Joint Memorandum to PM : राज्यपालों के दखल और आईएएस कैडर नियमों में बदलाव के खिलाफ खड़े हुए सांसद और पूर्व नौकरशाह

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New Delhi : IAS नियमों में बदलाव को लेकर केंद्र सरकार के फैसले का विरोध खुलकर सामने आ गया। गैर-BJP शासित कुछ राज्यों ने PM नरेंद्र मोदी को ज्ञापन भेजकर इसका विरोध जताया है। पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी समेत कुछ मुख्यमंत्रियों ने प्रधानमंत्री को इस संबंध में पत्र लिखा था।

गैर-BJP शासित राज्यों के कुछ सांसदों ने भी राज्यपालों के ‘हस्तक्षेप’ और IAS नियमों में बदलाव पर अपना विरोध जताया। 21 विपक्षी दलों के सांसदों और 38 सेवानिवृत्त नौकरशाहों ने गैर-BJP शासित राज्यों में राज्यपालों की भूमिका और आईएएस नियमों (IAS Cadre Rules) में बदलाव पर PM Narendra Modi को संयुक्त ज्ञापन भेजा है।

इन सांसदों ने अखिल भारतीय सेवा कैडर नियमों को बदलने के केंद्र के प्रस्ताव और विपक्ष शासित राज्यों में राज्यपालों द्वारा कथित हस्तक्षेप का जिक्र किया। केंद्र सरकार की कार्रवाई को लोकतंत्र और संघीय शासन के खिलाफ बताते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि ये पूरी तरह असंवैधानिक है। इससे भविष्य में अवांछित संकट पैदा हो सकता हैं।

साझा ज्ञापन में सांसदों और पूर्व नौकरशाहों ने कहा है कि IAS के इन संशोधनों को राज्यों को अपने अधीन करने के लिए तैयार किया गया है। हम सामूहिक रूप से केंद्रीय पदस्थापना और तबादलों के माध्यम से भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) पर पूर्ण नियंत्रण के केंद्र सरकार के कदमों का विरोध करते हैं। हम केंद्र को किसी भी एकतरफा कदम के खिलाफ आगाह करते हैं और यह स्पष्ट करते हैं कि राज्य इस असंवैधानिक शक्तियों के हड़पने के लिए सहमत नहीं होंगे। भले ही इसे मुख्यमंत्रियों और राज्यों के वैध विरोध के बावजूद थोप दिया जाए।

गैर-BJP दलों द्वारा शासित कुछ राज्य IAS नियमों में बदलाव के खिलाफ हैं। कई मुख्यमंत्रियों ने पहले भी प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था। सांसदों का दूसरा मुद्दा विपक्ष शासित राज्यों में निर्वाचित सरकारों के कामकाज में राज्यपालों के बढ़ते हस्तक्षेप से संबंधित है। उन्होंने कहा कि वे अपनी सहमति व्यक्त करने के लिए एक साथ आए हैं। हम मांग करते हैं कि राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों पर केंद्र के दखल को तुरंत रोका जाए। जिन मामलों में निश्चित रूप से केंद्र के परामर्श की आवश्यकता होती है, उन पर एकतरफा आदेश जारी करने के बजाय राज्यों के साथ चर्चा की जानी चाहिए।

सांसदों ने बंगाल में राज्यपाल के हस्तक्षेप का उदाहरण भी दिया। सांसदों और पूर्व नौकरशाहों ने यह आरोप भी लगाया कि पश्चिम बंगाल में राज्यपाल चुनी गई सरकार को नीचा दिखाने और उसकी आलोचना करने के लिए दिन में कई बार सोशल मीडिया का सहारा लेते हैं। साथ ही मुख्यमंत्री, मंत्रियों और वरिष्ठ नौकरशाहों के काम में ‘दखलंदाजी’ करते हैं। हम केंद्र द्वारा नियुक्त इन राज्यपालों के अलोकतांत्रिक और संघीय ढांचे के खिलाफ इस निंदनीय आचरण की निंदा करते हैं।

इस साझा ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वाले 21 सांसदों में तिरुचि शिवा (डीएमके), मनोज कुमार झा (आरजेडी), जयराम रमेश (कांग्रेस), के केशव राव (टीआरएस), संजय राउत (शिवसेना), जवाहर सरकार (तृणमूल कांग्रेस), बिनॉय विश्वम (भाकपा), संजय सिंह (आप), अब्दुल वहाब (आईयूएमएल), सुखराम सिंह यादव (सपा), सुखेंदु शेखर रे (तृणमूल कांग्रेस), अनिल देसाई (शिवसेना), अमी याज्ञनिक (कांग्रेस) समेत अन्य शामिल हैं। ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वाले 38 पूर्व नौकरशाहों में वजाहत हबीबुल्लाह, केपी फैबियन, अमिताभ पांडे, एमजी देवसहायम, सुरेंद्र नाथ समेत और भी कई नाम शामिल हैं।