
कहीं दूल्हे की मौत बन कर तो नहीं आ रही दुल्हन…!
कौशल किशोर चतुर्वेदी
हाल ही में एक के बाद एक हुई घटनाओं ने समाज को झकझोर कर रख दिया है। हिंदू धर्म ग्रंथों में शादी को एक नहीं बल्कि सात जन्मों का पवित्र बंधन माना जाता है, लेकिन यदि दुल्हन खुद दूल्हे की मौत बनकर लाल जोड़े में सज कर आए तो इसे क्या माना जाए? मध्य प्रदेश के इंदौर के राजा रघुवंशी की हत्या यह चीख-चीख कर बता रही है कि भरोसे का ऐसा कत्ल कहीं ना कहीं पूरे समाज को गहरी चिंता में डाल रहा है। 11 मई 2025 को शादी के बाद हनीमून मनाने 20 मई को शिलांग गए इस नवविवाहित जोड़े के लापता होने के बाद पूरा देश अलग-अलग मानसिकता से गुजरता रहा। पूरा देश राजा और सोनम पर केंद्रित होकर इनसे जुड़े हर अपडेट पर नजर रख रहा था। पहली प्रतिक्रिया में मेघालय और शिलांग के साथ इस राज्य के निवासी खलनायक की भूमिका में थे। 23 मई 2025 को लापता हुए इस जोड़े में से राजा की लाश मिलने के बाद मानो मेघालय राज्य के सभी निवासी अपराधी साबित हो रहे थे। मेघालय पुलिस पूरे देश दुनिया के टारगेट पर थी। पर वक्त रहते पुलिस असली हत्यारों तक पहुंच गई और मेघालय अपराधी होने से बच गया। मेघालय पुलिस कर्तव्यनिष्ठ साबित हुई। वहीं सोनम ने गाजीपुर तक पहुंच कर यह बता दिया कि शिलांग वह जिस उद्देश्य से गई थी उसके बाद मेघालय छोड़कर भागना उसकी योजना का हिस्सा था। तथ्य और सबूत अंत में क्या साबित करते हैं यह अलग बात है लेकिन वर्तमान चिल्ला-चिल्ला कर कह रहा है कि दुल्हन ही दूल्हे की कातिल है। और फिलहाल सोनम और उसके साथी ही इस घृणित अपराध के गुनहगार साबित हो गए हैं। हत्या की जघन्यता मानसिक विकृतता और सामाजिक पतन की इंतहा का पर्याय बन गई है।
Love Marrige, Honeymoon, Murder: शिलांग हत्याकांड ने रिश्तों की नींव हिला दी!
साधारण तौर पर देखा जाए तो राजा की मौत भी हर दिन होने वाले अपराधों में से एक घटना ही है। पर जब विवाह के बंधन के बाद पति और पत्नी के बीच भरोसे की हत्या के रूप में देखा जाए तो यह घटना बड़ी सामाजिक विकृति की तरफ इशारा करती है। क्या अब विवाह के पहले दुल्हन की कड़ी परीक्षा के मानक तैयार किए जाएंगे ताकि यह भरोसा किया जा सके कि वह जिस घर में दुल्हन बनकर जा रही है और जिस दूल्हे के साथ ब्याही जा रही है उसकी जिंदगी सुरक्षित रखेगी। क्या विवाह के पहले लड़कियों के मोबाइल कॉल डिटेल्स का गहन परीक्षण जरूरी हो गया है। क्या विवाह के पहले लड़कियों से शपथ पत्र लेने की जरूरत है जिसमें वह शपथ पूर्वक कह सकें कि उनका शादी के पहले किसी से कोई अफेयर नहीं है और वह शारीरिक और मानसिक रूप से पूर्ण सहमति से विवाह के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। क्या अब नव विवाहित जोड़ों को हनीमून जैसी संस्कृति से दूर रखने की जरूरत है? ऐसे सैकड़ो सवाल अब मन में तैर सकते हैं, पर इसके बाद भी भरोसे की कोई गारंटी नहीं दे सकता। यह विडंबना कहीं न कहीं शादी जैसे पवित्र बंधन और स्थापित सामाजिक मान्यता पर ही सवालिया निशान खड़े कर रही है? समाज में बढ़ते तलाक के मामले और टूटते वैवाहिक रिश्तों ने पहले ही पति-पत्नी के बीच के रिश्ते को कमजोर कर दिया था। पर अब हत्याओं की ऐसी घटनाओं ने पूरी सामाजिक व्यवस्था पर ही सवालिया निशान लगा दिया है?
हालांकि इसका दूसरा पक्ष भी है कि हर लड़की की तुलना सोनम से नहीं की जा सकती। अगर समाज के सामने सोनम और उस जैसी हत्यारिन दुल्हनों के चेहरे भरोसे को तोड़ते नजर आ रहे हैं तो करोड़ों सभ्य और सुसंस्कृत लड़कियां भरोसे पर खरी भी उतर रही हैं। यह समाज, करोड़ों परिवार और देश-दुनिया, आखिरकार गृहणियों के समर्पण का ही तो प्रमाण और परिणाम है। ऐसे में सभी लड़कियों पर सवालिया निशान नहीं लगाया जा सकता। दहेज हत्याओं और विवाहेत्तर संबंध सहित अन्य कई वजहों से पत्नी हत्या के प्रकरणों ने भी समाज को विकृति से जकड़ रखा है। ऐसे में घटना विशेष से किसी सामाजिक निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता है।
वर्तमान परिस्थितियों के लिए हम सभी जिम्मेदार हैं। यह बात अवश्य है कि ऐसी विकृतियों को दूर करने के लिए परिवारों और समाज को विशेष कदम उठाने की जरूरत है। ताकि विवाह जैसे बंधन पर आम आदमी का भरोसा बना रहे। और विवाह बंधन में बंधने वाले बेटे और बेटियां पूरी तरह से सुरक्षित रहें और दो घरों की खुशियां हमेशा बढ़ती रहें। और ऐसा सवाल कभी भी मन को न कचोटे कि ‘कहीं दूल्हे की मौत बनकर तो नहीं आ रही है दुल्हन…?’ या दुल्हन की मौत तो नहीं बन जाएगी ससुराल…?





