

Jail Syndrome: मेडिकल इतिहास में पहली बार डॉ राजेश अग्रवाल द्वारा “जेल सिंड्रोम” परिभाषित
लिम्का बुक ऑफ़ रेकॉर्ड में दर्ज है डॉ राजेश अग्रवाल का नाम
सुशीम पगारे की विशेष रिपोर्ट
इंदौर।शहर के डाइबिटीज,मोटापा, थायराइड एवं हार्मोन विशेषज्ञ डॉ राजेश अग्रवाल द्वारा मेडिकल इतिहास में पहली बार परिभाषित “जेल सिंड्रोम” की अवधारणा को “जर्नल ऑफ़ एसोसिएशन ऑफ़ फिजिशियंस ऑफ़ इंडिया ” (JAPI )के अप्रैल अंक में प्रकाशित किया गया है.
विश्व में पहली बार डॉ राजेश अग्रवाल ने इस सिंड्रोम की व्याख्या की है। यह सिंड्रोम उन लोगों में होता है जिन्हें जेल जाने की आशंका होती है या जिनपर कानूनी शिकंजा कसा जाता है।ये लोग जमानत पाने के लिए या जमानत मिलते ही ये गायब हो जाते हैं।ऐसा होते ही इस सिंड्रोम की तीव्रता उनमें कम हो जाती है.
अभी तक मेडिकल साइंस में इस तरह का किसी ने कोई अध्ययन नहीं किया और न ही किसी ने इस तरह की टर्मिनोलॉजी बनाई। ये गर्व की बात है की इंदौर के डायबिटीज विशेषज्ञ डॉ राजेश अग्रवाल इस टर्मिनोलॉजी के प्रणेता बने हैं और प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल ने इसे मान्यता भी दी है।
उल्लेखनीय है कि डॉ राजेश अग्रवाल देश भर में अपनी प्रसिध्द पुस्तक “जिओ डाइबिटीज” की 50 हज़ार प्रतियां वितरित कर चुके हैं और उनका नाम लिम्का बुक ऑफ़ रेकॉर्ड में दर्ज हो चुका है।