रतलाम से रमेश सोनी की रिपोर्ट
बात 1968 की है जब हम बालमुनि के रूप में करीब 4 सौ वर्ष प्राचीन सागोद जैन तीर्थ पर पहली बार आए थे।बालमुनि, गणिवर्य,पन्यास और आज आचार्य तक के 58 साल के सफर में हम इस पावन धरा पर कई बार आए।यहां उस समय प्रथम तीर्थंकर दादा आदिनाथ के यंहा जो दिव्य दर्शन किये थे, वो परमात्मा की मनोहरी छबि आज भी मन मन्दिर में विराजित है। इस तीर्थ की महिमा अद्भुत है। अब जबकि मन्दिर का जीर्णोद्धार हो रहा है,यह तीर्थ प्रतिष्ठा के बाद भव्य स्वरूप लेकर विश्व में अपनी नई पहचान कायम करेगा।
बंधु बेलड़ी प.पू.आचार्य देव श्री जिनचंद्रसागरसूरिजी म.सा. ने यह विचार आज श्री वीसा पोरवाड़ जैन श्वेताम्बर तीर्थ सगोदिया में व्याख्यान में व्यक्त किए।सागोद तीर्थ जीर्णोद्धार समिति द्वारा आयोजित व्याख्यान एवं प्रभु भक्ति में बड़ी संख्या में समाजजन शामिल हुए।आचार्य श्री एवं श्रमण वृन्द ने यहां परमात्मा के दर्शन वंदन किए। इस अवसर पर परमात्मा की भव्य अंग रचना और तीर्थ परिसर की सज्जा की गई थी आचार्य श्री ने बताया यहां हम पहली बार पू.उपाध्याय श्री धर्मसागर जी म.सा. की निश्रा में आए थे।यहां चैत्र ओली जी की आराधना भी की हैं।महिला मंडल ने मंगल कलश के साथ प्रदक्षिणा की । संगीतकार नमन धारीवाल ने प्रभु भक्ति में डुबाया।
विरति से भक्ति की और
पूज्य श्री प्रसन्नचन्द्रसागर जी म.सा.,श्री आनंदचन्द्रसागरजी म.सा. और श्री पदमचन्द्रसागरजी म.सा. ने कहा कि यम,नियम और संयम के कायदे में जो रहता है,वो हमेशा फायदे में रहता है।दीक्षा पर्व पर अभी तक रतलाम में विरति का माहौल रहा,जो आज अब इस तीर्थ भूमि में आकर भक्ति में परिवर्तित हो गया हैं।यह इसी तीर्थ भूमि का प्रताप है।उन्होंने कहा की सभी संगठन,समर्पण और संकल्प से इस तीर्थ के जीर्णोद्धार पश्चात भव्य प्रतिष्ठा महोत्सव को मूर्त रूप प्रदान करें।
सैलाना में प्रवेश 30 को –
आचार्य श्री ने बिबडोद तीर्थ में परमात्मा के दर्शन किए।रतलाम से वे सेमलिया तीर्थ होकर सैलाना के लिए विहार करेंगें। सैलाना में 30 मई को भव्य प्रवेश उत्सव रखा गया हैं।मुमुक्षु तनिष्का चाणोदिया की दीक्षा 1 जून बुधवार 2022 को होगी। आचार्य श्री की सैलाना में 30 मई से 1 जून तक स्थिरता रहेगी।