कांग्रेस के बीरबल हैं कमलनाथ

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कांग्रेस के बीरबल हैं कमलनाथ

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से संयोग से मै कभी फुर्सत में नहीं मिला, हालांकि वे मेरे सूबे मध्यप्रदेश के 18 महीने मुख्यमंत्री और वर्षों तक केंद्रीय मंत्री रहे। कमलनाथ का इसमें कोई दोष नहीं।वे तो खूब मिलनसार नेता हैं।दोष मेरा ही है कि मैं बचपन से मसखरों से डरता हूं।

मैं अपनी अल्पबुद्धि के चलते कमलनाथ को कांग्रेसी सल्तनत का बीरबल मानता हूं। कमलनाथ स्वभाव से भले मसखरे हैं किन्तु हैं मूलतः उद्योगपति। राजनीति उनका दूसरा प्रेम है। उन्होंने बीते 42 साल में राजनीति और व्यवसाय में गजब का तालमेल बैठाया।

कमलनाथ जिस प्रधानमंत्री के मंत्रिमंडल में रहे वहां भी उन्होंने किसी को निराश नहीं किया। वे 10 जनपथ के समर्पित नेता होने क वजह से कभी संकट में नहीं आए।वे अपने कौशल से तब मप्र के मुख्यमंत्री बने जबकि जंग ‘ शिवराज बनाम महाराज’ के रूप में लड़ी गई। कमलनाथ की वजह से ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को उस कांग्रेस से समर्थकों समेत भागना पड़ा जिसने उन्हें और उनके दिवंगत पिता माधवराव सिंधिया को पूरे चार दशक पहचान दी।

कांग्रेस के बीरबल हैं कमलनाथ

कमलनाथ जिद्दी हैं,कही बात से कम पलटते हैं। वे चाहते तो अशोक गहलोत की तरह हिकमत अमली से अपनी सरकार बचा सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। वे अब भी नहीं बदले हैं, उन्होंने हाल ही में सिंधिया पर कड़ा हमला बोला, कहा कि हमें सिंधिया की जरूरत नहीं है, अगर वे इतने बड़े तोप थे तो ग्वालियर का महापौर चुनाव क्यों हारे, मुरैना का महापौर चुनाव क्यों हारे?

सिंधिया के मुकाबले कमलनाथ कभी चमत्कारी नेता नहीं रहे बावजूद हर सल्तनत में उनका वकार कायम रहा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सल्तनत में भी।वे लोकसभा के लिए मप्र से जीते इकलौते सांसद और अपने बेटे नकुल को लेकर मोदी जी से मिलने में कतयी नहीं हिचके।

वे बीरवल की तरह चित,पट अपनी करने में माहिर हैं। वे मोदी दरबार में शिवराज सिंह की शिकायत करने का माद्दा रखते हैं और राहुल गांधी के दरबार में तो वे महत्वपूर्ण हैं ही।

अब सवाल ये है कि कमलनाथ अपने मसखरे स्वभाव से जिस तरह कांग्रेस की सरकार गिरने के बाद भी राहुल गांधी को खुश किए हुए हैं, तो क्या वर्षांत में होने वाले विधानसभा चुनाव में मप्र की जनता का मन भी मोह सकेंगे?

कांग्रेस के बीरबल यानि कमलनाथ की वजह से मप्र में भले ही कांग्रेस सरकार चली गई हो लेकिन कांग्रेस कहीं नहीं गईं। कांग्रेस आज भी 2018 की हैसियत में खड़ी है। यहां कमलनाथ के सामने राजस्थान के सचिन पायलट की तरह कोई बागी नहीं है। सिंधिया थे सो पलायन कर ही चुके हैं। कमलनाथ अपने विरोधियों को अशोक गहलोत की तरह कोविड नहीं कहते बल्कि उनका इलाज कर देते हैं।

DIGVIJAY SINGH

इस समय मप्र में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह उनके समकक्ष हैं किन्तु प्रतिस्पर्धी नहीं हैं।वे कमलनाथ की ही तरह मसखरी में सिद्ध हस्त हैं। दोनों की जोड़ी विधानसभा चुनाव में शिवराज सिंह चौहान के लिए मुश्किलें खड़ी करने में कोई कसर छोड़ने वाली नहीं है।

shivraj on kamalnath

कमलनाथ कहते हैं कि भाजपा के लोग मुझसे 15 महीने की सरकार का हिसाब मांगते हैं। मैं कहता हूं कि पहले शिवराज सिंह चौहान 18 साल के शासन काल का हिसाब दें। फिर मैं अपने 15 महीने के कार्यकाल का हिसाब दूंगा। शिवराज चाहें तो एक मंच पर खड़े होकर सवाल-जवाब कर सकते हैं।

कांग्रेस के इस बीरबल का साफ कहना है कि-‘ चुनाव होते रहते हैं, लेकिन इस बार के चुनाव महत्वपूर्ण हैं। इस इस बार हमें देश की संस्कृति और संविधान बचाने के लिए वोट करना होगा। विकास और बेरोजगारी की बात बाद में भी हो जाएगी, लेकिन इस बार संस्कृति और संविधान को बचाना जरूरी है। जातिगत आधार पर जनगणना के सवाल पर कहा कि देश में जातिगत जनगणना जरूरी है। सरकार सच्चाई को क्यों छुपाना चाहती है। मेरा मानना है कि जातिगत जनगणना होना चाहिए।

कमलनाथ से भाजपा का हर नेता आतंकित रहता है।अपना डर छिपाने के लिए बेचारे कुछ न कुछ बोलते रहते हैं। प्रदेश के गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा भी कमलनाथ की हाजिरजवाबी के सामने फीके पड़ जाते हैं।अब देखना ये है कि कांग्रेस के अकबर और बीरबल की ये जोड़ी दस महीने बाद अपनी झपटी गई सत्ता दोबारा हासिल कर पाती है या नहीं?