Kamal Nath’s Allegations on BJP : दो महीने में परिसीमन, रोटेशन और ओबीसी आरक्षण के साथ पंचायत चुनाव हो, जानिए कमलनाथ ने क्या-क्या आरोप लगाए शिवराज सरकार पर

- शिवराज सरकार के काले कानून की वजह से पंचायत चुनाव अटके - ओलावृष्टि से हुए नुकसान का सरकार तत्काल मुआवजा दे - 2020 के बाद से किसानों को फसल बीमा का फायदा नहीं मिला

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Bhopal : प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने आरोप लगाया कि मध्यप्रदेश में पिछले सात साल से पंचायत के चुनाव नहीं हो पा रहे हैं, इसकी वजह BJP सरकार की ओबीसी और आरक्षण विरोधी नीति (OBC and Anti Reservation Policy) है। ऑर्डिनेंस के जरिए शिवराज सरकार एक ऐसा काला कानून लेकर आई, जिसमें न रोटेशन का पालन किया गया, न परिसीमन का और न आरक्षण का। इस काले कानून की वजह से ही चुनाव रद्द हुए हैं। अगर मध्य प्रदेश की सरकार दो महीने में परिसीमन, रोटेशन और ओबीसी आरक्षण के साथ ग्राम पंचायत चुनाव नहीं कराती, तो काग्रेस पार्टी जिला स्तर, ब्लॉक स्तर से लेकर ग्राम पंचायत स्तर तक आंदोलन करेगी। पूर्व मुख्यमंत्री एवं मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ ने आज अपने आवास पर आयोजित पत्रकार वार्ता में ये बातें कही।

पंचायत चुनाव के मुद्दे पर एक सवाल के जवाब में कमलनाथ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ताओं ने परिसीमन और रोटेशन का मुद्दा उठाया था। लेकिन, जब कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर अपना फैसला सुनाया तो वहां मौजूद मध्य प्रदेश सरकार के वकीलों ने कोई आपत्ति नहीं की। सरकार को तुरंत उच्चतम न्यायालय से अपने आदेश को रीकॉल करने का निवेदन करना चाहिए था, जो नहीं किया गया। अगले दिन ही सरकार को पुनर्विचार याचिका लगानी चाहिए थी, जो नहीं लगाई गई।

कमलनाथ ने कहा कि यह तो संयोग है कि उस समय विधानसभा का सत्र चल रहा था ,जहां कांग्रेस पार्टी स्थगन प्रस्ताव लेकर आई और उसके बाद सदन ने ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव कराए जाने के बारे में संकल्प पारित किया। भारतीय जनता पार्टी का चरित्र पूरी तरह से ओबीसी विरोधी है। शिवराज सिंह चौहान 15 साल से मुख्यमंत्री हैं, भाजपा के तीन मुख्यमंत्री रह चुके हैं, लेकिन क्या कभी भाजपा ने ओबीसी को 27% आरक्षण देने का प्रस्ताव सदन में रखा। भाजपा सरकार एक कानून बता दे, जो उसने ओबीसी के हित में बनाया हो। उन्होंने कहा कि पिछले 2 साल से ओबीसी स्कॉलरशिप का 1210 करोड़ रुपए बकाया है और यह स्कॉलरशिप वितरित नहीं हो पा रही है।

ओलावृष्टि का मुआवजा
हाल ही में मध्यप्रदेश में हुई ओलावृष्टि के सवाल पर कमलनाथ ने कहा कि सरकार को तत्काल किसानों को मुआवजा देना चाहिए। खरीफ 2020 में किसानों के फसल बीमा को करने के लिए जिस कंपनी का चयन हुआ उसके साथ राज्य सरकार ने यह अनुबंध किया कि कुल प्राप्त प्रीमियम का 110% तक ही दावे का भुगतान कंपनी के द्वारा किया जाएगा। 2020 खरीफ में प्रीमियम लगभग 3000 करोड रुपए जमा हुआ है, तो इसका 110% अर्थात 3300 करोड रुपए के दावों का भुगतान भार कंपनी वहन करेगी और इसके ऊपर के दावे की राशि भुगतान का भार सरकार को वहन करना है।

खरीफ 2020 में लगभग 7000 करोड रुपए के दावे किसानों ने किए हैं मतलब सरकार को 3700 करोड रुपए का भार वहन करना पड़ेगा और 3300 करोड रुपए के दावे का भुगतान कंपनी करेगी। इस कारण से सरकार द्वारा फसल बीमा के दावों का निराकरण नहीं कराया जा रहा है। ऐसे में जब 2020 का बीमा अब तक नहीं मिला, तो 2022 में हुए ओलावृष्टि का पैसा 2024 में भी मिल जाए तो बड़ी बात है। सरकार को तुरंत मुआवजे के रूप में किसानों को यह पैसा देना चाहिए। जब बीमे की रकम सरकार को मिल जाए तो वह पैसा उसमें से काटा जा सकता है। लेकिन, बीमा के भुगतान में देरी के लिए भी सरकार ही जिम्मेदार है।

प्रियंका ने UP में माहौल बनाया
उत्तर प्रदेश में होने जा रहे आगामी विधानसभा चुनाव के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में कमलनाथ ने कहा कि कम समय में ही प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश में उत्साह का माहौल पैदा कर दिया है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में जो चुनाव परिणाम आएंगे, उन पर लोगों को ताज्जुब होगा।

PM की सुरक्षा पर राजनीति
पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में हुई कथित लापरवाही के मुद्दे पर पूछे गए सवाल के जवाब में कमलनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा पूरे देश के मान सम्मान का विषय होती है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी इस विषय पर राजनीति करना चाहती है। प्रधानमंत्री की सुरक्षा की पूरी जांच होनी चाहिए, उन्हें समुचित सुरक्षा दी जानी चाहिए। लेकिन, उस पर राजनीति करना बहुत ही निंदनीय है।