Jhabua News: त्रिकोणीय संघर्ष में भाजपा की कविता नगर पालिका की अध्यक्ष,कांग्रेस की फजीहत

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Jhabua News: त्रिकोणीय संघर्ष में भाजपा की कविता नगर पालिका की अध्यक्ष,कांग्रेस की फजीहत

झाबुआ से कमलेश नाहर की रिपोर्ट

Jhabua: वार्ड 14 की पार्षद कविता सिंगार झाबुआ नगर पालिका की अध्यक्ष होगी।उन्होंने त्रिकोणीय संघर्ष में विजय हासिल की। भाजपा के ही लाखनसिंह सोलंकी निर्विरोध उपाध्यक्ष चुने गए।

18 पार्षदों वाली परिषद में भाजपा के 9, कांग्रेस के 7 और दो निर्दलीय पार्षद हैं। भाजपा की ओर से वार्ड 14 की पार्षद कविता और कांग्रेस की ओर से वार्ड 11 की पार्षद धुमा ने नामांकन भरा।

पार्टी से बगावत कर वार्ड 13 से भाजपा पार्षद बसंती धनसिंह बारिया ने भी नामांकन दाखिल कर दिया। भाजपा से ही वार्ड 4 की पार्षद कविता राठौर प्रस्तावक बनी और वार्ड 5 के निर्दलीय घनश्याम भाटी समर्थक।

खबर बाहर आई तो भाजपा खेमे में चिंता हो गई। कांग्रेस में उत्साह का संचार हो गया। लेकिन वोटिंग के बाद पता चला, खेल कांग्रेस के साथ हो गया। कांग्रेस के दो से तीन पार्षदों ने भाजपा के पक्ष में वोट डाल दिए। कविता सिंगार को 9, बसंती को 5 और धुमा को 4 वोट मिले।

 

उपाध्यक्ष पद के लिए भाजपा की ओर से वार्ड 9 के पार्षद लाखनसिंह सोलंकी ने नामांकन भरा। उनके सामने कांग्रेस से वार्ड 12 के विनय भावर खड़े हुए लेकिन उन्होंने नाम वापस ले लिया। लाखनसिंह निर्विरोध उपाध्यक्ष चुने गए। परिणाम के बाद भाजपा के 9 और दो निर्दलीय पार्षद एकसाथ बाहर निकले और जीत का निशान बताकर खुशी जताई। परिणाम के बाद खुली गाड़ी में भाजपा ने जुलूस निकाला। इसमें अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, भाजपा जिलाध्यक्ष लक्ष्मणसिंह नायक, चुनाव प्रभारी प्रवीण सुराणा, बिट्टू सिंगार, भानू भूरिया, दौलत भावसार, समर्थक पार्षद और एक निर्दलीय पार्षद भी शामिल हुए। बृजेंद्र चुत्र शर्मा भी स्वागत के लिए पहुंचे।

अब कांग्रेस उन पार्षदों का पता लगा रही है, जिन्होंने क्रॉस वोटिंग की। भाजपा की कलह के कारण पार्टी के पास अध्यक्ष पद पाने का ये बड़ा मौका था।

 

*खुलकर सामने आई भाजपा की कलह*

भाजपा ने अपने अधिकृत प्रत्याशी के नाम की जानकारी आखिरी तक किसी को नहीं दी। बैठक शुरू होने के बाद लिफाफे में नाम अंदर भेजे गए। जब कविता सिंगार का नाम आया तो बसंती बारिया ने भी नामांकन भरा। उन्होंने बैठक में भाजपा नेताओं पर टिकट बेचने के आरोप लगाए। साथी पार्षदों ने समझाकर बिठाया। इधर जैसे ही बसंती के नामांकन भरने की खबर बाहर आई, कांग्रेस खेमे में खुशी दौड़ गई। नेताओं को लगा, भाजपा के वोट दो हिस्सों में बंट गए, ऐसे में 7 सदस्यों वाली कांग्रेस अध्यक्ष बना लेगी। शहर कांग्रेस अध्यक्ष बेरिकेड्स के पास खड़े हो गए, ताकि कोई भाजपाई अंदर नहीं जा सके। इसे लेकर कांग्रेस-भाजपा नेताओं में धक्का-मुक्की हो गई। पुलिस ने मामला शांत किया। कुछ देर में भाजपा जिलाध्यक्ष लक्ष्मणसिंह नायक और बसंती के पति पूर्व नपा अध्यक्ष धनसिंह के बीच कहासुनी हो गई। धनसिंह ने भी लेनदेन कर अध्यक्ष पद बेचने का आरोप लगाया। इसके बाद लक्ष्मणसिंह नायक ने वार्ड 4 की पार्षद कविता के पति नाना राठौर की क्लास लगाई।

 

*कांग्रेस नेतृत्व की निष्क्रियता, भाजपा की बल्ले बल्ले*

इन नगरीय विकास चुनावो से लेकर अध्यक्ष उपाध्यक्ष निर्वाचन तक कांग्रेस नेतृत्व बिल्कुल बेजान नजर आया।ज़िले में सभी जगह कांग्रेस कोई चुनोती पेश नही कर सकी।झाबुआ नगर पालिका में 18 में से 7 पार्षद जीते।भाजपा की गुटबाजी व कलह से कांग्रेस अध्यक्ष उपाध्यक्ष बना सकती थी।परंतु ऐसा हो न सका।उल्टे कमजोर नेतृत्व के चलते भाजपा ने कांग्रेसी पार्षदों को भी अपने खेमे में कर लिया।उधर

भाजपा ने चुनाव को गंभीरता से लिया। जिले के संगठन प्रभारी हरिनारायण यादव, चुनाव पर्यवेक्षक नागरसिंह चौहान सहित कई नेता काम पर लगाए गए। पार्षदों को दो दिन से अज्ञात स्थान पर रखा गया। रविवार सुबह मेघनगर लाया गया। दो दिनों तक संगठन का साथ देने की समझाइश दी गई। अनुशासन की दुहाई देकर पार्टी द्वारा तय उम्मीदवार को वोट देने की नसीहत दी गई। लेकिन पार्टी में ऊपरी स्तर के अलग-अलग तीन धड़ों के कारण अनुशासन धता रह गया। उम्मीदवारी नहीं पाने वालों ने दावा किया कि रायशुमारी में उन्हें अधिक समर्थन था, लेकिन बड़े लोगों के बीच में आने से उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया गया। सारा दबाव बनाने के बावजूद भाजपा को पता था, बगावत हो सकती है। ऐसे में कांग्रेस पार्षदों से संपर्क कायम रखा और इसमें सफलता हासिल की।

*शुरू हुआ इस्तीफे, निष्कासन का दौर*

नगर पालिका अध्यक्ष चुनाव में पार्टी द्वारा अधिकृत प्रत्याशी नहीं बनाए जाने से नाराज बगावत कर लड़ने वाली बसंती धनसिंह बारिया ने भाजपा जिला उपाध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है। इधर जिलाध्यक्ष ने बसंती बारिया, धनसिंह बारिया, कविता राठौर और हेमेंद्र नाना राठौर को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया। धनसिंह और नायक के बीच दोपहर में काफी बहस भी हुई थी।