Kamalnath Gets Relief From HC: हनीट्रैप केस में कमलनाथ के बयान पर दायर याचिका खारिज, हाई कोर्ट ने कहा कि सिर्फ खबरें सबूत नहीं बन सकती!

जब तक ठोस व्यक्तिगत जानकारी या साक्ष्य न हों, तब तक कोई कानूनी कार्यवाही नहीं हो सकती।

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Kamalnath Gets Relief From HC: हनीट्रैप केस में कमलनाथ के बयान पर दायर याचिका खारिज, हाई कोर्ट ने कहा कि सिर्फ खबरें सबूत नहीं बन सकती!

Indore : मध्यप्रदेश की राजनीति में भूचाल लाने वाले चर्चित हनीट्रैप कांड में एक अहम मोड़ सामने आया। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को इस मामले में राहत मिल गई। हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें कमलनाथ के ‘मेरे पास हनीट्रैप की सीडी है’ वाले बयान के आधार पर कार्रवाई की मांग की गई थी।

यह याचिका एक वकील ने दो साल पहले दाखिल की थी। याचिकाकर्ता का दावा था कि कमलनाथ और तत्कालीन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत (अब भाजपा में) ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि उनके पास हनीट्रैप कांड से जुड़ी सीडी है, ऐसे में एसआईटी को जांच के लिए उनसे सीडी मंगवानी चाहिए। याचिका के अनुसार, मीडिया में आए बयानों के आधार पर दोनों नेताओं के पास सबूत होने की संभावना थी, लिहाजा उन्हें सीडी सौंपने के निर्देश दिए जाने चाहिए थे।

एडवोकेट भूपेंद्रसिंह ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इसमें कमलनाथ पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने बयान दिया कि उन्होंने हनी ट्रैप की वीडियो देखी है। उनके पास भाजपा नेताओं की पैन ड्राइव मौजूद है। लेकिन, उन्होंने इस मामले की जांचकर्ता एसआईटी को ये नहीं सौंपी थी। उनके पास इस मामले से जुड़े सबूत होने के बाद में भी वे सच्चाई को छिपा रहे हैं। इस याचिका में उन्होंने पुलिस, एसआईटी के साथ कमलनाथ और पूर्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत को पार्टी बनाया था। वर्ष 2023 में दायर इस याचिका पर गुरुवार 10 जुलाई को सुनवाई हुई।

इस पर कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि सिर्फ मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर किसी के पास सबूत होने की बात नहीं मानी जा सकती। जब तक ठोस व्यक्तिगत जानकारी या साक्ष्य न हों, तब तक कोई कानूनी कार्यवाही नहीं की जा सकती। कोर्ट ने यह भी कहा कि मामले में पहले ही आरोप पत्र दाखिल हो चुके हैं और जांच जारी है, ऐसे में केवल अखबार की खबरें आधार नहीं बन सकतीं।

हनीट्रैप कांड ने मध्यप्रदेश की राजनीति और प्रशासनिक हलकों में भूचाल ला दिया था। कई आईएएस अधिकारी, राजनेता और बड़े कारोबारी इस जांच के घेरे में आए थे। अब इस फैसले से जहां कमलनाथ को बड़ी राहत मिली, वहीं इस याचिका के खारिज होने से यह संदेश भी गया है कि मात्र मीडिया रिपोर्ट को साक्ष्य मानकर कानूनी कार्यवाही की उम्मीद नहीं की जा सकती।