झूठ बोले कौआ काटे! सौ गाली सह लेनेवाला हिंदू, 101वीं पर सजा हिंदुत्व

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 झूठ बोले कौआ काटे! सौ गाली सह लेनेवाला हिंदू, 101वीं पर सजा हिंदुत्व

– रामेन्द्र सिन्हा

* दो दशक से अधिक से हिंदू ‘लॉलीवुड’ के निशाने पर हैं। पाकिस्तान में हिंदू आतंकवाद दिखाने वाली एक ‘प्रोपेगेंडा वेब सीरीज’ का ट्रेलर पिछले दिनों ही सामने आया है। पाकिस्तानी ओटीटी प्लेटफॉर्म vidly.tv के लिए बनी आठ एपिसोड की इस सीरीज का नाम है- सेवक: द कन्फेशन। इस वेब सीरीज में भारत में 1984 के दंगों से लेकर गुजरात दंगों और अयोध्या विवाद तक को शामिल किया गया है।

* इंडोनेशिया के एक मौलवी ने कुछ दिन पहले फतवा जारी किया कि मुस्लिमों को ‘मेरी क्रिसमस’ कहते हुए क्रिसमस की शुभकामनाएं देने से बचना चाहिए। ‘द इस्लामिक इंफॉर्मेशन’ द्वारा प्रकाशित एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया कि इस्लाम में क्रिसमस सहित किसी भी गैर-मुस्लिम त्यौहार को मनाना ‘हराम’ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह इस्लाम में सबसे दंडनीय अपराधों में से एक है।

* ब्रिटिश कोलंबिया के एक इस्लामिक मौलवी शेख यूनुस कथराडा ने 2018 में कहा था, “यदि कोई व्यक्ति बहुत बड़ा पाप कर रहा है, जैसे कि व्यभिचार, ब्याज लेना, झूठ बोलना या हत्या। कोई अन्य व्यक्ति गैर-मुस्लिमों को उनके त्यौहारों पर बधाई दे रहा है तो वह इनसे कहीं अधिक बड़ा पाप कर रहा है।”

* केरल के एक इस्लामी मौलवी शम्सुद्दीन फरीद ने साल 2016 में क्रिसमस और ओणम को गैर-इस्लामिक त्यौहार कहकर विवाद खड़ा कर दिया था। फरार कट्टरपंथी जाकिर नाइक ने अप्रैल 2019 में एक वीडियो में कहा था कि मुस्लिमों द्वारा मेरी क्रिसमस की शुभकामना देना 100% गलत है।

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* प्रतिबंधित संगठन पीएफआई के भारत को 2047 तक इस्लामिक राष्ट्र बनाने के मंसूबों से इतर संतो और विद्वानों का एक वर्ग हिंदू राष्ट्र के रूप में भारत के संविधान का मसौदा तैयार कर रहा है। माघ मेला 2023 के दौरान आयोजित होने वाले धर्म संसद में इसे पेश किया जाएगा।

इन कतिपय उल्लेखनीय घटनाओं का नैरेटिव क्या है? धार्मिक आधार पर अलग देश बनने के बाद भी कट्टरपने की राह पर अग्रसर पाकिस्तान हिंदू-हिंदुस्तान के विरूद्ध जहर उगलने से बाज नहीं आ रहा। जबकि, भारत अपनी सहिष्णुता के साथ सनातनी गौरव को प्राप्त करने की दिशा में उद्यत है। भारत ब्रह्मोस के नए अवतार का सफल परीक्षण कर रहा तो पाकिस्तान महंगाई और कर्ज के जाल में कराह रहा है। पाकिस्तानी नागरिक तो टीवी चैनलों पर यहां तक कहने से गुरेज नहीं कर रहे कि भारत ही कंगाल पाकिस्तान को खरीद लेगा।

झूठ बोले कौआ काटेः

पाकिस्तान एक ऐसा देश है जो धर्म के नाम पर 1947 में भारत से अलग हुआ था। हिंदुओं से नफरत के कारण ही पाकिस्तान बना भी। आज भी, आए दिन हिंदुओं और सिक्खों को प्रताड़ित किया जाता है। औरतों और बच्चियों के साथ बलात्कार, जबरन धर्म परिवर्तन कर किसी मुस्लिम लड़के से शादी करा देना आम बात है। अगर यही अत्याचार भारत या दुनिया के किसी भी देश में मुस्लिमों के खिलाफ होता तो इस्लामिक देशों में आग लग जाती। हालांकि, चीन में उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार इसका अपवाद है क्योंकि उसकी आर्थिक-राजनीतिक वजहें हैं।

वेब सीरीज ‘सेवक: द कन्फेशन’ भारत में बनी होती और पाकिस्तान के मुसलमानों की करतूतों के बारे में दिखाया गया होता तो वहां की कौन कहे, यहां के कट्टरपंथियों को आग लग जाती और वे सोशल मीडिया से लेकर जंतर मंतर तक चिल्ला रहे होते। नूपुर शर्मा का मामला लोग भूले नहीं होंगे।

लॉलीवुड की हिट फिल्म “बार्डर” 2002 में रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म में एक मुस्लिम लड़का और हिन्दू लड़की की प्रेम कहानी है। फिल्म के एक सीन में भारतीय सैनिक एक मुस्लिम महिला को बंधक बना कर बलात्कार करते हुए दिखाई देते हैं। महिला हिंदुस्तानी सैनिकों को बार-बार “हिन्दू कुत्ते” कह कर चिल्ला रही है। ध्यान देने वाली बात यह है कि वह बलात्कारियों को हिंदुस्तानी कुत्ता नहीं बल्कि हिन्दू कुत्ता कह रही है। कल्पना कीजिए अगर किसी भारतीय फिल्म में बलात्कारी को मुस्लिम कुत्ता कहा जाए तो यहां का लिबरल और टुकड़े-टुकड़े गैंग आसमान सिर पर उठा लेंगे।

बोले तो, पाकिस्तानी फिल्मों में 90 के बाद काली कलूटी मद्रासन, तिलक वाले, गाय का पेशाब पीने वाले जैसे संवादों का प्रयोग जानबूझ कर किया जाने लगा। भारतीय खलनायक को अक्सर ‘हिन्दू’ खलनायक कहा गया। कश्मीर में हर सिपाही को केसरिया टीका लगाकर मुजाहिदों का सामना करते फिल्माया गया। उद्देश्य बस भावनाएं भड़का कर पैसे कमाना रहा।

‘डॉन’ की एक रिपोर्ट के अनुसार 2011 में अमेरिकी सरकार ने एक आयोग की रिपोर्ट में बताया था कि, पाकिस्तानी स्कूलों की पाठ्य पुस्तकें हिंदुओं और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति पूर्वाग्रह और असहिष्णुता को बढ़ावा देती हैं और इन्हें इस्लाम के दुश्मन के रूप में दिखाती हैं।

इस्लामी मान्यता के अनुसार जिस प्रकार धार्मिक त्यौहारों की बधाई देना सर्वसम्मति से हराम है, इसी प्रकार मुस्लिम समाज में रक्तदान या अंगदान को भी हराम माना गया है। दारूल उलूम द्वबंद ने तो इस बारे में 2010 में फतवा तक जारी कर दिया था। यह भी कहा कि अपने किसी निकट संबंधी का जीवन बचाने के लिए रक्तदान की अनुमति है।

बीबीसी की 2015 की एक रिपोर्ट के अनुसार, वेस्ट मिडलैंड के अस्पतालों में नई किडनी या लीवर के रूप में अंगदान पाने के लिए मुसलमानों को गैरमुसलमानों के मुकाबले साल-साल भर लंबा इंतज़ार करना पड़ रहा था। अंगदान करने के लिए सजातीय (मुस्लिम) दाताओं का न मिलना एक बड़ा कारण था। वैसे अपवाद भी हैं। साल 2018 में कानपुर के एक मुस्लिम डॉक्टर ने शरीरदान की घोषणा की परंतु उसके खिलाफ कट्टरपंथियों ने फतवा जारी कर दिया।

दूसरी ओर, सनातन अर्थात् हिंदू धर्म में हठधर्मिता के नियम न होने से ये लाभ है कि कई हिंदू अपनी उचित सोच के अनुसार कुछ बदलाव करके भी धर्म का पालन करते रहते हैं। हिंदू समावेशी होता है और दूसरे धर्मों का आदर करता है। इसीलिए, देवी-देवताओं की असंख्य मूर्तियों और मंदिरों के आतताइयों द्वारा विध्वंस, लाखों हिंदुओं की हत्या के बावजूद हिंदू धर्म को न कोई समाप्त कर पाया न ही हिंदुओं का समूल विनाश कर पाया।

झूठ बोले कौआ काटे, हर देश के नाम से ही उस देश के निवासियों का नामकरण तथा पहचान होती है। जैसे, पाकिस्तान के लोग पाकिस्तानी, जापान के जापानी, रूस के रूसी आदि। इसी प्रकार हिन्दुस्तान के लोग हिन्दू हुए, चाहे वे किसी भी धर्म/जाति के हों। इसीलिए, हिंदुत्व या हिंदू धर्म को एक जीवन शैली माना गया है। वास्तव में धर्म तो सनातन है, जिसे 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् संविधान में हिंदू धर्म का नाम दे दिया गया। और, बाद में वोटों की खेती के लिए ‘धर्म निरपेक्ष’ शब्द भी जोड़ दिया गया।

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भौगोलिक और ऐतिहासिक तथ्यों से यह सिद्ध हो चुका है कि भारत भूमि पर रहने वाले सभी हिन्दू हैं और यह कोई एक धर्म नहीं है। यह एक भौगोलिक पहचान है जिसे सभी भारतीयों को मानना चाहिए।

हिंदू धर्म या हिंदुत्व को ऐसे समझिए। हिमाचल के एक गांव में एक फोटोग्राफर ने एक महिला को पूजा करते देखा, लेकिन सामने न कोई मूर्ति, न सूर्य, न कोई आकार।

“आप किसकी पूजा कर रही हैं?” उसने पूछा।

“मैं पथ की पूजा कर रही हूं,” महिला मुस्कुराई। बस, इसी उत्तर में हिंदू अथवा सनातन धर्म का गूढ़ रहस्य छिपा हुआ है।

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100 गाली तक शिशुपाल को क्षमा करने वाला हिंदू है और 101वीं गाली पर उसकी गर्दन उड़ा देना हिंदुत्व है। राम युग से कृष्ण युग तक सहिष्णुता के साथ जैसे को तैसा का जो संदेश गीता ने दिया था, अनेक विसंगतियों, कुरीतियों और कमियों के बावजूद अपनी सनातनी विरासत को पाने की दिशा में फिर से अग्रसर है। 2023 में प्रयागराज माघ मेले में प्रस्तावित धर्म संसद में हिंदू राष्ट्र के रूप में भारत के संविधान के मसौदे पर विमर्श इसी कड़ी का हिस्सा कहा जा सकता है। ये नया भारत है।

 

और ये भी गजबः

यूरोप में जब प्रिंटिंग प्रेस का आविष्कार हुआ तो उसे इस्लाम में हराम करार दे दिया गया, क्योंकि उससे पहले मुस्लिम उलेमा वज़ू करके कुरान व हदीस की किताबों को हाथों से लिखते थे। उलेमाओं का मानना था कि ये नापाक मशीन है, जिस पर अल्लाह और रसूल का कलाम छापना हराम है। लेकिन अब ये पूरी तरह हलाल हो गई है।

लाउडस्पीकर जब आया तो उसकी आवाज़ को गधे की आवाज़ से तुलना कर उसे शैतानी यंत्र करार दे दिया गया, लेकिन आज हर मस्जिद और आलिम के मजलिस के लिए जरूरी है। रेलगाड़ी आई तो उलेमाओं ने फरमाया कि हमारे नबी ने कयामत की एक निशानी ये भी बताई थी कि लोहा लोहे पर चलेगा, लेकिन आज उलेमा इसी लोहे की बर्थ पर नमाज़ अदा करते नजर आते हैं।

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हवाई जहाज की चर्चा जब आम हुई, तो उलेमाओं ने कहा कि जो इस लोहे में उड़ेगा उसका निकाह खत्म हो जाएगा। लेकिन, आज इसी लोहे पर उड़ कर मुसलमान हज व उमरा की नेकियां बटोर रहे हैं। अंग्रेजों ने जब नई चिकित्सा पद्धति अपनाया तो टीके पर भी फतवा जारी हुआ। मुर्गियों पर भी फतवे हुए। ऐसी घरेलू मुर्गी जो बाहर से दाना चुग कर आई हो उसे हलाल नहीं किया जा सकत। पहले उसे तीस दिनों तक दड़बे में रखा जाए फिर हलाल किया जाए। जब पोल्ट्री फार्म की मुर्गी आई तो उसके अंडों पर फतवा लगा, क्योंकि उन अंडों का कोई बाप नहीं था।

रक्तदान को भी हराम कर दिया गया लेकिन इसके बिना काम चलने वाला क्या? अब प्रगतिशील मुस्लिमों के लिए तो रक्तदान नेकी का काम है। फोटो खिंचाना हराम है, लेकिन आज कौन सा ऐसा मुसलमान है जो इससे इनकार करता हो। सऊदी अरब जैसा कट्टर मुस्लिम देश भी नहीं।

टीवी को हराम ही नहीं बल्कि उसे शैतानी डिब्बा कहा गया। लेकिन, आज बड़े बड़े उलेमा इसी शैतानी डिब्बा में अपनी ईमान से भरी तकरीर से उम्मत अर्थात् समुदाय को नवाजते रहते हैं।