गैरों को गले लगाने का दौर है…

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Rahul's Bharat Jodo Yatra- Arun Yadav Out-Shera In: MLA शेरा को भारत जोड़ो यात्रा का बनाया प्रभारी
बुरहानपुर से निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा को भारत जोड़ो यात्रा का बुरहानपुर और खंडवा में व्यवस्था प्रभारी बनाए जाने के बाद राजनैतिक चुटकियां ली जा रही हैं। भाजपा प्रवक्ता डॉ. हितेष वाजपेयी ने चुटकी ली है कि बुरहानपुर-खंडवा में यात्रा प्रभारी एक निर्दलीय विधायक को कमलनाथ जी ने बनाया, पूरी कांग्रेस में एक भी विधायक इतना “विश्वासपात्र” नहीं बचा कमलनाथ जी ? क्या अरुण यादव भी आपको इतने संदिग्ध लगते हैं कि उनको भी हटा दिया? “गैरो पे करम,अपनो पे सितम”। वैसे शेरा के प्रभारी बनाने का मुद्दा कुछ विशेष नहीं है। पर जब बात चली ही है, तो कुछ चर्चा तो हो ही सकती है। शेरा का मामला उनमें ही शामिल किया जा सकता है, जिन विधायकों का टिकट अभी से तय है कि उन्हें अगली बार किस दल से चुनाव लड़ना है। इस बात का कोई मतलब नहीं है कि उन्होंने पिछला चुनाव निर्दलीय लड़ा था या किसी अन्य राजनैतिक दल के प्रत्याशी बतौर।
सुरेंद्र सिंह शेरा का उस समय का दृश्य उन सभी पत्रकार मित्रों की निगाहों में कैद होगा, जब कमलनाथ का जाना लगभग तय था। 20 मार्च 2020 से ठीक पहले का माहौल था। सुरेंद्र सिंह शेरा सीएम हाउस से निकलते वक्त टोपी लगाए यह दावा कर रहे थे कि कांग्रेस सरकार को कोई खतरा नहीं है। विक्ट्री साइन दिखाते हुए शेरा के साथ अन्य विधायक भी सीएम हाउस से निकले थे और 20 मार्च 2020 को कांग्रेस सरकार गिर गई थी। पर उसके बाद भी कांग्रेस ने बुरहानपुर क्षेत्र में शेरा की मंशा के मुताबिक ही फैसले लिए हैं। और यह भी तय है कि अगला विधानसभा चुनाव शेरा कांग्रेस के टिकट पर ही लड़ेंगे। ठीक उसी तरह जैसे वर्तमान कांग्रेस विधायक सचिन बिरला का अगला चुनाव भाजपा से लड़ना लगभग तय है। बिरला का मामला तो और भी दिलचस्प है। वह खंडवा संसदीय उपचुनाव के वक्त खुले मंच से सीएम शिवराज के सामने भाजपा की सदस्यता ही ग्रहण कर चुके हैं। खरगोन जिले की बडवाह सीट से विधायक सचिन बिरला ने 2018 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था। अक्टूबर 2021 में खंडवा संसदीय सीट के उपचुनाव में सचिन बिरला ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ली थी। इसी आधार पर कांग्रेस विधायक दल के मुख्य सचेतक डॉ. गोविंद सिंह ने 9 नवंबर 2021 को बिरला की सदस्यता खत्म करने का आवेदन दिया था। फिर इसे स्थगित करने को कहा। 25 नवंबर को दोबारा आवेदन दिया और सदस्यता खत्म करने की मांग की। तकनीकी त्रुटि के चलते विधानसभा अध्यक्ष ने इसे अस्वीकार कर दिया। और अब सब कुछ शांत है। तो बिरला का टिकट तय है कि वह चुनाव भी लड़ेंगे और भाजपा से भी।
इसी तरह का मामला बिजावर विधायक राजेश शुक्ला का है। वह पिछला चुनाव सपा से जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। पर अब वह भाजपा का चेहरा हैं। उनकी तो पारिवारिक पृष्ठभूमि कांग्रेस से भी जुड़ी रही है। पर जो बीत गई, वह बात गई। राजनीति में तो वक्त की नजाकत है, जहां मौका मिले वहां चौका लगाओ। तो पिछले दिनों बिजावर विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक राजेश बबलू शुक्ला द्वारा बुंदेली परंपरा पर आयोजित किए गए मौनिया महोत्सव कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने चिर-परिचित अंदाज में छतरपुर जिले की बिजावर विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए अनेक घोषणाएं कर डालीं। लगभग 24 मिनट के भाषण में ही मुख्यमंत्री ने बिजावर, सटई और जटाशंकर को लेकर कई सौगातों का ऐलान किया। इनमें सबसे महत्वपूर्ण सौगातें सटई को लेकर की गईं। यहां सौगातों का जिक्र जरूरी नहीं, पर अब यह तय ही है कि राजेश शुक्ला का 2023 का विधानसभा टिकट बिजावर सीट से पक्का है। इसी तरह पिछले चुनाव में भिंड से बसपा से विधायक बने संजीव सिंह कुशवाहा और सुसनेर से निर्दलीय विधायक विक्रम सिंह राणा भी अब भाजपा के हैं। इन्हें टिकट भी मिलेगा और भाजपा से ही, यह तय माना जा सकता है
सूची बहुत लंबी है और चुनाव का समय आते-आते सब चर्चा में रहेगा। पर एक विधायक नारायण त्रिपाठी का जिक्र जरूरी है। वह तो खुलेआम चुनौती देते ही रहते हैं। अलग विंध्य प्रदेश बनाने की मांग भी कर चुके हैं। और अब तो सीधा पत्र प्रधानमंत्री को ही लिखते हैं। भाजपा में लाए गए थे और अब भाजपा से मोहभंग की स्थिति सामने है। प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद उन पर कमलनाथ का प्रभाव कायम हुआ और उन्हें और विधायक शरद कोल को लेकर चर्चा का दौर जारी रहा। तो तय त्रिपाठी का भी है। बात यही है कि शेरा के मन में कोई फेरा नहीं है। उन्होंने विधायकी के करीब चार साल मजे से गुजारे हैं और तय कर चुके हैं कि अब किसके साथ रहना हैं और उनकी तो पारिवारिक पृष्ठभूमि भी कांग्रेस विचारधारा में रंगी रही। इसी तरह बाकी जिनका जिक्र किया, उनकी भी स्थिति साफ है। और इन सभी के टिकट घोषित ही माने जाएं, औपचारिक घोषणा ही बाकी मानकर। करम तो अब गैरों पर ही है, अपने तो अपने ही रहेंगे भला। और जिन्हें खफा होकर अपना नहीं रहना होगा, वह चुनावी माहौल में पता चल ही जाएगा। गुजरात में भी चल ही रहा है पता। कोई इधर तो कोई उधर, कांग्रेस-भाजपा के फेर में आप का भी मजा। क्योंकि अब दौर ही गैरों को गले लगाने का है…तो आप के लिए तो कोई गैर ही नहीं है।