विधायक और विक्रमादित्य के ज़िले में न्याय
राजीव शर्मा
संसार माया है तो शासन प्रशासन एक परिपूर्ण माया जाल है .यहाँ जो होता है वह दिखता नहीं जो दिखता है वह होता नहीं .जिस वित्तीय घोटाले ने शेयर बाजारों में सुनामी ला दी थी .महाशक्ति अमेरिका के उस सब प्राइम संकट के मुख्य किरदारों को वहाँ की अगली सरकार ने भी पुरस्कृत ही किया .रुस में जार शाही के विरुद्ध जनता की आवाज बनने वाले सत्ता पाते ही स्वयं तानाशाह हो गए .किसानों के बेटों को किसान विरोधी नीतियाँ बनाते देख आश्चर्य नहीं होता .माया महा ठगिनी हम जानी .
कहानी मालवा के उस महा जिले की है जहाँ स्वयं काल भी महाकाल की शरण में रहता है .उन दिनों मैं एसडीएम था .हमारी स्थानीय विधायक श्वेत धवल खादी में एक तूफानी एक्टिविस्ट समझीं जातीं थीं.शासन और प्रशासन कोई उनको नाराज नहीं करना चाहता था .ग़ज़ब की धमक थी उनकी पर जब यह धमक सभी को धमकाने लगी तो मुझे वहाँ एसडीएम बनाकर भेज दिया गया .मेरा स्वागत रास्ते में तीन चक्काजाम आंदोलनों से किया गया .तीनों में शामिल सत्ता पार्टी की इन विधायक और उनके कार्यकर्ताओं के विरुद्ध मैंने विधिवत मुक़दमे दर्ज करा दिये और पद भार ग्रहण किया .मेरे शेष कार्यकाल में फिर किसी ने चक्काजाम की जुर्रत नहीं की .
जनता की सीधी सुनवाई और त्वरित निराकरण से जन सामान्य को राहत मिली .कर्मचारियों का आत्म विश्वास लौटा .चीजें पटरी पर आती दिखने लगीं .तभी एक दिन यह हुआ कि मैंने देखा कि शहर के बाहर मुख्य मार्ग पर लगे विशाल वृक्षों की कटाई हो रही है .मैंने वाहन रोक कटाई करने वालों को पकड़ा और उनकी कुल्हाड़ियाँ छीन लीं .उनको मैंने आदेश दिया कि वृक्षों से साष्टांग लेट कर याने धराशायी होकर क्षमा माँगे .उन्होंने आदेश का पालन किया .यह देख तमाशायी इकट्ठे हो गए .अचानक चीखती चिल्लाती आंदोलन निपुण माननीय विधायक प्रकट हुई .उन्होंने मुझे कहा -ये सब तानाशाही मेरे इलाक़े में नहीं चलेगी .आप जनता को ऐसे डरा धमका नहीं सकते .मैंने मुस्कुरा कर कहा -विधायक जी .ये लोग इतने पुराने वृक्ष काट रहे थे क्या आप भी इन वृक्षों के ख़िलाफ़ हैं ? प्रश्न से अचकचा गई विधायक जी खुल्लम खुल्ला कटाई का समर्थन कैसे करती ?सो ढीलीं पड़ीं फिर भी बोलीं -पर आप अंग्रेजों जैसी सजा नहीं दे सकते .मैंने तो कोई सजा दी ही नहीं है मैडम -झगड़ा मेरे और इनके बीच नहीं है न मेरे और आपके बीच है .झगड़ा तो इनके और वृक्षों के बीच में है .ये वृक्षों से क्षमा माँगे वृक्ष इन्हें क्षमा कर दें तो ये उठकर घर चले जायें .यह सुनकर विधायक सहित सब को हँसी आ गई .मानव अधिकारों का नाम लेकर मुझ पर दबाव बनाने आई विधायिका अपनी गाड़ी में बैठ कर अपने घर चली गई और हम भी अपने रास्ते चलते बने .
वृक्षों ने उन पर कुल्हाड़ी उठाने वालों को क्षमा किया या नहीं यह तो पता नहीं पर इस घटना के बाद दिन दहाड़े कटाई की पुनरावृत्ति नहीं हुई .