स्वामी जी की मूर्ति के समक्ष खड़े होना ही हमारे लिए है गर्व की बात!

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स्वामी जी की मूर्ति के समक्ष खड़े होना ही हमारे लिए है गर्व की बात!

Ratlam : स्वामी विवेकानंद जी के व्यक्तित्व को गढ़ना इतना आसान नहीं है, उनके विचारों पर चलना भी इतना आसान नहीं है, उनके सिद्धांतों को मान्यता दिलवाना भी कोई सरल कार्य नहीं है, उसके लिए अत्यंत कठोर वैचारिक तपस्या करनी होगी, प्रयोग अनुष्ठान करना होंगे, तब जाकर हम स्वामी जी को समझ पाएंगे और उनके विचारों को आत्मसात कर पाएंगे। उक्त विचार शिक्षक सांस्कृतिक संगठन मंच द्वारा स्वामी विवेकानंद जी जयंती पर कॉमर्स कॉलेज स्थित उनकी आदमकद मूर्ति पर माल्यार्पण करते हुए मुख्य अतिथि के रूप में प्रसिद्ध शिक्षाविद डॉ. गीता दुबे ने व्यक्त किए।

आपने कहा कि स्वामीजी के मूर्ति के समक्ष खड़े होना ही हमारे लिए बड़े गर्व और आत्म सम्मान की बात है। स्वामीजी का विराट व्यक्तित्व में सनातन सभ्यता और संस्कृति के दर्शन होते हैं, भारतीय संत परंपरा का आभास होता है, उनके विचारों की दिव्यता प्रकट होती है, जो हम सब भारतीयों के लिए किसी पूजा आराधना से काम नहीं है।

कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि निगम अध्यक्ष मनीषा शर्मा ने कहा कि हम 145 करोड़ भारतीयों के लिए बड़े सम्मान की बात है कि स्वामीजी इस भारत भूमि पर जन्म लेकर पूरी दुनिया में विख्यात हुए।

पूर्व प्राचार्य ओपी मिश्रा ने कहा कि स्वामी जी के बारे में बोलना लिखना सूर्य को रोशनी दिखाने के समान है। स्वामी जी हिंदुस्तानी संत परंपरा के वास्तविक प्रतिनिधि थे। उन्होंने सनातन धर्म और धर्म से जुड़ी हुई अनेकों भ्रांतियां को दूर किया। विश्व को बताया कि सद्भावना और भाईचारा समानता का मूल मंत्र है, उसी के सहारे दुनिया का दिल जीता जा सकता है। मंच के अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने कहा कि स्वामीजी के दृष्टांत और विचार आज भी नवीन पीढ़ी को प्रेरणा देते हुए ऊर्जा प्रदान करते हैं। स्वामी जी का संपूर्ण दर्शन भारतीयता को गौरवान्वित करने वाला है, उनके विचारों पर चलना राष्ट्र भक्ति और राष्ट्रीयता का आभास दिलाता है। युवा पीढ़ी को उनके विचारों को आत्मसात करते हुए अपना जीवन निर्माण करना चाहिए।

इस अवसर पर पूर्व प्राचार्य गोपाल जोशी, कृष्णचंद्र ठाकुर, नरेंद्र सिंह राठौड़, राधेश्याम तोगड़े, श्याम सुंदर भाटी, रमेश उपाध्याय, बीके जोशी, दिलीप वर्मा, भारती उपाध्याय, आरती त्रिवेदी ने भी स्वामीजी से जुड़े प्रसंगों पर अपने-अपने विचार व्यक्त किए।

इस मौके पर सत्यनारायण सोडा, राजेश व्यास, महेश शर्मा, मयूर पुरोहित, मनोज शर्मा सहित अनेक शिक्षक एवं गणमान्यजन उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन दिलीप वर्मा तथा आभार बीके जोशी ने माना!