्पतालों ने अभी तक फायर एनओसी जमा नहीं की।
डॉ सैत्या के मुताबिक, पिछले साल नवंबर में 196 से अधिक निजी अस्पतालों को 25 दिसंबर तक अपनी फायर एनओसी जमा करने या पंजीकरण रद्द करने का सामना करने के लिए नोटिस दिया था। करीब 60 अस्पतालों से ही स्वास्थ्य विभाग को सर्टिफिकेट मिला था। हमने कलेक्टर के निर्देश पर उन्हें फिर से एक चेतावनी दी है। जनवरी में सरकार द्वारा जारी किए गए नए मानदंडों के साथ, 50 बिस्तरों से कम सुविधा वाले लगभग 60 अस्पतालों को एनओसी जमा करने से राहत मिल गई, क्योंकि उन्हें सिर्फ फायर ऑडिट जमा करना होगा। उन्होंने बताया कि अस्पतालों में फायर ऑडिट सर्टिफिकेट और एनओसी की जांच के लिए निरीक्षण कर रहे हैं। बकायादारों के खिलाफ उनका पंजीकरण रद्द करने सहित कार्रवाई करेंगे।
सरकारी अस्पताल सुरक्षित नहीं
जबकि, जानकारी के मुताबिक सरकारी अस्पतालों में भी अग्नि सुरक्षा उपायों का अभाव है। इसी साल 16 अगस्त को इंदौर के शासकीय कैंसर अस्पताल में भी आग लग गई थी। फायर ब्रिगेड की टीम ने आग पर काबू पा लिया है। आग अस्पताल के खाली पड़े बेसमेंट में लगी थी। अस्पताल के बेसमेंट में काम चल रहा था, तभी मशीन काटते समय निकली चिंगारी से आग लगने की बात सामने आई है। घटना के वक्त अस्पताल में कैंसर के 60 मरीज भर्ती थे।