Janpath Corridors To Kartvya Path: अशोक गहलोत को इन दिनों ग़ुस्सा क्यों आता है?

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Janpath Corridors To Kartvya Path: अशोक गहलोत को इन दिनों ग़ुस्सा क्यों आता है

गोपेन्द्र नाथ भट्ट  का  कॉलम

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इन दिनों अपने स्वभाव के विपरीत बहुत ग़ुस्सा आता है। कारण पता नहीं ! लेकिन राजनीतिक सयानों का कहना है कि गहलोत अपने पैरों में लगी चौट और स्वास्थ्य के कारण  थोड़े असहज है। साथ ही सिर पर आ गए विधान सभा चुनाव के बावजूद अपने मूवमेंट में आ रही बाधाओं और हाई कमान के रोज नए फ़रमानों के दबाव के कारण उनके स्वभाव में इन दिनों थोड़ा चिडचिडापन आ गया  है।

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पिछलें दिनों कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन मन्त्री और राहुल गाँधी के खासमखास के सी वेणु गोपाल की जयपुर यात्रा के दौरान हुई पोलिटिकल अफेयर्स कमेटी की बैठक में सभी ने गहलोत का वह रौद्र रूप देखा जो प्रायः नही देखा जाता। उन्होंने अपने मंत्रिपरिषद के साथी प्रताप सिंह खाचारियाँवास , पूर्व मंत्री विधायक डॉ.रघु शर्मा और एआईसीसी के सदस्य पूर्व सांसद रघुवीर मीणा को सरे आम ज़बर्दस्त डाँट पिला दी। इस वजह से आदिवासी नेता रघुवीर सिंह मीणा के आँखों में तों आंसुओं की धारा ही बह निकली। हालाँकि बताते है कि गहलोत ने बाद में स्थिति की नाजुकता को देखते हुए अपने इन सभी निकटस्थ साथियों को सान्त्वना भरी झप्पी भी दे दी और सार्वजनिक रूप से गलत टिप्पणियाँ नही करने के बारे में समझाया।

**सचिन पायलट की चाल अभी भी टेडीमेडी* *

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट  के मध्य लम्बे समय तक चली तनातनी को पिछलें दिनों कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने नई दिल्ली में समझाईश कर शान्त करवाया था । उसके बाद खुले आम बग़ावत पर उतरे पायलट के तेवर काफ़ी ठण्डे पड़े थे और वे गहलोत के साथ पार्टी की महत्वपूर्ण बेठकों में भी भाग लेने लगे है लेकिन पिछलीं नौ अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस पर राजस्थान गुजरात और मध्य प्रदेश की सीमाओं पर स्थित राजस्थान के जालियाँवाला बाग माने जाने वाले मानगढ़ पर हुई राहुल गाँधी की विशाल रैली में फिर से उनके तीखे तेवर दिखें।

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रैली में लाखों की संख्या में इकट्ठे हुए लोगों को सचिन का राहुल गाँधी के आने से पहलें गहलोत के साथ मंच साँझा करना अच्छा नही लगा जबकि पैरों में चौट के बावजूद गहलोत राहुल गाँधी के सम्मान और आदिवासी वोटरों को संदेश देने पहली बार जयपुर से बाहर इस प्रकार की महत्वपूर्ण रैली में भाग लेने आयें थे। मंच पर दोनों की कुर्सियाँ भी दूर-दूर थी । दूसरी ओर गहलोत ने प्रोटोकोल निभाते हुए राहुल गाँधी के एक ओर प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा और दूसरी ओर  प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा को बिठाया और स्वयं दूर बैठें।राहुल गाँधी से महिलाओं को मोबाईल फ़ोन दिलाने और अन्नपूर्णा फ़ूड पैकेट योजना का शुभारम्भ करते समय गोविन्द सिंह डोटासरा के पीछे हो जाने पर उन्हें आगे कर सदाशयता का परिचय दिया लेकिन उनसे सचिन दूर-दूर ही रहें।
इस रैली में अहम भूमिका निभाने वाले गहलोत के विश्वस्त जल संसाधन मंत्री महेन्द्र जीत मालविया का रैली में लाखों आदिवासियों से जुड़ने के लिए उनकी ही भाषा में किलकारियाँ के स्वर निकालने और बात करने की भी खूब चर्चा चर्चा भी रहीं। दूसरी ओर जनजाति विकास मंत्री अर्जुन बामनिया का अधिक भावुक होकर अपने भाषण में पूरे  वागड़ इलाक़े और आदिवासियों को राहुल गाँधी के चरणों में होने की बात कहने को भाजपा ने हाथों हाथ लपका और बाँसवाड़ा-डूंगरपुर के सांसद कनकमल कटारा ने उनके इस बयान की कड़े शब्दों में भर्त्सना की।

*गहलोत का प्रतिपक्ष नेता को उलाहना*

एक और दिलचस्प वाकिए में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता राजेन्द्र राठौड़ को उलाहना देना भी इन दिनों प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है। मौका था राजस्थान हाऊसिंग बोर्ड द्वारा विधायकों के लिए बनाए गए नए मकानों के उद्घाटन समारोह का।इस मौके पर गहलोत ने वहाँ मौजूद प्रतिपक्ष नेता राजेन्द्र राठौड़ की ओर इशारा करते हुए कहा कि वे मुझे चोट लगने पर भी मेरे स्वास्थ्य की जानकारी लेने नहीं आए, लेकिन मेरी मज़ाक़ अवश्य बनाई।

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उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि मेरे पैर में चौट लगने के बाद प्रतिपक्ष के नेताओं  ने विभिन्न प्रकार की बातें की जो कि प्रदेश की स्वस्थ पुरानी राजनीतिक परंपराओं के अनुरूप ठीक नहीं है।  सीएम गहलोत ने कहा कि आज प्रतिपक्ष के नेता राजेंद्र राठौड़ ने मैरे शीघ्र स्वस्थ होने की कामना प्रकट की है।इसके लिए मैं उन्हें शुक्रिया अदा करता हूं। साथ ही वे चुटकी लेने से नही चुके हुए कि अच्छा होता कि वह मेरे घर आकर मेरे स्वास्थ्य के बारे में जानकारी प्राप्त करते तो उनकी गरिमा और अधिक बढ़ती। गहलोत ने कहा कि मैरे एक पैर की उँगली में तीन फ़्रैक्चर है और दूसरे पैर के अँगूठे का पूरा नाखून उखड़ जाने के साथ ही हेयर लाईन फ़्रैक्चर है।विपक्ष के नेताओं ने मेरा मज़ाक़ बनाया कि मैं ममता बनर्जी की स्टाइल में लोगों की सहानुभूति पाने के लिए पैरों में पट्टियाँ बांध कर व्हील चेयर पर घूम रहा हूँ। मैंने कहा कि विपक्ष चाहें तों मेरे पैरों की सोनोग्राफ़ी रिपोर्ट देख लें अथवा आरएसएस पृष्ठभूमि वाले राज्यपाल कलराज मिश्र साहब से ही असलियत जान लेंवे जिन्होंने चौट लगते ही मेरे सरकारी निवास आठ सिविल लाईन्स पर आकर मेरी कुशलशेम पूछी है।गहलोत ने कहा कि ईश्वर जो करता है वह अच्छे के लिए ही करता है।यदि चोट चुनाव के दौरान लगती तो क्या होता? उन्होंने कहा कि हमें सकारात्मक सोच रखकर ही राजनीति करनी चाहिए।

*वसुन्धरा राजे भाजपा के रथ की अगुवाई करेंगी?*

भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राजस्थान की दो बार मुख्यमंत्री रहीं वसुंधरा राजे सिन्धिया की राजस्थान की राजनीति में सक्रिय भागीदारी और प्रदेश की राजनीति में वापसी के बारे में अभी भी कोई निर्णय नही होने से प्रदेश के नेताओं और कार्य कर्ताओं में ऊहापोह की स्थिति है।

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लोगों की ज़ुबान पर इन दिनों एक ही सवाल है कि वसुन्धरा राजे भाजपा के रथ की अगुवाई करेंगी अथवा नही? यह भी सुना जा रहा है कि राजस्थान में पार्टी द्वारा निकाली जाने वाली तीन परिवर्तन यात्राओं में  हाड़ौती शेखावटी और जयपुर-अजमेर आदि इलाक़ों की जिम्मेदारी वसुन्धरा राजे को दी जायेंगी।

वसुन्धरा राजे पिछलें कई दिनों से दिल्ली में है और उनका केन्द्रीय नेताओं से मिलने जुलने का सिलसिला जारी है। वे मंगलवार को भाजपा केन्द्रीय मुख्यालय पर जे पी नड्डा द्वारा किए गए ध्वजारोहण कार्यक्रम में भी मौजूद रही।इसके पहले वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रदेश के सांसदों को बैठक में भी थी।

इस मध्य कुछ घंटों के लिए वे जयपुर भी गई और अपने पिछलें मुख्यमंत्रित्व काल में प्रदेश के संगठन मंत्री रहें आरएसएस के वरिष्ठ प्रकाश भाई साहब से भी मिल कर आई और बताया गया कि दोनों के मध्य मौजूद ग़लतफ़हमियाँ का बहुत हद तक निराकरण होने से वसुन्धरा का अब पार्टी की मुख्य धारा में आना तय है। हालाँकि भाजपा की रणनीति के अनुसार इस बार प्रदेश में किसी को भी पहलें से मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नही किया जायेगा और विधान सभा का चुनाव प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम और चेहरे पर ही लड़ा जायेगा। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने इस बार इतिहास में पहली बार किसी प्रधानमंत्री को राजस्थान के चुनाव की जिम्मेदारी दी है।

राजस्थान में यह चर्चा ज़ोरों पर हैकि भाजपा में यदि वसुन्धरा मज़बूत होगी तो प्रदेश में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कमजोर होंगे और भाजपा की सरकार बनने की संभावनाएँ बढ़ जायेंगी लेकिन यदि वसुन्धरा कमजोर होती है तो इसका फ़ायदा गहलोत को मिलेगा। एक सर्वेक्षण के अनुसार राजस्थान में मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में सबसे ज़्यादा लोगों ने गहलोत को प्रथम और वसुन्धरा को दूसरे स्थान पर रखा है। भाजपा के अन्य प्रदेश नेताओं के नाम इस रेस में दूर दूर तक नही है। इस तरह राजस्थान में भाजपा की सबसे लोकप्रिय नेता वसुन्धरा राजे ही है जिनमें बड़ी संख्या में लोगों को विशेष कर महिलाओं को आकर्षित करने की अपार क्षमता है।राजनीतिक पण्डित मानते है कि आने वाले चुनाव में  वसुन्धरा को आगे नही करना भाजपा द्वारा अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा होंगा।

*सुधांशु पन्त बने केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव*

राजस्थान केडर से 1991 बैच के आईएएस अधिकारी सुधांशु पन्त ने केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव का पद भार सम्भाल लिया है। उन्हें  राजेश भूषण के 31 जुलाई को सेवा निवृत होने के बाद इस पद पर नियुक्त किया गया है।

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सुधांशु पन्त को जून माह में मन्त्रालय में ऑफ़िसर ऑन स्पेशल ड्यूटी लगाया गया था। वे पहलें भी मन्त्रालय में विभिन्न पदों पर रहे है। पन्त के साथ केन्द्र में राजस्थान केडर के अधिकारियों का दबदबा बढ़ा हैं।

*डूंगरपुर के प्रिंस बने फ़िल्मी हीरों*

क्रिकेट में मशहूर रहें दिवंगत राज सिंह डूंगरपुर के भतीजे शिवेंद्र सिंह डूंगरपुर ने फ़िल्मों में दस्तक दी है । उनकी एक फिल्म घूमर हाल ही रिलिज हुई है जिसमें उनका एक महत्वपूर्ण रोल है।
इस फिल्म में अभिषेक बच्चन, शबाना आजमी और सैयामी खेर महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं।

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शिवेंद्र सिंह डूंगरपुर  का नाम अब तक फिल्म हेरिटेज फ़ाउण्डेशन के संस्थापक निदेशक के रूप में राष्ट्रपति से पुरस्कार प्राप्त हस्ती के रूप में अधिक प्रसिद्ध रहा । विशेष कर पिछले दो वर्षों से सुप्रसिद्ध कान फिल्म फ़ेस्टीवल में इनके द्वारा पुनरुद्धारित दो फ़िल्मों की  लगातार स्क्रीनिंग से शिवेंद्र सिंह डूंगरपुर ने  बहुत नाम कमाया लेकिन अब इनके नए अवतार में अवतरित होने पर फिल्म जगत की जानी मानी हस्तियों अमिताभ बच्चन अनुपम खेर अभिषेक बच्चन आदि ने शिवेंद्र सिंह डूंगरपुर को बधाई दी है।