story first installment ; अनुगूँज

सुधा ओम ढींगरा तापमान इतना गिर गया कि बारिश, बर्फ़ बन कर बरस रही है। रुई जैसी नहीं, शीशे जैसी। उसके लिए यह सब अचम्भित करने वाला है। कुछ दिन पहले उसने रुई की तरह बर्फ़ गिरते देखी थी और अब चारों ओर छोटे-छोटे शीशे ज़मीन पर चमक रहे हैं। गगन की नीलिमा गहरी हो … Continue reading story first installment ; अनुगूँज