

Kapil Sibbal : बाबरी मस्जिद, तीन तलाक और वक्फ संशोधन कानून तीनों मामलों में मुस्लिम पक्षकारों के एक ही वकील!
New Delhi : वक्फ संशोधन कानून को लेकर देशभर में चर्चा का दौर है। एक पक्ष इसे सही मान रहा है, दूसरा पक्ष इसके विरोध में है। देश के कई हिस्सों में इसे लेकर प्रदर्शन भी हुए। वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट में लीगल लड़ाई के लिए सरकार और मुस्लिम पक्षकार की ओर से कई सीनियर वकील मैदान में उतरे हैं। केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पक्ष रख रहे हैं। वक्फ संशोधन कानून का विरोध कर रहे पक्ष की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और अन्य दलीलें पेश कर रहे हैं।
संशोधन कानून के खिलाफ मुस्लिम संगठन के साथ ही कुछ निजी व्यक्ति भी शामिल हैं। मामले की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ कर रही है। वक्फ संशोधन कानून को लेकर अभी दो बार सुनवाई हो चुकी है और अगली सुनवाई 5 मई 2025 को होनी है।
पश्चिम बंगाल में तो हालात बेहद गंभीर हो गए। पहले मुर्शिदाबाद और फिर साउथ 24 परगना जिले के भांगर इलाके में हिंसा भड़क गई। मुर्शिदाबाद में तीन लोगों की हत्या कर दी गई। जबकि, व्यापक पैमाने पर संपत्तियों का भी नुकसान हुआ। भांगर में एआईएसएफ के कार्यकर्ता पुलिस से ही भिड़ गए। व्यापक पैमाने पर हिंसा हुई। कई पुलिस वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। तत्काल बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स को मौके पर तैनात करना पड़ा, ताकि हालात को काबू में किया जा सके। संसद के दोनों सदनों से वक्फ संशोधन बिल को पास करने के बाद यह कानून बन गया और उसके बाद विरोध प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया। अब सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई शुरू हो गई।
हाल के कुछ वर्षों में तीन बड़े मामलों में कानूनी लड़ाई हुई। ये हैं बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद, तीन तलाक और अब वक्फ संशोधन कानून। तीनों मामलों में एक बात कॉमन है इनमें सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से वकील रहे हैं। वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल सुनवाई चल रही है।
तीन तलाक का मामला
सायरा बानो बनाम भारत संघ (2017) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल तलाक की प्रथा को असंवैधानिक घोषित किया था। इसके तहत मुस्लिम पति अपनी पत्नियों को ‘तलाक तलाक तलाक’ कहकर तुरंत तलाक दे सकते थे। 2018 में भारत के राष्ट्रपति ने मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अध्यादेश 2018 पारित किया, जिसने ट्रिपल तलाक को न केवल अमान्य और अवैध बना दिया। एक गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध भी बनाया। इसके लिए जुर्माना और 3 साल तक की कैद की सजा हो सकती है।
इसके बाद, संसद ने मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) कानून साल 2019 में पारित कर दिया तो अध्यादेश कानून बन गया। यह सितंबर 2019 से प्रभावी हो गया। अगस्त 2019 में दो संगठनों और राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अलग-अलग इस कानून को चुनौती दी थी। इसमें मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से कपिल सिब्बल ने दलील रखी थी। हालांकि, फैसला केंद्र के पक्ष में आया था। सिब्बल ने ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड की पैरवी की थी।
बाबरी मस्जिद-राम मंदिर विवाद
बाबरी मस्जिद पर स्वामित्व से जुड़ा मामला दशकों तक कानूनी प्रक्रिया से गुजरता रहा। निचली अदालत से लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक में सुनवाई हुई। आखिरकार साल 2019 में इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला सामने आया। सुप्रीम कोर्ट का फैसला राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पक्ष में गया और फिर अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हुआ। इस मामले में हिन्दू पक्ष की ओर से के. परासरन ने दलील रखी थी। वहीं, मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से अन्य वकीलों के साथ ही कपिल सिब्बल ने भी दलीलें रखी थी।