8 वर्षीय भानजी से दुष्कर्म के आरोपी कलयुगी मामा को 20 वर्ष की कड़ी सजा

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रतलाम से रमेश सोनी की रिपोर्ट

न्यायालय अफजल खान विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट द्वारा अपने फैसले में 22.जुलाई.2022 को अभियुक्त विजय उर्फ वीरसिंह पिता पारू डामर उम्र 30 वर्ष निवासी बरखेडा थाना रावटी जिला रतलाम को धारा 376 ए,बी भादवि में 20 वर्ष का सश्रम कारावास और 5 हजार रूपए अर्थदंड की सजा सुनाई।

मामले में पैरवी कर्ता विशेष लोक अभियोजक पॉक्सो एक्ट श्रीमती प्रेमलता मंडलोई ने बताया कि 28/मई/19 को फरियादिया पीड़िता की दादी अपने लड़के व पोती पीड़िता उम्र 08 साल को लेकर थाने पर पंहुच कर रिपोर्ट कर बताया कि मेरे साथ मेरी लड़की के चार बच्चे व मेरे लड़के के चार बच्चे रहते हैं।

15.मई.19 की बात है,मैं अपने घर पर थी।सुबह लगभग 05.00 बजे मेरे परिवार का भतीजा विजय पिता पारू डामर मेरे घर आया और मुझसे बोला कि भाभी,मेरी बहन की हल्दी लेने रावटी जा रहा हुं।मैं भानजी को भी ले जा रहा हुं।तो मैंने कहा कि ले जा लेकिन वापस घर भेज देना तो विजय मेरी पोती को लेकर लगभग 06.00 बजे घर से गया।

फिर मैं अपने काम से बाजना चली गई थी।वापस में शाम को घर आई तो मुझे देखकर मेरी पोती रोने लगी।तो मैंने पूछा क्या हुआ तो पोती ने बताया कि विजय मामा मुझे को पैदल-पैदल खाल में लेकर गया और मुझे खाल के किनारे अपनी गोद में लेकर बैठाकर मेरे से बोला कि मैं तेरे को पैसे दूंगा तु किसी को मत बताना फिर मामा विजय ने मेरे साथ दुष्कर्म किया तो मैं चिल्लाई तो मुझे छोड़ दिया फिर मैं वहां से भागकर छोटे मामा के घर चली गई।फिर मैं छोटे मामा के साथ वापस आ गई।घर आकर मेरी पोती ने उसके साथ हुई घटना की सारी बात बताई।

मैं घर पर अकेली थी मेरा लड़का व बहु मजदुरी करने बाहर गए हुए थे।वे जब लौटे तब मैंने उनको घटना के बारे में बताया और उनको लेकर थाने पर रिपोर्ट करने आई हुं। फरियादी की रिपोर्ट पर थाना रावटी द्वारा अपराध क्रमांक. 165/19 धारा 376एबी, 376(2)भादवि एवं धारा 5(एम)(एन)/6 पॉक्सो एक्ट पंजीबद्ध किया गया।

विवेचना के दौरान पुलिस द्वारा बालिका का मेडिकल परीक्षण कराया गया,नक्शा मौका, साक्षी गण के कथन,आरोपी की गिरफ्तारी,वैज्ञानिक साक्ष्य एकत्रित किए गए।

सम्पूर्ण अनुसंधान उपरांत अभियुक्त के विरूद्ध अभियोग पत्र माननीय विशेष न्यायालय रतलाम के समक्ष धारा 376एबी, 376(2)भादवि एवं धारा 5(एम)(एन)/6 पॉक्सो एक्ट प्रस्तुत किया गया है।

अभियोजन मीडिया सेल प्रभारी चौपसिंह ठाकुर ने बताया कि
मामले में न्यायालय में अभियोजन की और से कुल 10 अभियोजन साक्षियों को परीक्षित कराया गया जिसमें पीड़िता के कथनों उपरांत आरोपी एवं पीड़िता के माता पिता एवं अन्य परिजनों के मध्य राजीनामा हो गया जिसके उपरांत पीड़िता के माता-पिता तथा उसकी दादी प्रकरण में पक्षविरोधी हो गए।
फलत अभियोजन द्वारा वैज्ञानिक साक्षी का परीक्षण कराया गया क्योंकि डीएनए रिपोर्ट में आरोपी का डीएनए का मिलान नहीं हुआ था,जिसका स्पष्टीकरण कराया गया।इस संबंध में मौखिक एवं लिखित बहस प्रस्तुत की गई।

अभियोजन द्वारा अपने समर्थन में माननीय सुप्रीम कोर्ट एवं हाई कोर्ट से संबंधित लगभग 40 न्यायदृष्टांत पेश किए गए।
अभियोजन के पक्ष से सहमत होकर एक मात्र पीड़िता के कथन तथा डीएन रिपोर्ट एवं एफएसएल अधिकारी के कथनों के आधार पर आरोपी को दोषसिद्ध किया गया।प्रकरण में अभियोजन का संचालन जिला अभियोजन अधिकारी अनिल बादल एवं विशेष लोक अभियोजक श्रीमती प्रेमलता मंडलोई द्वारा किया गया।


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