Jaya Kishori’s Sermon : राजकुमार राम का वनवास के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम बनने का प्रसंग! 

प्रवचनकार जया किशोरी ने धर्मालुओं को दिया भगवान राम के जीवन का संदेश!  

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Jaya Kishori’s Sermon : राजकुमार राम का वनवास के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम बनने का प्रसंग! 

 

इंदौर। प्रवचनकार जया किशोरी ने हजारों नागरिकों को भगवान राम के जीवन का संदेश दिया। गीता रामेश्वरम ट्रस्ट द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में भारी जनसैलाब उमड़ा। इस आयोजन में जया किशोरी ने कहा कि वनवास ने राजकुमार राम को मर्यादा पुरुषोत्तम बना दिया। रोबोट चौराहे पर गीता रामेश्वरम ट्रस्ट के द्वारा आयोजित इस अनूठे और भव्य आयोजन में जया किशोरी के श्रीमुख से भगवान श्री राम के जीवन के संदेश का श्रवण करने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे।

इस मौके पर उनका स्वागत ट्रस्ट के अध्यक्ष विनोद सत्यनारायण पटेल ने किया। इन श्रद्धालुओं से संवाद करते हुए जया किशोरी ने कहा कि भगवान राम ने अवतार इसलिए लिया था, ताकि आम आदमी को बता सके की किस तरह का आचरण करके इंसान से भगवान बना जाता है। इस दुनिया में खुशी मिलती नहीं है। खुश खुद रहना पड़ता है। नजरिया बदलो तो नजारें अपने आप बदल जाते है। एक जैसी स्थिति जब सकारात्मक व्यक्ति को मिलती है तो वह व्यक्ति और ज्यादा सकारात्मक हो जाता है और जब नकारात्मक व्यक्ति को मिलती है, तो वह ज्यादा बिखर जाता है। ऐसे में क्या गलती परिस्थिति की है, नहीं, हमारी है। हमारी सोच की है। रोने से स्थिति कभी नहीं बदलती है। यदि बदल जाती हो तो जीवन भर रोते रहिए। अब मनुष्य को परेशान रहने में मजा आने लगा है।

उन्होंने कहा कि अब व्यक्ति दुखी है। कहीं कोई रिश्ता टूट गया है या कोई धोखा मिल गया है। ऐसे मैं आपको ऊर्जा देने वाले संगीत को सुनना चाहिए। लेकिन, आप दुख भरे गीत सुनकर खुद को और ज्यादा दुखी करते हैं। भगवान की लीलाएं हमें सिखाती है की दुख तो आते रहेंगे। उसमें सुखी कैसे रहना है यही सीखना है। इस जिंदगी में सभी को तकलीफ आती है।

मुश्किल सभी को आती है। जो यह जानते हैं कि मुश्किल से लड़कर ही आगे बढ़ सकते हैं, वह आगे बढ़ जाते हैं। जो इस स्थिति के लिए दोषारोपण करते रहते हैं। वह दोषारोपण में ही लगे रहते हैं। करने वाले काम करके आगे बढ़ जाते हैं और नहीं करने वालों के पास सो बहाने रहते हैं।

उन्होंने कहा कि विपरीत परिस्थिति में ही मनुष्य का असली स्वभाव सामने आता है। इस समय मालूम पड़ेगा कि वह व्यक्ति कैसा है? अच्छी स्थिति में तो हर कोई अच्छा रहता है। हम कितनी चीजों की मांग करते हैं – यह मिल जाए, वह मिल जाए, ऐसी सफलता मिल जाए, यहां पास हो जाए, वह डिग्री मिल जाए, ऐसा रिश्ता बन जाए, ऐसा व्यक्ति मिल जाए, इससे शादी हो जाए, इतना धन मिल जाए, ऐसा महल मिल जाए। इन मांगों में एक भी पूरी न हो तो व्यक्ति बिखर जाता है। प्रभु श्री राम राजा बनने वाले थे। उसके एक रात पहले जो मिलने वाला था, वह तो नहीं मिला। लेकिन, जो था वह भी छिन गया। जब वे अपनी माता से मिलने जाते हैं तो कोई शिकायत नहीं करते हैं, बल्कि कहते हैं कि मुझे वन का राज्य दिया गया है। इसे कहते हैं सकारात्मकता।

 

जया किशोरी की सीख के मुख्य अंश

● आज हम जो हमें नहीं मिला उसके लिए भगवान पर दोषारोपण करते हैं, लेकिन जो दिया उसके बारे में बात नहीं करते हैं। हमें दूसरे को जो मिलता है उससे दुख होता है।

● वनवास के पहले वे राजकुमार राम थे और वनवास के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम बने।

● जब विपरीत परिस्थिति आए तो सबसे पहले भगवान को ज्यादा याद करना, कोसना मत।

● जीवन में असली शिक्षा विपरीत परिस्थितियों से मिलती है ल। सफलता से नहीं ल। सफलता तो दिमाग खराब कर देती है।

● सफल होना मुश्किल नहीं है, सफल रहना मुश्किल है। उस स्थान को बनाए रखना मुश्किल है।

● पांडव ने वनवास के दौरान ली हुई सीख से ही युद्ध जीता था। भगवान श्री कृष्ण चाहते तो उन्हें वनवास से बचा सकते थे, लेकिन भगवान चाहते थे कि इस परिस्थिति में यह लोग सीख लेवें ताकि आगे सफल हो सकें।

● शबरी माता भगवान राम के जीवन का आदर्श उदाहरण है। पूरे जीवन वे हर दिन तैयारी करती थी कि राम आएंगे। बुढापा आ गया तब वह कहती है – रामा रामा रटते रटते बीती रे उमरिया, रघुकुल नंदन कब आओगे भीलनी की डगरिया।

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● त्याग दी सारी ख्वाहिश राम ने तब जाकर बने हुए श्री राम।

● अपने जीवन का रिमोट कंट्रोल दूसरों के हाथों में मत दो। वरना उनका तो भरपूर मनोरंजन होगा और आपका जीवन बिगड़ जाएगा। कभी भी फैसला दूसरों को ध्यान में रखकर मत लो।

● दुनिया की बातों पर चलोगे तो जीवन में कभी मुस्कुरा नहीं पाओगे।

● अपने घाव हर किसी को मत बताइए क्योंकि मरहम हर घर में मिले या न मिले, लेकिन नमक हर घर में है।

● भगवान की मर्जी कहकर काम को मत टालो।

● जो पास है उसी से कार्य करो यह भगवान राम का सबसे बड़ा संदेश है। जब सीता माता का हरण हुआ था । तब भगवान राम चाहते तो राज्य की सेना हमले के लिए बुला सकते थे लेकिन उन्हें मालूम था कि यह गलत है । उन्होंने ऐसा नहीं किया । वन में उनके पास जो कुछ था उसी में उन्होंने वानर सी बना ली और उस सेवा के माध्यम से हमला किया । आज आधे से ज्यादा व्यक्ति अपने जीवन में इंतजार ही कर रहा है ।

● इंतजार करते रह जाओगे तो जीवन में कभी कुछ नहीं कर सकोगे। अगर भगवान श्री राम भी उस समय इंतजार करते तो लंका पर कभी हमला नहीं कर पाते।