भोपाल:
भाजपा विधायक के एक सवाल ने पूरे वन महकमे को हलाकान कर दिया। विस्तृत जानकारियों पर आधारित यह सवाल का जवाब तैयार करने में वन विभाग को पूरे 8 महीने लग गए। इस दौरान विभाग के अधिकारी जिला दफ्तर और सचिवालय से जानकारी इकट्ठा करने हलाकान होते रहे जब जानकारी इकट्ठी हुई तो वह 40000 पेजों में समाई.
दरअसल वन विभाग के भोपाल सर्किल में वर्ष 2014 से लेकर 2020 तक जो बजट आवंटन हुआ उसको लेकर विस्तृत जानकारी मांगी गई थी। विभाग ने विधानसभा को हार्ड कॉपी में 40000 पेज का जवाब भेजा वही सॉफ्ट कॉपी में 11 जीबी का डाटा पेन ड्राइव में भेजा गया।
अमूमन जब किसी भी सवाल का जवाब बहुत अधिक जानकारियों वाला होता है तो विभाग के आग्रह पर विधानसभा सचिवालय या तो प्रश्नकर्ता विधायक को उस सवाल को संक्षिप्त करने का आग्रह करता है या फिर ऐसे सवालों को अग्राह्य भी कर दिया जाता है।
यह मांगी जानकारी-
वन विभाग के भोपाल सर्किल के अंतर्गत आने वाले जिलों के कार्यालयों में जो बजट आबंटित किया गया और उससे जो काम कराए गए उन सभी कामों के बिल, बाउचर्स, बजट आबंटन आदेश, खर्च की जानकारी इस सवाल के जरिए मांगी गई है। कामों के लिए लेबर पेमेंट किस अवधि में कितना, किसको किया गया यह जानकारी भी मांगी गई है। सवाल की जानकारी विस्तृत इसलिए हो गई कि विधायक महोदय ने वर्ष 2014 से लेकर प्रश्न दिनांक तक की पूरी जानकारी मांग ली है। इस अवधि में सर्किल में कौन-कौन से अधिकारी कब-कब पदस्थ रहे यह जानकारी भी मांगी गई है। वन विभाग के भोपाल सर्किल में भोपाल सहित, राजगढ़, सीहोर, रायसेन, विदिशा जिले आते है। यहां सर्किल कार्यालय, ईको टूरिज्म बोर्ड, तेंदुपत्ता से जुड़ी जानकारी मांगी गई है। गंजबासौदा और सिरोंज में अवैध खुदाई की जानकारी भी मांगी गई है।
संचालनालय से लेकर मंत्रालय तक अफसर कर्मचारी खंगालते रहे जानकारी-
एमएलए महोदय के इस विस्तृत सवाल को जब विधानसभा सचिवालय ने अग्राह्य करने से इंकार कर दिया तो मजबूरन इसकी जानकारी एकत्रित करना पड़ा। सारे आबंटन आदेश,बिल, बाउचर्स की फोटोकापी कराने के बाद चालीस हजार से अधिक पेज की यह जानकारी तैयार हुई। वन मुख्यालय से लेकर मंत्रालय और फिर विधानसभा सचिवालय तक यइ सारी जानकारी तैयार कर पहुंचाने में अमले को खासी मशक्कत करना पड़ा। भोपाल सहित संबंधित भोपाल सर्किल के सभी जिलों से जानकारी एकत्रित कराई गई। जानकारियों का परीक्षण, जांच कर सारी सही जानकारी तैयार की गई। उसे विधानसभा सचिवालय पहुंचाने में भी विभाग को दो बार मेहनत करनी पड़ी एक बार जानकारी भेजने के बाद पता चला कि वहां अवकाश है तो जवाब वापस बुलाया गया इसके बाद फिर दुबारा भेजा गया। पहले तो सवाल का जवाब तैयार करने में सैकड़ों कर्मचारियों को को जुटना पड़ा फिर तैयार जवाब के गट्ठर ढोने में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को भारी मशक्कत करनी पड़ी।
अमले में हड़कंप आखिर रिपोर्ट से क्या होगा-
विधायक महोदय द्वारा मांगी गई इस विस्तृत जानकारी को लेकर पूरे वन महकमें में चर्चाए है कि आखिर इस सवाल को पूछने के पीछे विधायक जी का क्या उद्देश्य है। क्या वाकई वे किसी भ्रष्टाचार की तह तक जाना चाहते है फिर कोई और कारण है।