एक मिसाल बनने के बाद विदा हुए हैं ‘कर्मयोगी’ पूनमचंद!

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एक मिसाल बनने के बाद विदा हुए हैं ‘कर्मयोगी’ पूनमचंद!

उज्जैन से निरुक्त भार्गव की रिपोर्ट 

देहांत तो सब का होना है, क्या राजा और क्या फ़क़ीर, क्या राम और क्या रहीम! मगर ऐसे कम ही लोग होते हैं, जो समाज जीवन को अलविदा कहने के बाद भी एक लम्बे समय के लिए अपनी छाप छोड़ जाते हैं! उज्जैन के बुजुर्ग पूनमचंद यादव उन्हीं में से एक हैं जो ‘भाद्रपद कृष्ण-30’ यानी मंगलवार (03/09/2024) की शाम अल्प-बीमारी के बाद सबसे विदा लेकर अपनी नई यात्रा के लिए संसार से कूच कर गए!

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प्रश्न कौंध सकता है कि पूनमचंद जी में ऐसा क्या खास था जिसके चलते उनका जिक्र यहां किया जा रहा है? और कहीं ऐसा तो नहीं कि मध्य प्रदेश के मुखिया (मुख्यमंत्री) मोहन यादव के पूज्य पिता होने के कारण उनका इतना उल्लेख हो रहा है! असल में, पूनमचंद यादव को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से जानने वालों को मालूम है कि उन्हें एक मिसाल के स्वरूप में क्यों याद किया जाएगा…

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कोई 100 वर्ष का इंसान जिसकी गिनती किसी नामी खानदान और मज़बूत आर्थिक स्थिति वाली पृष्ठभूमि की नहीं थी, बावज़ूद इसके वो किस तरह कई दशकों पूर्व उज्जैन आकर अपने संघर्षों से दो-चार होता है! इसका फ़लसफा समझना है, तो पूनमचंद जी के जीवन-वृत्त में झांकना होगा. शहर की एक बड़ी टेक्सटाइल मिल में बतौर मज़दूर उनका सफ़र आहिस्ता-आहिस्ता परवान चढ़ा और फिर सघन पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच गुजर-बसर करने के लिए उन्होंने कई तरह के पापड़ बेले! काल के प्रवाह में उन्होंने अनेकानेक ‘अव्यक्त’ परेशानियां झेलीं, बावज़ूद इसके पांचों संतानों को अत्यंत सम्मानजनक तरीके से शिक्षित-दीक्षित कर स्थापित किया. आज उनकी चौथी और पांचवी पीढ़ी भी हरेक क्षेत्र में उन्नति करते हुए यश अर्जित करने में संलग्न है!

इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि प्रत्येक जीव अपने लिए पूरी जिजीविषा के साथ लगातार काम करते हुए नाम और नामा कमा ही लेता है और उसकी पुश्तें भी गच्च हो जाती हैं, किन्तु जब भी निष्पक्ष ढंग से विश्लेषण किया जाएगा तो पूनमचंद जी उज्जैन के इतिहास के पन्नों में रेखांकित किए जाएंगे: मैंने उन्हें दिन-दिन भर चिंतामण गणेश मंदिर मार्ग पर पेड़ों की ओट में उनके ग्रामीण परिवेश के मित्रों के साथ हंसी-ठिठोली करते देखा है! उज्जैन का पूत सूबे का मुखिया हुआ, पुत्री शहर की कमान संभाल रहीं हैं और अग्रज पुत्र भी सामाजिक जीवन में अपने कार्य और व्यवहार में अग्रणी हैं: ये उसी साधारण व्यक्ति की असाधारण देन है!