Story second installment ; अनुगूँज
story first installment ; अनुगूँज ‘गुरमीत पुत्र चुप हो जा… इस समय बाप-बेटे पर शराब हावी है; क्यों तुम अपनी हड्डियाँ तुड़वाती हो। मार्था से सुखबीरे का पल्ला मैं झुड़वाऊँगी। बस तुम थोड़ा सब्र रखो।’ बीजी ने मधुर और धीमी आवाज़ में कहा। ‘पाँच सालों से आपसे यही सुनती आ रही हूँ; मेरे सब्र का … Continue reading Story second installment ; अनुगूँज
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