कैश कांड में फंसे हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, याचिका खारिज

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कैश कांड में फंसे हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, याचिका खारिज

नई दिल्ली: कैश कांड में फंसे इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने उनकी इन-हाउस जांच को सही ठहराते हुए उनकी चुनौती को खारिज कर दिया। तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजा गया हटाने का पत्र भी वैध माना गया। अब जस्टिस वर्मा के सामने या तो खुद इस्तीफा देने का विकल्प है या संसद के दोनों सदनों में चल रहे महाभियोग का सामना।

इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जांच समिति ने पूरी तरह नियमों का पालन किया है और जस्टिस वर्मा की याचिका में कोई आधार नहीं है। कानूनी दृष्टि से इस्तीफा देने पर उन्हें रिटायर्ड जज की तरह पेंशन और अन्य सुविधाएं मिलेंगी। वहीं, महाभियोग के जरिए हटाए जाने पर ये फायदे नहीं मिलेंगे। हालांकि जस्टिस वर्मा ने इस्तीफे से इंकार कर रखा है और खुद को निर्दोष बताया है।

मानसून सत्र में लोकसभा के 152 सांसद और राज्यसभा के 54 सांसद महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर चुके हैं, लेकिन अब तक किसी भी सदन ने इसे आधिकारिक मंजूरी नहीं दी है।

राज्यसभा के तत्कालीन सभापति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को बताया था कि हटाने की मांग वाले प्रस्ताव को आवश्यक संख्या से अधिक सांसदों ने समर्थित किया है। लेकिन स्वास्थ्य कारणों के चलते उन्होने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया। अब उपराष्ट्रपति के चुनाव की तारीख 9 सितंबर तय हो चुकी है, और महाभियोग प्रक्रिया पर संसद के निर्णय का इंतजार है।

इस पूरे मामले ने भारतीय न्याय व्यवस्था में एक संवेदनशील और नाजुक स्थिति पैदा की है, जहां एक उच्च न्यायालय के जज पर गंभीर आरोपों के चलते राजनीतिक एवं कानूनी प्रक्रियाएं जारी हैं।