Justice VD Gyani is No More: अपने तल्ख स्वभाव और नो नॉनसेंस रवैये से न्यायपालिका में बनाई अलग पहचान

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Justice VD Gyani is No More: अपने तल्ख स्वभाव और नो नॉनसेंस रवैये से न्यायपालिका में बनाई अलग पहचान

इंदौर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्तिऔर श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति ट्रस्ट के अध्यक्ष जस्टिस श्री वी.डी.ज्ञानीवी डी ज्ञानी का निधन हो गया। न्याय के प्रति उनके कठोर रुख और नो नॉनसेंस कार्यशैली ने उन्हें देश की न्यायिक व्यवस्था में एक विशिष्ट और सम्मानित स्थान दिलाया। उनके निधन से न्यायपालिका और सार्वजनिक जीवन में गहरा शोक व्याप्त है।

न्यायमूर्ति ज्ञानी अपने सख्त और स्पष्ट रवैये के लिए जाने जाते थे। अदालत में वे किसी भी तरह की लापरवाही या असत्य को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करते थे। वकीलों से लेकर पक्षकारों और कई बार प्रशासनिक अधिकारियों तक को वे एक कडक हेडमास्टर की तरह सचेत करते हुए न्याय की राह पर लाने के लिए प्रसिद्ध थे। उनके कड़े लेकिन न्यायपूर्ण निर्णय और तीखे सवाल न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रमाण रहे।
न्यायपालिका में रहते हुए उन्होंने कई संवेदनशील और महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई की। वे हमेशा यही कहते थे कि कानून सबके लिए समान है और अदालत में कोई ताकत या प्रभाव नहीं चल सकता। उनके फैसलों में आम नागरिक की पीड़ा को समझने की संवेदनशीलता और समाज को सुधारने की सोच दोनों झलकती थीं।
न्यायमूर्ति ज्ञानी की शवयात्रा 10 दिसंबर को सुबह 11 बजे उनके निवास 57 रविंद्र नगर ओल्ड पलासिया इंदौर से रामबाग मुक्तिधाम के लिए निकलेगी। शहर के अनेक वरिष्ठ न्यायाधीश पूर्व न्यायाधीश वकील जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में नागरिक उनके अंतिम दर्शन करने पहुंचेंगे।
उनके व्यक्तित्व को याद करते हुए न्यायिक जगत ने कहा है कि न्यायमूर्ति ज्ञानी का जाना ऐसा नुकसान है जिसकी भरपाई संभव नहीं। वे उन दुर्लभ न्यायाधीशों में से थे जिन्होंने अपने व्यवहार अपनी शैली और अपने निर्णयों से यह साबित किया कि अदालत न्याय की सर्वोच्च व्यवस्था है और इसे निर्भीकता संयम और सच्चाई के साथ चलाया जाता है।

मीडियावाला परिवार की ओर से भी सादर श्रद्धांजलि—–

shradhanjali bhavpooran