

CJI Sanjiv Khanna : जस्टिस संजीव खन्ना हुए रिटायर, 5 अहम फैसलों के लिए किए जाएंगे याद
जस्टिस संजीव खन्ना के बाद भारत के अगले चीफ जस्टिस (CJI) जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई (बी. आर. गवई) होंगे। जस्टिस गवई 14 मई 2025 से भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे और उनका कार्यकाल 23 नवंबर 2025 तक का होगा।-सर्वोच्च अदालत की कमान जज बीआर गवई को सौंप दी गई है
आज 13 मई को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना रिटायर हो गए. उन्होंने अब सर्वोच्च अदालत की कमान वरिष्ठता में दूसरे नंबर पर आने वाले जज बीआर गवई को सौंप दिया है. जस्टिस खन्ना ने बतौर सीजेआई आज अंतिम दिन कहा कि उनको भरोसा है कि जस्टिस गवई सुप्रीम कोर्ट के मूल्यों, मौलिक अधिकारों और बुनियादी संवैधानिक तत्त्वों को बनाए रखेंगे. जस्टिस खन्ना ने आज ये भी कहा कि वे अपने साथ बहुत सी ऐसी यादें लेकर जा रहे हैं, जो ताउम्र उनके साथ रहेंगी. साथ ही, ये भी साफ किया कि वे सीजेआई से रिटायर होने के बाद कोई भी पद नहीं लेंगे. हां, कानून के क्षेत्र से जुड़े रहेंगे.
जस्टिस खन्ना बतौर सुप्रीम कोर्ट के जज और फिर आखिर के 6 महीनों में सीजेआई रहते हुए कई ऐसे फैसले दिए, जो इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गए.करीब तीन दशक लंबे न्यायिक और वकालती अनुभवों के साथ करीब 6 साल पहले 18 जनवरी 2019 को जस्टिस खन्ना सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुए. 14 मई 1960 को एक समृद्ध कानूनी परिवार में जन्मे जस्टिस खन्ना के पिता देव राज खन्ना दिल्ली हाईकोर्ट के जज रहे. वहीं, इनकी माता सरोज खन्ना दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्री राम कॉलेज में लेक्चरर रहीं.
संजीव खन्ना का एक परिचय ये भी रहा कि वे सुप्रीम कोर्ट के जज रहे एचआर खन्ना के भतीजे हैं. जस्टिस एचआर खन्ना ही ने मशहूर केशवानंद भारती (1973) मामले में फैसला देकर संविधान की बुनियादी बातों को संसद, न्यायपालिका, सब से ऊपर बताया था. जस्टिस संजीव खन्ना के दादा – सारव दयाल दिग्गज वकील हुआ करते थे. खन्ना करीब 6 महीने देश के सीजेआई रहे. वहीं, सुप्रीम कोर्ट में उनका कार्यकाल साढ़े पांच साल का रहा.
जस्टिस खन्ना के कुछ बड़े फैसलों को जानें जिसके लिए वो याद किए जाएंगे.
पहला – अनुच्छेद 370 ,दूसरा – इलेक्टोरल बॉन्ड, तीसरा – आरटीआई,चौथा – पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला ,पांचवा – अरविंद केजरीवाल को जमानत
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) संजीव खन्ना ने मंगलवार को अपने रिटायरमेंट के दिन साफ किया कि वह सेवानिवृत्ति के बाद कोई सरकारी या अन्य पद स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि वह कानूनी क्षेत्र से जुड़ा कोई काम करेंगे, जिससे वह न्याय और कानून के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रख सकें।
फेयरवेल स्पीच के दौरान हुए भावुक
जस्टिस संजीव खन्ना अपने फेयरवेल स्पीच के दौरान भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि मैंने 50 सालों में कई विदाई समारोहों में हिस्सा लिया है लेकिन आज में बहुत खुश हूं। उन्होंने आगे कहा कि मैं खुद को धन्य समझता हूं कि मैंने भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त होने का गौरव प्राप्त किया।
मां नहीं चाहती थीं कि मैं वकील बनूं
उन्होंने कहा कि मेरी मां लेडी श्रीराम कॉलेज में प्रोफेसर थीं। वे कभी नहीं चाहती थीं कि मैं वकील बनूं। संजीव खन्ना ने कहा कि एक वकील के रूप में मुझे अपना खुद का चैंबर पाने में 17 साल लग गए।