Justice Yashwant Verma Case : जस्टिस यशवंत वर्मा का मामला गंभीर होता जा रहा, कमेटी की रिपोर्ट पर ही टिका भविष्य!

315

Justice Yashwant Verma Case : जस्टिस यशवंत वर्मा का मामला गंभीर होता जा रहा, कमेटी की रिपोर्ट पर ही टिका भविष्य!

मीडियावाला के स्टेटहेड विक्रम सेन का विश्लेषण

दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के 22 साल के करियर का बेदाग रिकॉर्ड तब धूमिल हो गया। जब 14 मार्च को उनके सरकारी आवास में आग लग गई थी। उनके स्टोर रूम में रात 11:43 बजे आग बुझाने आए दमकलकर्मियों को जली हुई जूट की बोरियों के बीच नकदी का एक बड़ा ढेर बरामद हुआ। एक कर्मचारी के मुताबिक, क्षतिग्रस्त सामग्री में अदालत से संबंधित दस्तावेज और स्टेशनरी भी शामिल थी।

इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट भेज दिया। इसे प्राथमिक उपाय बताया गया, जिसके तहत आगे की जांच जारी है।

आगजनी की इस घटना में किसी के घायल होने की सूचना नहीं मिली, इसलिए एफआईआर दर्ज नहीं की गई। नकदी दिखाने वाले वीडियो कथित तौर पर रिकॉर्ड किए गए और दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को भेजे। इस कारण सरकार और न्यायिक हस्तक्षेप हुआ। इसके बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) ने जांच का आदेश दिया। कई सूचना वायरल है कि जलने से बचाई गई नकदी ₹15 करोड़ थी।

 

कैश को लेकर घर के अंदर की तस्वीर सामने आई

इधर दिल्ली हाईकोर्ट से जस्टिस यशवंत वर्मा के घर इतने कैश को लेकर घर के अंदर की पहली तस्वीर सामने आई। इन तस्वीरों को सुप्रीम कोर्ट ने अपनी वेबसाइट पर जारी किया है। इसके साथ जारी एक रिपोर्ट में कहा गया कि जिस कमरे में आग लगी, वहां आग के काबू में आने के बाद, 4-5 अधजली बोरियां मिली, जिनके अंदर भारतीय मुद्रा भरे होने के अवशेष मिले हैं। साथ ही इस मामले से जुड़ी दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की रिपोर्ट सार्वजनिक हो गई। इसके साथ ही ⁠जस्टिस वर्मा का जवाब भी सार्वजनिक कर दिया गया। मामले से जुड़े दस्तावेज भी वेबसाइट पर डाले गए।

 

जज वर्मा ने आरोपों को बेबुनियाद बताया

जस्टिस यशवंत वर्मा ने अपने सरकारी आवास पर नोट बरामदगी विवाद में लगे आरोपों को बेबुनियाद बताया। उन्होंने कहा कि उनके या उनके परिवार के किसी सदस्य द्वारा स्टोर रूम में कभी भी कोई नकदी नहीं रखी। दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को सौंपे गए अपने जवाब में जस्टिस यशवंत वर्मा ने कहा कि उनके आवास पर नकदी मिलने के आरोप स्पष्ट रूप से उन्हें फंसाने और बदनाम करने की साजिश प्रतीत होती है।

उन्होंने कहा कि मैं इस आरोप का भी दृढ़ता से खंडन करता हूं। अगर ऐसा आरोप लगाया गया है कि हमने स्टोर रूम से मुद्रा निकाली है, तो उसे पूरी तरह से खारिज करता हूं। हमें न तो जली हुई मुद्रा की कोई बोरी दिखाई गई और न ही सौंपी गई।

 

दूसरे चरण में पहुंची जांच

यशवंत वर्मा के आवास पर आग लगने की घटना के बाद नोटों की 4 से 5 अधजली बोरियां मिलने की जांच प्रक्रिया दूसरे महत्वपूर्ण चरण में पहुंच गई है। समझा जा रहा है कि इससे उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सीजेआई संजीव खन्ना ने मामले की जांच के लिए 3 सदस्यीय पैनल का गठन किया। अब जांच की आंतरिक प्रक्रिया दूसरे महत्वपूर्ण चरण में पहुंच गई है। इसके निष्कर्षों से जस्टिस वर्मा के भाग्य का फैसला होगा।

इन-हाउस प्रक्रिया के पहले चरण में शिकायत में शामिल आरोपों की सत्यता का प्रथम दृष्टया पता लगाया जाता है। जांच के अंतिम चरण में पैनल अपने छानबीन के निष्कर्षों को दर्ज करेगा और सीजेआई को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। पैनल यह बताएगा कि जज के खिलाफ लगाए गए आरोपों में कोई दम है या नहीं! यदि आरोपों में दम है तो पैनल यह भी बताएगा कि क्या जज पर लगा कदाचार इतना गंभीर है कि उनको हटाने के लिए कार्यवाही शुरू करने की जरूरत है।