JP Nadda’s Indore visit : आखिर असंतोष संभालने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को आना पड़ा!
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा 8 मार्च को एक दिन की यात्रा पर इंदौर आ रहे हैं। उनकी अचानक हो रही इस यात्रा के कई काऱण निकाले जा रहे हैं। लेकिन, जानकारियां बताती है कि स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं का असंतोष दूर करना उनकी यात्रा का मुख्य मकसद है। पिछले दिनों इंदौर में बहुत कुछ ऐसा घटा, जिस कारण पार्टी के पुराने और निष्ठावान नेताओं, कार्यकर्ताओं अनदेखी हुई। इस नाराजी को संगठन ने रोकना चाहा, पर किसी भी तरह इसे दबाया नहीं जा सका! असंतोष का यह लावा ज्यादा न बहे, इसके लिए कई कोशिशें हुई, पर उसका कोई नतीजा नहीं निकला। अब शायद राष्ट्रीय अध्यक्ष इस नाराजी को अपने प्रयासों से इसे दूर करने की कोशिश करेंगे। यही कारण है कि पार्टी अध्यक्ष का ये दौरा कई मायनों में चौंकाने वाला है।
जेपी नड्डा का महाकाल दर्शन करने उज्जैन जाने का भी कार्यक्रम है। पार्टी मीटिंग के अलावा उनका कोई कार्यक्रम इंदौर में होगा, ये अभी तय नहीं है। लेकिन, वे देवास में एक कार्यक्रम में जरूर भाग लेंगे और वहां से भोपाल जाएंगे। देवास में वे पोषण आहार केंद्र संबंधी प्रदेश स्तरीय कार्यक्रम में भाग लेंगे और वहां से भोपाल जाएंगे। भोपाल में भी वे एक कार्यक्रम में शामिल होंगे। पार्टी के अंदर की ख़बरें बताती है, कि जेपी नड्डा के अचानक इंदौर आने का कारण पार्टी में पनपते असंतोष को रोकना है। कारण कि प्रदेश संगठन के कई नेताओं ने इस असंतोष को दबाने की कोशिश की, पर बात नहीं बनी। पिछले दिनों कई बार जिला, शहर और ग्रामीण संगठन में जमकर गुटबाजी सामने आई थी। इसे संभालने के लिए पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश संगठन प्रभारी मुरलीधर राव ने भी बैठक लेकर बात की थी। लेकिन, कोई नतीजा नहीं निकला।
पार्टी की नगर इकाई की कार्यकारिणी का ढाई साल बाद भी गठन नहीं हुआ। इसका कारण सिर्फ गुटबाजी है और कुछ नहीं! ख़ास बात ये कि बड़े नेता इस बारे में बयान देने से बचते रहे और ऐसे सवालों पर टालमटोल करते रहे। ज्योतिरादित्य सिंधिया के किसी समर्थकों को भी अभी तक संगठन में जगह नहीं मिल सकी। ये भी एक कारण है कि पार्टी के एक गुट में नाराजी है। बताया गया कि नए लोगों को ज्यादा तवज्जो देने से पार्टी के पुराने नेता और कार्यकर्ताओं में नाराजी है। प्रदेश प्रवक्ता उमेश शर्मा ने तो सोशल मीडिया पर अपनी नाराजी खुलकर बताई भी थी। पर, उन्हें दबा दिया गया। उन्हें नोटिस भी दिया गया है। लेकिन, उमेश शर्मा की तरह और भी कई नेता हैं, जिनमें नाराजी है, पर पार्टी अनुशासन के कारण वे चुप हैं।
भाजपा के संगठन मंत्री रहे जयपालसिंह चावडा को इंदौर विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर पार्टी में एक गुट बहुत ज्यादा नाराज है। इसलिए कि उन्होंने इंदौर के नेताओं का हक़ मारा है। पहली बार हुआ कि किसी बाहरी आदमी को इंदौर के विकास की कमान सौंपी गई! चावड़ा देवास के रहने वाले हैं और उन्हें ‘आईडीए’ का अध्यक्ष बना दिया गया। देवास जिला ही अलग नहीं है, संभाग भी अलग है। ऐसे नेता को इंदौर में थोपे जाने से यहां के नेताओं का हक़ मारा गया, जिससे वे दुखी हैं, पर बोल नहीं पा रहे। पार्टी के प्रदेश संगठन मंत्री सुहास भगत की सिफारिश पर हुई, इस नियुक्ति पर पार्टी के नेता खुलकर नहीं बोले, पर कई जगह वे अपने असंतोष का लावा दिखा चुके हैं।
पार्टी के बड़े नेता सत्यनारायण सत्तन ने भी इंदौर के ‘गौरव दिवस’ को लेकर हुई बैठक में अपनी नाराजी व्यक्त की थी। ‘गौरव दिवस’ तय करने के लिए हुई समिति में भी जयपालसिंह चावडा को रखे जाने पर पार्टी के नेताओं में विरोध खदबदाया था। राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भी सीहोर में पं. प्रदीप मिश्रा की कथा में अड़चन डलने पर अपने तीखे तेवर दिखाए थे, जिसे लेकर जमकर माहौल बना! ये तो वो मामले हैं, जो खुले हुए हैं। इसके अलावा भी कई अंदरूनी मामले हैं, जिनका निराकरण जेपी नड्डा को करना है।
पार्टी की इंदौर इकाई को 10 करोड़ रुपए समर्पण निधि इकट्ठा करने का टारगेट दिया गया था। लेकिन, पार्टी सिर्फ इसकी एक चौथाई राशि (करीब ढाई करोड़) ही जमा कर सकी है। इसे लेकर भी पार्टी में अंदरूनी खींचतान भी जमकर है। कुछ नेता तो खुलकर सामने आ गए। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को इस सारे असंतोष की जानकारी है। यही कारण है कि वे खुद इंदौर आ रहे हैं।
शुक्रवार रात को जेपी नड्डा का कार्यक्रम तय होने के बाद पार्टी के स्थानीय नेताओं ने तत्काल बैठक करके अध्यक्ष के दौरे की तैयारी पर बातचीत की। इस बैठक में राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि जेपी नड्डा संगठनात्मक संरचना को मजबूत करने के साथ पार्टी के कार्यकर्ताओं से बातचीत करेंगे और पार्टी की गतिविधियों की समीक्षा करेंगे। बैठक में उनके स्वागत और कार्यक्रम की योजना तैयार की गई।
हेमंत पाल
चार दशक से हिंदी पत्रकारिता से जुड़े हेमंत पाल ने देश के सभी प्रतिष्ठित अख़बारों और पत्रिकाओं में कई विषयों पर अपनी लेखनी चलाई। लेकिन, राजनीति और फिल्म पर लेखन उनके प्रिय विषय हैं। दो दशक से ज्यादा समय तक 'नईदुनिया' में पत्रकारिता की, लम्बे समय तक 'चुनाव डेस्क' के प्रभारी रहे। वे 'जनसत्ता' (मुंबई) में भी रहे और सभी संस्करणों के लिए फिल्म/टीवी पेज के प्रभारी के रूप में काम किया। फ़िलहाल 'सुबह सवेरे' इंदौर संस्करण के स्थानीय संपादक हैं।
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